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DU शताब्दी समारोह : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बोले-हमें विश्व गुरु बनना है, सत्ता पर कब्जा नहीं करना

दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित शताब्दी कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने पूरे विश्व में भारत को विश्व गुरु बनाया है. हम किसी सत्ता पर कब्जा करने के हित में नहीं हैं. भारत ने हमेशा शांति और भाईचारे की वकालत की है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Delhi University Centenary Celebrations
दिल्ली विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह
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Published : May 1, 2022, 5:16 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने के मौके पर शताब्दी कार्यक्रम का उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उद्घाटन किया. इस मौके पर दिल्ली यूनिवर्सिटी का पोस्ट एल्बम लॉन्च किया गया. इसके साथ ही दिल्ली यूनिवर्सिटी का क्वाइन लॉन्च किया गया. शताब्दी वर्ष पर 100 रुपये का क्वाइन जारी किया गया. दिल्ली यूनिवर्सिटी का ब्रोशर तीन भाषाओं में जारी किया गया. स्नातक पाठ्यक्रम करिकुलम हिंदी, इंग्लिश और तेलगू भाषा में जारी किया गया. दिल्ली यूनिवर्सिटी पर बनाई गई लघु फिल्म दिखाई गई.

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे करने को लेकर सभी को शुभकामनाएं दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में ऐसे चुनिंदा शैक्षिक संस्थान हैं, जिनकी आयु 100 वर्ष है. इन्हीं में से एक दिल्ली विश्वविद्यालय भी है. दिल्ली विश्वविद्यालय का देश की आजादी में भी काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. शहीद-ए-आजम भगत सिंह को अंग्रेजों ने यहां पर कैद कर रखा था. सेंट स्टीफेंस कॉलेज में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आया करते थे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि पूर्व में भारत की ज्ञान परंपरा का समृद्ध इतिहास रहा है.

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने किया विद्यार्थियों को संबोधित.

नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने पूरे विश्व में भारत को विश्व गुरु बनाया है. हम किसी सत्ता पर कब्जा करने के हित में नहीं हैं. भारत ने हमेशा शांति और भाईचारे की वकालत की है. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने डीयू के शताब्दी वर्ष समारोह में संबोधित करते हुए कहा कि हमें विश्व गुरु बनना है, लेकिन किसी की सत्ता पर कब्जा करना हमारा उद्देश्य नहीं और न ही भारत ने अतीत में कभी ऐसा किया है. उन्होंने कहा कि शिक्षा ज्ञान का माध्यम है. दिल्ली विश्वविद्यालय ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई है.

डीयू के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि आजकल अंग्रेजी भाषा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है. अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं हूं, पर हमें अपनी मातृभाषा का ज्ञान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हाई स्कूल की शिक्षा और स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक कार्य मातृभाषा में होना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो विचार मातृभाषा में आ सकते हैं जो चीजें मातृभाषा में समझ आ सकती है वह किसी अन्य भाषा में समझ नहीं आ सकती हैं. साथ ही कहा कि संस्कार और संस्कृति जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं. उज्जवल भविष्य के लिए संस्कृति, संस्कार और मातृभाषा का ज्ञान आवश्यक है. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि कम से कम हमें घर में अपनी मातृभाषा में बात करनी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमें अपने भारतीय व्यंजन और संस्कृति को भी प्रोत्साहित करना चाहिए.

ये भी पढ़ें - जानिये दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 वर्षाें का इतिहास

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि अगर कोई विदेश जाना चाहता है तो जाए. पढ़ें-लिखें-कमाएंं और मातृभूमि को लौटाएं, देश को आगे बढ़ाने के लिए पूरा योगदान दें. उन्होंने कहा कि परफॉर्म, रिफॉर्म और ट्रांसफॉर्म पर छात्र अपनी प्रतिभा का परिचय दें. इसके अलावा उन्होंने प्रकृति में हो रहे बदलाव के बारे में भी कहा कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए. मौजूदा समय में क्लाइमेट चेंज सबसे बड़ी चुनौती है. साथ ही उन्होंने कहा कि गांव में कोविड-19 के समय में इतना प्रभाव नहीं रहा जितना शहरों में कोविड-19 का प्रभाव देखने को मिला है क्योंकि गांव के लोग प्रकृति के साथ रहते हैं और मेहनत करते हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह हमें अपना प्रकृति के साथ जुड़ाव बनाए रखना है. एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि आज पानी की भी काफी कमी देखने को मिल रही है. लोग अब प्लांटेशन की बात कर रहे हैं, लेकिन हमें इन चीजों को गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है.

शताब्दी वर्ष के मौके पर उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू के द्वारा शताब्दी स्मारक सिक्का, डाक टिकट और सेंटेनरी वेबसाइट जारी की गई है. इसके अलावा स्नातक करिकुलम फ्रेमवर्क तीन भाषाओं में जारी की गई है. जिसमें हिंदी, इंग्लिश और तेलगू भाषा शामिल है. साथ ही विश्वविद्यालय ने 100 वर्ष पूर्ण होने पर उन छात्रों को भी सौगात दी है. जो किसी कारण से अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाए हैं. उन्होंने डिग्री पूरा करने का एक मौका दिया जा रहा है. वहीं यह शताब्दी वर्ष का जश्न 30 अप्रैल 2023 तक जारी रहेगा.

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने के मौके पर शताब्दी कार्यक्रम का उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उद्घाटन किया. इस मौके पर दिल्ली यूनिवर्सिटी का पोस्ट एल्बम लॉन्च किया गया. इसके साथ ही दिल्ली यूनिवर्सिटी का क्वाइन लॉन्च किया गया. शताब्दी वर्ष पर 100 रुपये का क्वाइन जारी किया गया. दिल्ली यूनिवर्सिटी का ब्रोशर तीन भाषाओं में जारी किया गया. स्नातक पाठ्यक्रम करिकुलम हिंदी, इंग्लिश और तेलगू भाषा में जारी किया गया. दिल्ली यूनिवर्सिटी पर बनाई गई लघु फिल्म दिखाई गई.

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे करने को लेकर सभी को शुभकामनाएं दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में ऐसे चुनिंदा शैक्षिक संस्थान हैं, जिनकी आयु 100 वर्ष है. इन्हीं में से एक दिल्ली विश्वविद्यालय भी है. दिल्ली विश्वविद्यालय का देश की आजादी में भी काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. शहीद-ए-आजम भगत सिंह को अंग्रेजों ने यहां पर कैद कर रखा था. सेंट स्टीफेंस कॉलेज में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आया करते थे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि पूर्व में भारत की ज्ञान परंपरा का समृद्ध इतिहास रहा है.

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने किया विद्यार्थियों को संबोधित.

नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने पूरे विश्व में भारत को विश्व गुरु बनाया है. हम किसी सत्ता पर कब्जा करने के हित में नहीं हैं. भारत ने हमेशा शांति और भाईचारे की वकालत की है. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने डीयू के शताब्दी वर्ष समारोह में संबोधित करते हुए कहा कि हमें विश्व गुरु बनना है, लेकिन किसी की सत्ता पर कब्जा करना हमारा उद्देश्य नहीं और न ही भारत ने अतीत में कभी ऐसा किया है. उन्होंने कहा कि शिक्षा ज्ञान का माध्यम है. दिल्ली विश्वविद्यालय ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई है.

डीयू के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि आजकल अंग्रेजी भाषा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है. अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं हूं, पर हमें अपनी मातृभाषा का ज्ञान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हाई स्कूल की शिक्षा और स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक कार्य मातृभाषा में होना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो विचार मातृभाषा में आ सकते हैं जो चीजें मातृभाषा में समझ आ सकती है वह किसी अन्य भाषा में समझ नहीं आ सकती हैं. साथ ही कहा कि संस्कार और संस्कृति जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं. उज्जवल भविष्य के लिए संस्कृति, संस्कार और मातृभाषा का ज्ञान आवश्यक है. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि कम से कम हमें घर में अपनी मातृभाषा में बात करनी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमें अपने भारतीय व्यंजन और संस्कृति को भी प्रोत्साहित करना चाहिए.

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उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि अगर कोई विदेश जाना चाहता है तो जाए. पढ़ें-लिखें-कमाएंं और मातृभूमि को लौटाएं, देश को आगे बढ़ाने के लिए पूरा योगदान दें. उन्होंने कहा कि परफॉर्म, रिफॉर्म और ट्रांसफॉर्म पर छात्र अपनी प्रतिभा का परिचय दें. इसके अलावा उन्होंने प्रकृति में हो रहे बदलाव के बारे में भी कहा कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए. मौजूदा समय में क्लाइमेट चेंज सबसे बड़ी चुनौती है. साथ ही उन्होंने कहा कि गांव में कोविड-19 के समय में इतना प्रभाव नहीं रहा जितना शहरों में कोविड-19 का प्रभाव देखने को मिला है क्योंकि गांव के लोग प्रकृति के साथ रहते हैं और मेहनत करते हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह हमें अपना प्रकृति के साथ जुड़ाव बनाए रखना है. एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि आज पानी की भी काफी कमी देखने को मिल रही है. लोग अब प्लांटेशन की बात कर रहे हैं, लेकिन हमें इन चीजों को गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है.

शताब्दी वर्ष के मौके पर उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू के द्वारा शताब्दी स्मारक सिक्का, डाक टिकट और सेंटेनरी वेबसाइट जारी की गई है. इसके अलावा स्नातक करिकुलम फ्रेमवर्क तीन भाषाओं में जारी की गई है. जिसमें हिंदी, इंग्लिश और तेलगू भाषा शामिल है. साथ ही विश्वविद्यालय ने 100 वर्ष पूर्ण होने पर उन छात्रों को भी सौगात दी है. जो किसी कारण से अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाए हैं. उन्होंने डिग्री पूरा करने का एक मौका दिया जा रहा है. वहीं यह शताब्दी वर्ष का जश्न 30 अप्रैल 2023 तक जारी रहेगा.

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