नई दिल्ली/गाजियाबाद: केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में शुमार दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे से होकर आपका आना-जाना है तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है. एक्सप्रेस वे के जिस हिस्से में किसान महीनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, वहां रूटीन निरीक्षण 10 महीनों से नहीं हुआ है. ऐसे में अंदेशा है कि जब इसे आवाजाही के लिए खोला जाएगा तो यहां दुर्घटना हो सकती है.
कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली ग़ाज़ीपुर बॉर्डर (दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे) पर तकरीबन 10 महीने से किसान नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में किसानों का आंदोलन जारी है. गाजीपुर बार्डर पर किसानों के टेंट लगे हुए हैं. जहां किसानों के टेंट लगे हुए हैं वह दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे है. गाजियाबाद से दिल्ली की तरफ जाने वाली दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे कि सभी लेनों पर किसानों के टेंट लगे हैं.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारी, मार्ग निर्माणकर्ता संस्था और स्वतंत्र इंजीनियरों की समिति द्वारा दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के रखरखाव के लिए समय-समय पर जांच और निरीक्षण किया जाता है. साथ ही यह निरीक्षण बरसात के मौसम में लगातार किया जाना बेहद जरूरी होता है. मार्ग की सुरक्षा के लिए निरीक्षण बेहद अहम होता है. दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के जिस हिस्से पर किसानों का आंदोलन जारी है. उस हिस्से का बीते 10 महीने से ना ही कोई निरीक्षण हो पाया है और ना ही किसी प्रकार का रूटीन मेंटेनेंस.
एनएचएआई अधिकारियों के मुताबिक निरीक्षण के दौरान मार्ग में आर.ई.वाल में यदि कोई पेड़-पौधे, वनस्पति उगे होते है, तो उनको निकाला जाता है. पुल के गर्डर, एक्सपेंशन जॉइंट में ग्रीस व आदि की जॉच की जाती है, जिससे कि स्ट्रक्चर सुरक्षित रह सके. वर्तमान में किसान धरना व पुलिस बैरिकेटिंग के कारण निरीक्षण और रूटीन मेंटेनेन्स का कार्य समय से किये जाने में समस्या उपत्पन्न हो रही है, जिससे स्ट्रक्चर की सुरक्षा को खतरा बढ़ता जा रहा है एवं लगभग 10 माह से कोई भी निरीक्षण नहीं हो पा रहा है.
पढ़ें :- जानिए कहां युवती ने कहा- जब तक रोड नहीं, तब तक शादी नहीं करूंगी, पीएम व सीएम को लिखा पत्र
अधिकारियों के मुताबिक किसानों द्वारा किये जा रहे धरने के कारण आर.ई.वाल में जगह-जगह पीपल एवं वनस्पत्ति आदि के पौधे उग आये है, जिससे सड़क मार्ग को खतरा है. धरना स्थल एक अंडरपास के ऊपर एवं अंदर है, जोकि गर्डर पर निर्मित किया गया है. पुल का स्थापन गर्डर पर किया जाता है, जोकि बीयरिंग पर स्थापित होते है, जिनकी समय-समय पर सफाई एवं ग्रीसिंग की आवश्यक होती है. किसानों के धरनें के कारण रूटीन मेंटेनेन्स नहीं हो पा रहा है क्योंकि धरना स्थल पर एक अण्डरपास है. जिसकी लगभग 10 महीने से निरीक्षण और मरम्मत ना होने के कारण किसी भी समय आकस्मिक दुर्घटना की सम्भावना बनी हुई है.