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मीसा बंदियों के लिए पेंशन की मांग, दी आत्मदाह की धमकी - आरएसएस अपडेट

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का स्वयंसेवक होने का दावा करते हुए एक बुजुर्ग दंपती ने धमकी दी है कि आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा रखरखाव (मीसा) कानून (अब निरस्त) के तहत जेल में डाल दिये गये लोगों के लिए पेंशन के उनके अनुरोध को यदि केंद्र सरकार 15 अक्टूबर तक स्वीकार नहीं करती है, तो वह यहां हेडगेवार स्मृति भवन के सामने आत्मदाह कर लेंगे.

मीसा
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Published : Jun 27, 2021, 9:24 PM IST

नागपुर : हेडगेवार स्मृति मंदिर यहां रेशमबाग इलाके में आरएसएस के संस्थापक के बी हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक एम एस गोलवलकर को समर्पित स्मारक है. अवधूत जोशी (66) और उनकी पत्नी मंगला जोशी (62) 1975-77 में आपातकाल के दौरान मीसा कानून के तहत जेल में डाल दिये गये स्वयंसेवकों एवं अन्य के लिए सम्मान निधि (पेंशन) की मांग करते हुए सांकेतिक भूख हड़ताल के लिए स्मृति मंदिर गये थे.

मीसा कानून 1977 में निरस्त कर दिया गया था

यह विवादास्पद कानून 1977 में निरस्त कर दिया गया था. उन दोनों को उनका ज्ञापन लेने के बाद पुलिस ने वहां से हटा दिया. भिलाई निवासी जोशी ने कहा कि वह और उनके पिता को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गये आपातकाल के दौरान 15 महीनों के लिए जेल में डाल दिया गया था. जोशी ने कहा कि तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहब देवरस ने आपातकाल के विरूद्ध सत्याग्रह की अपील की थी. उनकी अपील पर कई स्वयंसेवकों ने सत्याग्रह किया और बाद में उन्हें जेल में डाल दिया गया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं एक स्वयंसेवक हैं इसलिए उन्हें मीसा के तहत जेल में डाल दिये गये लोगों के बलिदान को नहीं भूलना चाहिए.

15 अक्टूबर को हेडगेवार स्मृति मंदिर पर आत्मदाह करने की धमकी
उन्होंने कहा कि हम आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत के माध्यम से प्रधानमंत्री से अनुरोध करना चाहते हैं कि सरकार को 'सम्मान निधि' देकर उन सभी का सम्मान करना चाहिए जिन्हें मीसा के तहत जेल में डाल दिया गया था. जोशी ने कहा कि कई बार संसद में इस मुद्दे को उठाया गया लेकिन कुछ भी सामने नहीं आया. उन्होंने कहा कि उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे एवं हिंदुत्ववादी नेता संभाजी भिड़े से मुलाकात की थी और दोनों ने पेंशन की मांग का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि मैंने मोहनजी भागवत को पत्र लिखकर कहा है कि यदि सरकार आपातकाल में मीसा के तहत जेल में डाल दिये गये लोगों के लिए 'सम्मान निधि' योजना नहीं शुरू करेगी तो मैं अपनी पत्नी के साथ 15 अक्टूबर को हेडगेवार स्मृति मंदिर पर आत्मदाह कर लूंगा.

इसे भी पढ़ें : ट्विटर पर बखेड़ा : आरएसएस प्रमुख भागवत के हैंडल का ब्लू टिक बहाल
जब इस संबंध में नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि जहां तक आरएसएस का संबंध है तो ऐसी (पेंशन) अवधारणा कभी रही ही नहीं. यह सरकार पर निर्भर करता है, क्या वह ऐसी पेंशन देना चाहती है. संघ का इस मांग से कोई लेना-देना नहीं है. उन्हें सरकार से संपर्क करना चाहिए.
(पीटीआई-भाषा)

नागपुर : हेडगेवार स्मृति मंदिर यहां रेशमबाग इलाके में आरएसएस के संस्थापक के बी हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक एम एस गोलवलकर को समर्पित स्मारक है. अवधूत जोशी (66) और उनकी पत्नी मंगला जोशी (62) 1975-77 में आपातकाल के दौरान मीसा कानून के तहत जेल में डाल दिये गये स्वयंसेवकों एवं अन्य के लिए सम्मान निधि (पेंशन) की मांग करते हुए सांकेतिक भूख हड़ताल के लिए स्मृति मंदिर गये थे.

मीसा कानून 1977 में निरस्त कर दिया गया था

यह विवादास्पद कानून 1977 में निरस्त कर दिया गया था. उन दोनों को उनका ज्ञापन लेने के बाद पुलिस ने वहां से हटा दिया. भिलाई निवासी जोशी ने कहा कि वह और उनके पिता को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गये आपातकाल के दौरान 15 महीनों के लिए जेल में डाल दिया गया था. जोशी ने कहा कि तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहब देवरस ने आपातकाल के विरूद्ध सत्याग्रह की अपील की थी. उनकी अपील पर कई स्वयंसेवकों ने सत्याग्रह किया और बाद में उन्हें जेल में डाल दिया गया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं एक स्वयंसेवक हैं इसलिए उन्हें मीसा के तहत जेल में डाल दिये गये लोगों के बलिदान को नहीं भूलना चाहिए.

15 अक्टूबर को हेडगेवार स्मृति मंदिर पर आत्मदाह करने की धमकी
उन्होंने कहा कि हम आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत के माध्यम से प्रधानमंत्री से अनुरोध करना चाहते हैं कि सरकार को 'सम्मान निधि' देकर उन सभी का सम्मान करना चाहिए जिन्हें मीसा के तहत जेल में डाल दिया गया था. जोशी ने कहा कि कई बार संसद में इस मुद्दे को उठाया गया लेकिन कुछ भी सामने नहीं आया. उन्होंने कहा कि उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे एवं हिंदुत्ववादी नेता संभाजी भिड़े से मुलाकात की थी और दोनों ने पेंशन की मांग का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि मैंने मोहनजी भागवत को पत्र लिखकर कहा है कि यदि सरकार आपातकाल में मीसा के तहत जेल में डाल दिये गये लोगों के लिए 'सम्मान निधि' योजना नहीं शुरू करेगी तो मैं अपनी पत्नी के साथ 15 अक्टूबर को हेडगेवार स्मृति मंदिर पर आत्मदाह कर लूंगा.

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जब इस संबंध में नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि जहां तक आरएसएस का संबंध है तो ऐसी (पेंशन) अवधारणा कभी रही ही नहीं. यह सरकार पर निर्भर करता है, क्या वह ऐसी पेंशन देना चाहती है. संघ का इस मांग से कोई लेना-देना नहीं है. उन्हें सरकार से संपर्क करना चाहिए.
(पीटीआई-भाषा)

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