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जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद होगा विधानसभा चुनाव : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने को लेकर बड़ा बयान दिया है. शाह ने कहा कि प्रदेश में परिसीमन का कार्य शुरू हो गया है और जल्द ही हम चुनाव कराएंगे.

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अमित शाह
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Published : Jan 22, 2022, 3:58 PM IST

Updated : Jan 22, 2022, 9:22 PM IST

नई दिल्ली/श्रीनगर : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में मौजूदा परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा और केंद्रशासित प्रदेश में स्थिति सामान्य होने पर राज्य का इसका दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. उन्होंने भारत का पहला 'जिला सुशासन सूचकांक' वर्चुअल रूप से जारी करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता है और केंद्रशासित प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं.

शाह ने कहा, जहां तक ​​लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सवाल है, परिसीमन प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसके पूरा होने के बाद हम (विधानसभा) चुनाव कराएंगे. उन्होंने कहा, कुछ लोगों ने बहुत सी बातें कही हैं, लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैंने संसद में आश्वासन दिया था कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के बाद, जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा.

शाह ने कहा कि कुछ लोग घाटी के लोगों के मन में भ्रम पैदा करना चाहते हैं और वह सभी से अनुरोध करना चाहते हैं कि वे उनके झांसे में न आएं. उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद लोकतंत्र समाज के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया है और इसलिए कुछ लोग चिंतित हैं. शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का विकास लोकतंत्र से ही हो सकता है और लोग खुश रह सकते हैं तथा युवाओं को भी लोकतंत्र से रोजगार मिल सकता है.

गृह मंत्री ने कहा, 'लेकिन लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए, जम्मू-कश्मीर में शांति आवश्यक है. मैं जम्मू-कश्मीर के युवाओं से अपील करना चाहता हूं कि वे निहित स्वार्थों के बयानों के बहकावे में न आएं. मैं युवाओं से कहना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास रखें, जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर विश्वास रखें.' शाह ने कहा कि कुछ लोग अपने संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए झूठ फैला रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'मैं सभी से, खासकर युवाओं से अपील करना चाहता हूं कि इन लोगों से कुछ सवाल पूछें. जो लोग कह रहे हैं कि घाटी की जमीन हड़प ली जाएगी, उनसे पूछा जाना चाहिए कि अब तक किसकी जमीन छीनी गई है. इस तरह के झूठ फैलाकर वे जम्मू-कश्मीर के विकास में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं.' शाह ने कहा, जो लोग कह रहे थे कि हिंसा बढ़ेगी. उनसे पूछा जाना चाहिए कि हिंसा बढ़ी है या कम हुई है. उन्होंने कहा था कि कोई निवेश नहीं आएगा, लेकिन तथ्य यह है कि पहले ही 12,000 करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है. पर्यटकों का आगमन भी बढ़ा है और जम्मू-कश्मीर विकास की ओर बढ़ रहा है.

गृह मंत्री ने कहा कि अगस्त 2019 (जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया) तक जम्मू-कश्मीर में 87 विधायक और छह सांसद चुने जा रहे थे तथा केवल तीन परिवार तत्कालीन राज्य पर शासन कर रहे थे. उन्होंने कहा, अब, 30,000 जनप्रतिनिधि (पंचायत सदस्य) लोगों की सेवा कर रहे हैं. पंचायती राज अधिनियम के कार्यान्वयन का लाभ जम्मू-कश्मीर के लोगों के सामने है. अधिनियम के लागू होने के बाद तेजी से विकास हुआ है.

यह भी पढ़ें- सूर्य नमस्कार पर जम्मू कश्मीर प्रशासन के आदेश की राजनीतिक, धार्मिक समूहों ने आलोचना की

गृह मंत्री ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था लागू होने से कुछ राजनीतिक दल आहत हैं और इन लोगों ने कहा है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग तो इस हद तक जा चुके हैं कि यह कह रहे हैं कि जब तक अनुच्छेद 370 को बहाल नहीं किया जाता, तब तक जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था कभी अच्छी नहीं हो सकती.

शाह ने कहा, 'मैं उन सभी को बताना चाहता हूं कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में 40 प्रतिशत और मौतों में 57 प्रतिशत की कमी आई है. यह दर्शाता है कि शांति का संबंधित बदलाव से कोई संबंध नहीं है. शांति का प्रशासन से संबंध है. जब लोगों को अच्छा प्रशासन मिलता है, तो लोग प्रशासन से जुड़ जाते हैं.'

जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने शाह के बयान को बताया विरोधाभासी
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों ने अमित शाह के इस बयान को खुद में विरोधाभासी करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा और स्थिति सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का इसका दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. पुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर कहा, 'एक झूठी सामान्य स्थिति बनाने के लिए जम्मू कश्मीर के लोगों को आतंकित करने के बाद, भारत सरकार का यह स्वीकार करना कि स्थिति अभी भी सामान्य नहीं है, खुद में विरोधाभासी बयान है.'

शाह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने सवाल किया कि सामान्य स्थिति को कौन परिभाषित करेगा. लोन ने ट्विटर पर कहा, 'सामान्य स्थिति को कौन परिभाषित करेगा? और एक संघीय ढांचे में, क्या हम वास्तव में सत्ता हासिल करने के बहाने के रूप में सामान्य स्थिति का उपयोग कर सकते हैं. पूर्ण राज्य का दर्जा के बगैर प्रत्येक दिन संघवाद का अपमान है.'

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता एम. वाई. तारिगामी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को सहभागिता और प्रतिनिधित्व के अधिकार से वंचित किया जा रहा है, जो सुशासन के मूलभूत सिद्धांतों में एक है.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली/श्रीनगर : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में मौजूदा परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा और केंद्रशासित प्रदेश में स्थिति सामान्य होने पर राज्य का इसका दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. उन्होंने भारत का पहला 'जिला सुशासन सूचकांक' वर्चुअल रूप से जारी करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता है और केंद्रशासित प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं.

शाह ने कहा, जहां तक ​​लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सवाल है, परिसीमन प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसके पूरा होने के बाद हम (विधानसभा) चुनाव कराएंगे. उन्होंने कहा, कुछ लोगों ने बहुत सी बातें कही हैं, लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैंने संसद में आश्वासन दिया था कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के बाद, जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा.

शाह ने कहा कि कुछ लोग घाटी के लोगों के मन में भ्रम पैदा करना चाहते हैं और वह सभी से अनुरोध करना चाहते हैं कि वे उनके झांसे में न आएं. उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद लोकतंत्र समाज के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया है और इसलिए कुछ लोग चिंतित हैं. शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का विकास लोकतंत्र से ही हो सकता है और लोग खुश रह सकते हैं तथा युवाओं को भी लोकतंत्र से रोजगार मिल सकता है.

गृह मंत्री ने कहा, 'लेकिन लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए, जम्मू-कश्मीर में शांति आवश्यक है. मैं जम्मू-कश्मीर के युवाओं से अपील करना चाहता हूं कि वे निहित स्वार्थों के बयानों के बहकावे में न आएं. मैं युवाओं से कहना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास रखें, जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर विश्वास रखें.' शाह ने कहा कि कुछ लोग अपने संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए झूठ फैला रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'मैं सभी से, खासकर युवाओं से अपील करना चाहता हूं कि इन लोगों से कुछ सवाल पूछें. जो लोग कह रहे हैं कि घाटी की जमीन हड़प ली जाएगी, उनसे पूछा जाना चाहिए कि अब तक किसकी जमीन छीनी गई है. इस तरह के झूठ फैलाकर वे जम्मू-कश्मीर के विकास में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं.' शाह ने कहा, जो लोग कह रहे थे कि हिंसा बढ़ेगी. उनसे पूछा जाना चाहिए कि हिंसा बढ़ी है या कम हुई है. उन्होंने कहा था कि कोई निवेश नहीं आएगा, लेकिन तथ्य यह है कि पहले ही 12,000 करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है. पर्यटकों का आगमन भी बढ़ा है और जम्मू-कश्मीर विकास की ओर बढ़ रहा है.

गृह मंत्री ने कहा कि अगस्त 2019 (जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया) तक जम्मू-कश्मीर में 87 विधायक और छह सांसद चुने जा रहे थे तथा केवल तीन परिवार तत्कालीन राज्य पर शासन कर रहे थे. उन्होंने कहा, अब, 30,000 जनप्रतिनिधि (पंचायत सदस्य) लोगों की सेवा कर रहे हैं. पंचायती राज अधिनियम के कार्यान्वयन का लाभ जम्मू-कश्मीर के लोगों के सामने है. अधिनियम के लागू होने के बाद तेजी से विकास हुआ है.

यह भी पढ़ें- सूर्य नमस्कार पर जम्मू कश्मीर प्रशासन के आदेश की राजनीतिक, धार्मिक समूहों ने आलोचना की

गृह मंत्री ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था लागू होने से कुछ राजनीतिक दल आहत हैं और इन लोगों ने कहा है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग तो इस हद तक जा चुके हैं कि यह कह रहे हैं कि जब तक अनुच्छेद 370 को बहाल नहीं किया जाता, तब तक जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था कभी अच्छी नहीं हो सकती.

शाह ने कहा, 'मैं उन सभी को बताना चाहता हूं कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में 40 प्रतिशत और मौतों में 57 प्रतिशत की कमी आई है. यह दर्शाता है कि शांति का संबंधित बदलाव से कोई संबंध नहीं है. शांति का प्रशासन से संबंध है. जब लोगों को अच्छा प्रशासन मिलता है, तो लोग प्रशासन से जुड़ जाते हैं.'

जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने शाह के बयान को बताया विरोधाभासी
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों ने अमित शाह के इस बयान को खुद में विरोधाभासी करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा और स्थिति सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का इसका दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. पुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर कहा, 'एक झूठी सामान्य स्थिति बनाने के लिए जम्मू कश्मीर के लोगों को आतंकित करने के बाद, भारत सरकार का यह स्वीकार करना कि स्थिति अभी भी सामान्य नहीं है, खुद में विरोधाभासी बयान है.'

शाह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने सवाल किया कि सामान्य स्थिति को कौन परिभाषित करेगा. लोन ने ट्विटर पर कहा, 'सामान्य स्थिति को कौन परिभाषित करेगा? और एक संघीय ढांचे में, क्या हम वास्तव में सत्ता हासिल करने के बहाने के रूप में सामान्य स्थिति का उपयोग कर सकते हैं. पूर्ण राज्य का दर्जा के बगैर प्रत्येक दिन संघवाद का अपमान है.'

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता एम. वाई. तारिगामी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को सहभागिता और प्रतिनिधित्व के अधिकार से वंचित किया जा रहा है, जो सुशासन के मूलभूत सिद्धांतों में एक है.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Jan 22, 2022, 9:22 PM IST
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