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जंतर-मंतर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोपी विनोद शर्मा की जमानत याचिका खारिज

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Published : Sep 18, 2021, 1:47 PM IST

जंतर मंतर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोपी विनोद शर्मा की जमानत याचिका खारिज को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि कार्यक्रम के बैनर पर विनोद शर्मा के फोटो और मोबाइल नंबर दिए गए थे और उस पर लोगों से प्रदर्शन में आने की अपील की गई थी.

जंतर मंतर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोपी विनोद शर्मा की जमानत याचिका खारिज
जंतर मंतर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोपी विनोद शर्मा की जमानत याचिका खारिज

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जंतर मंतर पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ नारा लगाने के आरोपी और सुदर्शन वाहिनी के अध्यक्ष विनोद शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज अनिल अंतिल ने कहा कि आरोपी ने भले ही भड़काऊ भाषण नहीं दिया लेकिन जंतर मंतर पर कार्यक्रम आयोजित करने में उसकी मुख्य भूमिका थी.

कोर्ट ने कहा कि कार्यक्रम के बैनर पर विनोद शर्मा के फोटो और मोबाइल नंबर दिए गए थे और उस पर लोगों से प्रदर्शन में आने की अपील की गई थी. इसलिए ऐसा कहना मुश्किल है कि आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए नहीं लागू होता है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी की मौजूदगी एक सक्रिय भागीदार के तौर पर थी न कि बगल में खड़े होकर कार्यक्रम देखने वाले की.

सुनवाई के दौरान विनोद शर्मा की ओर से पेश वकील रजत अनेजा ने कहा कि आरोपी ने भड़काने वाले ऐसे किसी भी शब्द का उच्चारण नहीं किया था जिससे दो समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा हो. उन्होंने कहा कि आरोपी को झूठे तरीके से फंसाया गया है. जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया। दिल्ली पुलिस की ओर से वकील एसके कैन ने कहा कि वीडियो में साफ जाहिर है कि आरोपियों ने साजिश के तहत भड़काऊ भाषण और नारे लगाए. इस दौरान हनुमान चालीसा का पाठ किया गया ताकि भड़काऊ भाषण से लोगों का ध्यान हटाया जा सके. जंतर-मंतर पर कार्यक्रम के आयोजन का मकसद ही वैमनस्य पैदा करना था. यहां तक कि आरोपी ने अपने नाम और फोटो से बैनर निकाला और लोगों को शामिल किया.

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पिछले 11 अगस्त को वकील अश्विनी उपाध्याय को जमानत दे दी थी. दिल्ली पुलिस ने अगस्त को 9 अगस्त को अश्विनी उपाध्याय और बाकी आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ के बाद 10 अगस्त को सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 9 अगस्त को एफआईआर दर्ज किया था. बता दें कि 8 अगस्त को जंतर-मंतर पर भारत जोड़ो आंदोलन के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया था जिसमें धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक नारेबाजी की गई थी.

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जंतर मंतर पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ नारा लगाने के आरोपी और सुदर्शन वाहिनी के अध्यक्ष विनोद शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज अनिल अंतिल ने कहा कि आरोपी ने भले ही भड़काऊ भाषण नहीं दिया लेकिन जंतर मंतर पर कार्यक्रम आयोजित करने में उसकी मुख्य भूमिका थी.

कोर्ट ने कहा कि कार्यक्रम के बैनर पर विनोद शर्मा के फोटो और मोबाइल नंबर दिए गए थे और उस पर लोगों से प्रदर्शन में आने की अपील की गई थी. इसलिए ऐसा कहना मुश्किल है कि आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए नहीं लागू होता है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी की मौजूदगी एक सक्रिय भागीदार के तौर पर थी न कि बगल में खड़े होकर कार्यक्रम देखने वाले की.

सुनवाई के दौरान विनोद शर्मा की ओर से पेश वकील रजत अनेजा ने कहा कि आरोपी ने भड़काने वाले ऐसे किसी भी शब्द का उच्चारण नहीं किया था जिससे दो समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा हो. उन्होंने कहा कि आरोपी को झूठे तरीके से फंसाया गया है. जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया। दिल्ली पुलिस की ओर से वकील एसके कैन ने कहा कि वीडियो में साफ जाहिर है कि आरोपियों ने साजिश के तहत भड़काऊ भाषण और नारे लगाए. इस दौरान हनुमान चालीसा का पाठ किया गया ताकि भड़काऊ भाषण से लोगों का ध्यान हटाया जा सके. जंतर-मंतर पर कार्यक्रम के आयोजन का मकसद ही वैमनस्य पैदा करना था. यहां तक कि आरोपी ने अपने नाम और फोटो से बैनर निकाला और लोगों को शामिल किया.

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पिछले 11 अगस्त को वकील अश्विनी उपाध्याय को जमानत दे दी थी. दिल्ली पुलिस ने अगस्त को 9 अगस्त को अश्विनी उपाध्याय और बाकी आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ के बाद 10 अगस्त को सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 9 अगस्त को एफआईआर दर्ज किया था. बता दें कि 8 अगस्त को जंतर-मंतर पर भारत जोड़ो आंदोलन के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया था जिसमें धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक नारेबाजी की गई थी.

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