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'सोची-समझी साजिश थी दिल्ली दंगे, CCTV तोड़ना भी प्लानिंग का हिस्सा': हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वीडियो के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का आचरण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ये सरकार के कामकाज को अस्त-व्यस्त करने के साथ-साथ शहर के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए पहले से प्लान किए बैठे थे, यानी पूरी तरह सोची समझी साजिश थी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
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Published : Sep 28, 2021, 11:31 AM IST

नई दिल्ली: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. अदालत ने कहा है कि दिल्ली में जो हिंसा हुई, वह अचानक नहीं हुई बल्कि एक सुनियोजित ढंग से की गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस दौरान हिंसा की कुछ वीडियो का हवाला भी दिया.

दरअसल, सोमवार को एक दिल्ली हिंसा के आरोपी की जमानत याचिका रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने ये अहम टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने के लिए इस तरह सुनोयोजित ढंग से हिंसा की गई थी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वीडियो के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का आचरण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ये सरकार के कामकाज को अस्त-व्यस्त करने के साथ-साथ शहर के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए पहले से प्लान किए बैठे थे, यानी पूरी तरह सोची समझी साजिश थी. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्थित रूप से तोड़फोड़ भी शहर में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए पहले से प्लान की गई साजिश को कन्फर्म करता है.

'बेरहमी से पुलिस पर हमला किया गया'

दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये इस तथ्य से भी स्पष्ट है कि सैकड़ों दंगाइयों ने बेरहमी से पुलिस के एक दल पर लाठियों डंडों, हॉकी स्टिक और बैट से हमला किया. विरोध प्रदर्शन के दौरान आरोपी कथित तौर पर तलवार लिए हुए था. हालांकि, आरोपी के वकील ने तर्क दिया था कि हालांकि रतन लाल की मौत तलवार के वार से नहीं हुई थी. जैसा कि रिपोर्ट में उनकी चोटों को लेकर बताया गया था और आरोपी ने केवल अपनी और परिवार की रक्षा के लिए तलवार उठाई थी.

हाईकोर्ट ने कहा कि निर्णायक सबूत जो कोर्ट को आरोपी की कैद को बढ़ाने की ओर झुकता है वो ये है कि उसके द्वारा लिए जा रहे हथियार गंभीर चोट या मौत का कारण बन सकता है और ये प्रथम दृष्टया जानलेवा खतरनाक हथियार है.

नई दिल्ली: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. अदालत ने कहा है कि दिल्ली में जो हिंसा हुई, वह अचानक नहीं हुई बल्कि एक सुनियोजित ढंग से की गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस दौरान हिंसा की कुछ वीडियो का हवाला भी दिया.

दरअसल, सोमवार को एक दिल्ली हिंसा के आरोपी की जमानत याचिका रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने ये अहम टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने के लिए इस तरह सुनोयोजित ढंग से हिंसा की गई थी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वीडियो के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का आचरण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ये सरकार के कामकाज को अस्त-व्यस्त करने के साथ-साथ शहर के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए पहले से प्लान किए बैठे थे, यानी पूरी तरह सोची समझी साजिश थी. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्थित रूप से तोड़फोड़ भी शहर में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए पहले से प्लान की गई साजिश को कन्फर्म करता है.

'बेरहमी से पुलिस पर हमला किया गया'

दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये इस तथ्य से भी स्पष्ट है कि सैकड़ों दंगाइयों ने बेरहमी से पुलिस के एक दल पर लाठियों डंडों, हॉकी स्टिक और बैट से हमला किया. विरोध प्रदर्शन के दौरान आरोपी कथित तौर पर तलवार लिए हुए था. हालांकि, आरोपी के वकील ने तर्क दिया था कि हालांकि रतन लाल की मौत तलवार के वार से नहीं हुई थी. जैसा कि रिपोर्ट में उनकी चोटों को लेकर बताया गया था और आरोपी ने केवल अपनी और परिवार की रक्षा के लिए तलवार उठाई थी.

हाईकोर्ट ने कहा कि निर्णायक सबूत जो कोर्ट को आरोपी की कैद को बढ़ाने की ओर झुकता है वो ये है कि उसके द्वारा लिए जा रहे हथियार गंभीर चोट या मौत का कारण बन सकता है और ये प्रथम दृष्टया जानलेवा खतरनाक हथियार है.

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