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Delhi Services Bill : दिल्ली सर्विस बिल लोकसभा में पेश, नवीन पटनायक की पार्टी करेगी समर्थन

विरोध और हंगामे के बीच दिल्ली सर्विस संशोधन बिल सरकार ने पेश कर दिया. इस पर बुधवार को बहस हो सकती है. इस बिल का बीजू जनता दल ने समर्थन किया है. इस समर्थन के बाद बिल के पारित होने की संभावना बढ़ गई है. विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया.

delhi Service Bill, Design Photo
दिल्ली सर्विस बिल, डिजाइन फोटो
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Published : Aug 1, 2023, 5:28 PM IST

नई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 पेश किया गया. यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया है.

निचले सदन में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विधेयक पेश किया. विधेयक पेश किये जाने का कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर एवं गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी आदि ने विरोध किया. विधेयक पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है.

विरोध का कोई आधार नहीं - अमित शाह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के हवाले से इसे पेश किये जाने का विरोध किया जा रहा है, लेकिन उसी आदेश के पैरा 6, पैरा 95 में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि संसद, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए कोई कानून बना सकती है. शाह ने कहा कि विधेयक पेश किये जाने के खिलाफ सारी आपत्तियां राजनीतिक हैं और इनका कोई संवैधानिक आधार नहीं है, संसद के नियमों के तहत भी इनका कोई आधार नहीं है. इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किये जाने की मंजूरी दे दी.

अधीर रंजन चौधरी ने किया विरोध - इससे पहले, विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत सेवा संबंधी विषय राज्य के अधीन होना चाहिए, ऐसे में यह विधेयक अमल में आने पर दिल्ली राज्य की शक्ति को ले लेगा. चौधरी ने कहा कि यह सहकारी संघवाद की कब्रगाह बनने वाला है.

एनके प्रेमचंद्रन - आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किये जाने का तीन बिन्दुओं पर विरोध कर रहे हैं. इसमें पहला सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत है. उन्होंने कहा कि इस सदन को इस प्रकार का कानून बनाने की विधायी शक्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि यह संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है और दिल्ली राज्य की शक्तियों को कमतर करने वाला है.

प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने का प्रयास है. विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने चुटीली टिप्पणी की कि सबसे पहले वह विपक्ष के शुक्रगुजार हैं कि बगैर प्रधानमंत्री के सदन में आए, उन्होंने सदन चलने दिया. उन्होंने कहा कि एक सामान्य विधेयक के माध्यम से संविधान में संशोधन नहीं किया जा सकता है तथा यह अधिकारों के विभाजन के सिद्धांतों के भी खिलाफ है.

टीएमसी का विरोध - तृणतूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किये जाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह संसद की विधायी शक्ति से बाहर का विषय है. उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है और पूरी तरह से मनमाना है. कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से गैर कानूनी है. कांग्रेस के ही शशि थरूर ने कहा कि यह दिल्ली सरकार को कमतर करने का प्रयास है तथा संविधान सम्मत संघवाद के सिद्धांत को कमतर करता है.

बीजद ने किया समर्थन - बीजू जनता दल (बीजद) के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि सरकार जो विधेयक लेकर आई है, वह पूरी तरह से विधायी शक्ति के अधीन है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के तहत भी ऐसा किया जा सकता है. मिश्रा ने विरोध करने वाले दलों के सदस्यों से कहा कि आप इसके (विधेयक) खिलाफ मतदान कर सकते हैं लेकिन इसे पेश करने को चुनौती नहीं दे सकते हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक’ को स्वीकृति दी थी. यह 19 मई को केंद्र द्वारा लाये गये अध्यादेश की जगह लेने के लिए पेश किया गया है.

क्या कहा भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने, यहां देखें

  • #WATCH | "...Arguments of opposition are baseless...they're misleading the people...Delhi is a union territory...so centre has the primacy...opposition actually has nothing left to say so they're trying to mislead the people..": Union Minister Meenakshi Lekhi on Delhi Services… pic.twitter.com/YsSdoUrwWm

    — ANI (@ANI) August 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या कहा एलजेपी सांसद चिराग पासवान ने, यहां देखें

  • #WATCH | "Who will go to which side from the alliance I.N.D.I.A have formed is the bigger question...The way transfer posting has been turned into a game and the wrongdoing done in the transfer posting should be stopped," says LJP ((Ram Vilas) President Chirag Paswan. pic.twitter.com/EuMWzksSVL

    — ANI (@ANI) August 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या कहा कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने, यहां देखें

  • #WATCH | "When the Government itself has been challenged, no bill should be passed, in such situation substantive motion shouldn't be passed. This is not only unconventional but also illegal," says Rajya Sabha Member and Congress leader Digvijaya Singh. pic.twitter.com/D4e5OI4sYL

    — ANI (@ANI) August 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या कहा कांग्रेस सांसद शथि थरूर ने, यहां देखें

  • #WATCH | "A brief introduction on the Delhi (NCT) Ordinance Bill happened in the Parliament today and not the debate on it. It's our right to oppose the introduction and 5-6 members of the opposition tried to oppose it. One of the parties, got up as an opposition and supported… pic.twitter.com/vpKuP3Ljvp

    — ANI (@ANI) August 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बीजू जनता दल (बीजद) के राज्यसभा सदस्य सस्मित पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली सेवा अध्यादेश संबंधी विधेयक का समर्थन करेगी और सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करेगी. ओडिशा के सत्ताधारी दल के फैसले से नरेन्द्र मोदी सरकार को राज्यसभा में बहुमत प्राप्त करने की दिशा में मदद मिलेगी. राज्यभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन को बहुमत प्राप्त नहीं है. उच्च सदन में बीजू जनता दल के नौ सदस्य हैं. उच्च सदन में सत्तारूढ़ गठबंधन के 100 सदस्य हैं. वहीं उसे मनोनीत सदस्यों और कुछ निर्दलीय सदस्यों के साथ ऐसे दलों से समर्थन मिलने की उम्मीद है जो सत्तापक्ष एवं विपक्षी खेमे दोनों से अलग हैं. ऐसे दलों ने विभिन्न मुद्दों पर कई बार सरकार के पक्ष में मतदान किया है.

  • #WATCH | "Biju Janata Dal has decided to support the passing of the Delhi bill (Delhi Services Bill) and we will be opposing the no-confidence motion brought by the opposition. In this regard, a three-line whip has been issued by the party, both through the Rajya Sabha and Lok… pic.twitter.com/W3ezPdGta3

    — ANI (@ANI) August 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आप का विरोध - दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश का कड़ा विरोध किया है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी इस अध्यादेश के विरुद्ध हैं. केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लाई थी. इससे एक सप्ताह पहले उच्चतम न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को सेवा से जुड़े मामलों का नियंत्रण प्रदान कर दिया था, हालांकि उसे पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से जुड़े विषय नहीं दिये गए. शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे.

आम आदमी पार्टी ने विधेयक को अलोकतांत्रिक दस्तावेज़ करार देते हुए कहा कि यह लोकतंत्र को बाबूशाही में तब्दील कर देगा. आप के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि यह विधेयक पिछले अध्यादेश से भी बदतर है तथा हमारे लोकतंत्र, संविधान और दिल्ली के लोगों के लिए ज्यादा खराब है. चड्ढा ने कहा, 'यह भारत के संघीय ढांचे, लोकतंत्र और संविधान पर हमला है.'

क्या है अध्यादेश - इस अध्यादेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण नाम का एक प्राधिकार होगा, जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा. यह विधेयक कानून बनने के बाद उपराज्यपाल को यह अधिकार प्रदान करेगा कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले और तैनाती में अंतिम निर्णय उनका ही होगा. कैबिनेट ने 25 जुलाई को इस विधेयक को मंजूरी दी थी. विधेयक कानून बनने पर इस साल मई में आए उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलट देगा जो प्रशासनिक सेवाओं को लेकर निर्णय करने का अधिकार दिल्ली सरकार को देता है.

ये भी पढ़ें : Parliament Monsoon Session: लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर 8-10 अगस्त को होगी चर्चा, इस दिन पीएम मोदी देंगे जवाब

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 पेश किया गया. यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया है.

निचले सदन में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विधेयक पेश किया. विधेयक पेश किये जाने का कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर एवं गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी आदि ने विरोध किया. विधेयक पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है.

विरोध का कोई आधार नहीं - अमित शाह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के हवाले से इसे पेश किये जाने का विरोध किया जा रहा है, लेकिन उसी आदेश के पैरा 6, पैरा 95 में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि संसद, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए कोई कानून बना सकती है. शाह ने कहा कि विधेयक पेश किये जाने के खिलाफ सारी आपत्तियां राजनीतिक हैं और इनका कोई संवैधानिक आधार नहीं है, संसद के नियमों के तहत भी इनका कोई आधार नहीं है. इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किये जाने की मंजूरी दे दी.

अधीर रंजन चौधरी ने किया विरोध - इससे पहले, विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत सेवा संबंधी विषय राज्य के अधीन होना चाहिए, ऐसे में यह विधेयक अमल में आने पर दिल्ली राज्य की शक्ति को ले लेगा. चौधरी ने कहा कि यह सहकारी संघवाद की कब्रगाह बनने वाला है.

एनके प्रेमचंद्रन - आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किये जाने का तीन बिन्दुओं पर विरोध कर रहे हैं. इसमें पहला सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत है. उन्होंने कहा कि इस सदन को इस प्रकार का कानून बनाने की विधायी शक्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि यह संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है और दिल्ली राज्य की शक्तियों को कमतर करने वाला है.

प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने का प्रयास है. विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने चुटीली टिप्पणी की कि सबसे पहले वह विपक्ष के शुक्रगुजार हैं कि बगैर प्रधानमंत्री के सदन में आए, उन्होंने सदन चलने दिया. उन्होंने कहा कि एक सामान्य विधेयक के माध्यम से संविधान में संशोधन नहीं किया जा सकता है तथा यह अधिकारों के विभाजन के सिद्धांतों के भी खिलाफ है.

टीएमसी का विरोध - तृणतूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किये जाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह संसद की विधायी शक्ति से बाहर का विषय है. उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है और पूरी तरह से मनमाना है. कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से गैर कानूनी है. कांग्रेस के ही शशि थरूर ने कहा कि यह दिल्ली सरकार को कमतर करने का प्रयास है तथा संविधान सम्मत संघवाद के सिद्धांत को कमतर करता है.

बीजद ने किया समर्थन - बीजू जनता दल (बीजद) के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि सरकार जो विधेयक लेकर आई है, वह पूरी तरह से विधायी शक्ति के अधीन है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के तहत भी ऐसा किया जा सकता है. मिश्रा ने विरोध करने वाले दलों के सदस्यों से कहा कि आप इसके (विधेयक) खिलाफ मतदान कर सकते हैं लेकिन इसे पेश करने को चुनौती नहीं दे सकते हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक’ को स्वीकृति दी थी. यह 19 मई को केंद्र द्वारा लाये गये अध्यादेश की जगह लेने के लिए पेश किया गया है.

क्या कहा भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने, यहां देखें

  • #WATCH | "...Arguments of opposition are baseless...they're misleading the people...Delhi is a union territory...so centre has the primacy...opposition actually has nothing left to say so they're trying to mislead the people..": Union Minister Meenakshi Lekhi on Delhi Services… pic.twitter.com/YsSdoUrwWm

    — ANI (@ANI) August 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या कहा एलजेपी सांसद चिराग पासवान ने, यहां देखें

  • #WATCH | "Who will go to which side from the alliance I.N.D.I.A have formed is the bigger question...The way transfer posting has been turned into a game and the wrongdoing done in the transfer posting should be stopped," says LJP ((Ram Vilas) President Chirag Paswan. pic.twitter.com/EuMWzksSVL

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क्या कहा कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने, यहां देखें

  • #WATCH | "When the Government itself has been challenged, no bill should be passed, in such situation substantive motion shouldn't be passed. This is not only unconventional but also illegal," says Rajya Sabha Member and Congress leader Digvijaya Singh. pic.twitter.com/D4e5OI4sYL

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क्या कहा कांग्रेस सांसद शथि थरूर ने, यहां देखें

  • #WATCH | "A brief introduction on the Delhi (NCT) Ordinance Bill happened in the Parliament today and not the debate on it. It's our right to oppose the introduction and 5-6 members of the opposition tried to oppose it. One of the parties, got up as an opposition and supported… pic.twitter.com/vpKuP3Ljvp

    — ANI (@ANI) August 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बीजू जनता दल (बीजद) के राज्यसभा सदस्य सस्मित पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली सेवा अध्यादेश संबंधी विधेयक का समर्थन करेगी और सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करेगी. ओडिशा के सत्ताधारी दल के फैसले से नरेन्द्र मोदी सरकार को राज्यसभा में बहुमत प्राप्त करने की दिशा में मदद मिलेगी. राज्यभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन को बहुमत प्राप्त नहीं है. उच्च सदन में बीजू जनता दल के नौ सदस्य हैं. उच्च सदन में सत्तारूढ़ गठबंधन के 100 सदस्य हैं. वहीं उसे मनोनीत सदस्यों और कुछ निर्दलीय सदस्यों के साथ ऐसे दलों से समर्थन मिलने की उम्मीद है जो सत्तापक्ष एवं विपक्षी खेमे दोनों से अलग हैं. ऐसे दलों ने विभिन्न मुद्दों पर कई बार सरकार के पक्ष में मतदान किया है.

  • #WATCH | "Biju Janata Dal has decided to support the passing of the Delhi bill (Delhi Services Bill) and we will be opposing the no-confidence motion brought by the opposition. In this regard, a three-line whip has been issued by the party, both through the Rajya Sabha and Lok… pic.twitter.com/W3ezPdGta3

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आप का विरोध - दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश का कड़ा विरोध किया है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी इस अध्यादेश के विरुद्ध हैं. केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लाई थी. इससे एक सप्ताह पहले उच्चतम न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को सेवा से जुड़े मामलों का नियंत्रण प्रदान कर दिया था, हालांकि उसे पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से जुड़े विषय नहीं दिये गए. शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे.

आम आदमी पार्टी ने विधेयक को अलोकतांत्रिक दस्तावेज़ करार देते हुए कहा कि यह लोकतंत्र को बाबूशाही में तब्दील कर देगा. आप के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि यह विधेयक पिछले अध्यादेश से भी बदतर है तथा हमारे लोकतंत्र, संविधान और दिल्ली के लोगों के लिए ज्यादा खराब है. चड्ढा ने कहा, 'यह भारत के संघीय ढांचे, लोकतंत्र और संविधान पर हमला है.'

क्या है अध्यादेश - इस अध्यादेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण नाम का एक प्राधिकार होगा, जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा. यह विधेयक कानून बनने के बाद उपराज्यपाल को यह अधिकार प्रदान करेगा कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले और तैनाती में अंतिम निर्णय उनका ही होगा. कैबिनेट ने 25 जुलाई को इस विधेयक को मंजूरी दी थी. विधेयक कानून बनने पर इस साल मई में आए उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलट देगा जो प्रशासनिक सेवाओं को लेकर निर्णय करने का अधिकार दिल्ली सरकार को देता है.

ये भी पढ़ें : Parliament Monsoon Session: लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर 8-10 अगस्त को होगी चर्चा, इस दिन पीएम मोदी देंगे जवाब

(पीटीआई-भाषा)

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