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मांस प्रतिबंध के मुद्दे पर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का तीनों निगमों के महापौर को नोटिस

दक्षिण और पूर्वी दिल्ली के महापौरों ने मंगलवार को अपने अधिकार क्षेत्र में मांस की दुकानों को नवरात्रि के दौरान बंद (Meat shops banned during Navratri) रखने के लिए कहा था. इन नौ दिनों के लिए ज्यादातर लोग मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करते हैं. हालांकि, नगर निकायों द्वारा कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया था. उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से हालांकि ऐसा कुछ नहीं कहा गया है. इस नगर निगम में भी अन्य दो की तरह भाजपा का शासन है.

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग
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Published : Apr 7, 2022, 10:50 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (Delhi Minorities Commission) ने शहर के तीन नगर निगमों के महापौरों और आयुक्तों को कारण बताओ नोटिस (notice to the mayors of all three corporations) जारी किया है. उन्होंने स्पष्टीकरण मांगा है कि किस आधार पर तीन नगर निगमों ने नवरात्रि के दौरान मांस की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने (Meat shops banned during Navratri) या बंद करने का फैसला किया है. दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने 24 घंटे के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. महापौरों को शुक्रवार को उसके सामने पेश होने को भी कहा है. नोटिस की एक प्रति तीन नगर निकायों के आयुक्तों को भेजी गई है.

दक्षिण और पूर्वी दिल्ली के महापौरों ने मंगलवार को अपने अधिकार क्षेत्र में मांस की दुकानों को नवरात्रि के दौरान बंद रखने के लिए कहा था. इन नौ दिनों के लिए ज्यादातर लोग मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करते हैं. हालांकि, नगर निकायों द्वारा कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया था. उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से हालांकि ऐसा कुछ नहीं कहा गया है. इस नगर निगम में भी अन्य दो की तरह भाजपा का शासन है. महापौरों के पास ऐसे आदेश जारी करने की शक्ति नहीं है. ऐसा फैसला केवल एक नगर आयुक्त द्वारा ही लिया जा सकता है.

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जाकिर खान ने गुरुवार को जारी कारण बताओ नोटिस में कहा कि इस विषय के बारे में खबरों में देखा गया है कि महापौर अपने आप में एक कानून के रूप में काम कर रहे हैं. वह जो मांग कर रहे हैं, वह संविधान में बुनियादी मुफ्त गारंटी का उल्लंघन करता है. इसमें कहा गया कि इस तरह की घोषणा जमीनी स्तर पर घृणित व्यवहार को भी प्रोत्साहित कर सकती है। वरिष्ठ अधिकारियों और अदालतों को दखल देना चाहिए और इस तरह के व्यवहार को रोकना चाहिए. उन्होंने महापौरों से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा कि किस नियम और विनियम के आधार पर आपने नवरात्रि के दौरान मांस की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने या बंद करने का निर्णय लिया है.

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यन ने नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान मांस की दुकानों को बंद नहीं करने पर गंभीर कार्रवाई की धमकी के बाद शहर के मांस की बिक्री करने वाले बाजारों में दहशत फैल गई. पूर्वी दिल्ली के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने भी इसका पालन किया और दुकानों को बंद करने का आह्वान किया. हालांकि, शहर में अधिकांश मांस की दुकानें बुधवार को खुलीं और मालिकों ने इसके खिलाफ आधिकारिक आदेश की अनुपस्थिति का हवाला दिया.

दिल्ली मीट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष यूनुस इद्रेस कुरैशी ने कहा कि दिल्ली भर में मांस का कारोबार हमेशा की तरह चल रहा है, क्योंकि कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि मांस की बिक्री वैसे भी नवरात्रि के दौरान प्रभावित होती है. हमारी बिक्री हर साल नवरात्रि के दौरान 20-25 प्रतिशत तक गिर जाती है. हमें अपनी दुकानें बंद करने के लिए कोई आधिकारिक आदेश नहीं मिला है. इसलिए हमारा व्यवसाय हमेशा की तरह काम कर रहा है. महापौर का अनुरोध है राजनीति से प्रेरित.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (Delhi Minorities Commission) ने शहर के तीन नगर निगमों के महापौरों और आयुक्तों को कारण बताओ नोटिस (notice to the mayors of all three corporations) जारी किया है. उन्होंने स्पष्टीकरण मांगा है कि किस आधार पर तीन नगर निगमों ने नवरात्रि के दौरान मांस की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने (Meat shops banned during Navratri) या बंद करने का फैसला किया है. दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने 24 घंटे के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. महापौरों को शुक्रवार को उसके सामने पेश होने को भी कहा है. नोटिस की एक प्रति तीन नगर निकायों के आयुक्तों को भेजी गई है.

दक्षिण और पूर्वी दिल्ली के महापौरों ने मंगलवार को अपने अधिकार क्षेत्र में मांस की दुकानों को नवरात्रि के दौरान बंद रखने के लिए कहा था. इन नौ दिनों के लिए ज्यादातर लोग मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करते हैं. हालांकि, नगर निकायों द्वारा कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया था. उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से हालांकि ऐसा कुछ नहीं कहा गया है. इस नगर निगम में भी अन्य दो की तरह भाजपा का शासन है. महापौरों के पास ऐसे आदेश जारी करने की शक्ति नहीं है. ऐसा फैसला केवल एक नगर आयुक्त द्वारा ही लिया जा सकता है.

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जाकिर खान ने गुरुवार को जारी कारण बताओ नोटिस में कहा कि इस विषय के बारे में खबरों में देखा गया है कि महापौर अपने आप में एक कानून के रूप में काम कर रहे हैं. वह जो मांग कर रहे हैं, वह संविधान में बुनियादी मुफ्त गारंटी का उल्लंघन करता है. इसमें कहा गया कि इस तरह की घोषणा जमीनी स्तर पर घृणित व्यवहार को भी प्रोत्साहित कर सकती है। वरिष्ठ अधिकारियों और अदालतों को दखल देना चाहिए और इस तरह के व्यवहार को रोकना चाहिए. उन्होंने महापौरों से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा कि किस नियम और विनियम के आधार पर आपने नवरात्रि के दौरान मांस की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने या बंद करने का निर्णय लिया है.

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यन ने नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान मांस की दुकानों को बंद नहीं करने पर गंभीर कार्रवाई की धमकी के बाद शहर के मांस की बिक्री करने वाले बाजारों में दहशत फैल गई. पूर्वी दिल्ली के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने भी इसका पालन किया और दुकानों को बंद करने का आह्वान किया. हालांकि, शहर में अधिकांश मांस की दुकानें बुधवार को खुलीं और मालिकों ने इसके खिलाफ आधिकारिक आदेश की अनुपस्थिति का हवाला दिया.

दिल्ली मीट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष यूनुस इद्रेस कुरैशी ने कहा कि दिल्ली भर में मांस का कारोबार हमेशा की तरह चल रहा है, क्योंकि कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि मांस की बिक्री वैसे भी नवरात्रि के दौरान प्रभावित होती है. हमारी बिक्री हर साल नवरात्रि के दौरान 20-25 प्रतिशत तक गिर जाती है. हमें अपनी दुकानें बंद करने के लिए कोई आधिकारिक आदेश नहीं मिला है. इसलिए हमारा व्यवसाय हमेशा की तरह काम कर रहा है. महापौर का अनुरोध है राजनीति से प्रेरित.

(पीटीआई-भाषा)

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