नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बाइक टैक्सी एग्रीगेटर्स रैपिडो और उबर के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसे एग्रीगेटर्स को नियंत्रित करने वाले दिशानिर्देश अधिसूचित नहीं हो जाते तब तक इन पर कोई कार्रवाई न की जाए.
वहीं रैपिडो का प्रतिनिधित्व करने वाली लॉ फर्म एजेडबी लॉ पार्टनर्स के पार्टनर पराग मैनी ने कोर्ट के आदेश की पुष्टि करते हुए कहा है कि, यह आदेश न केवल उनके लिए, बल्कि कई बाइक-टैक्सी ऑपरेटरों के लिए बड़ी राहत है, जो कंपनी से जुड़े हुए हैं. इससे पहले फरवरी में दिल्ली सरकार ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि राजधानी में बाइक टैक्सियों के संचालन की अनुमति नहीं है और गैर-परिवहन (निजी) पंजीकरण वाले दोपहिया वाहन विशुद्ध रूप से वाणिज्यिक संचालन में शामिल हैं, जो मोटर वाहन अधिनियम और नियमों का उल्लंघन है.
परिवहन विभाग ने यह भी कहा था कि ऐप-आधारित एग्रीगेटर्स को तुरंत अपनी सेवाएं बंद करनी होंगी या उन्हें एक लाख रुपये का चालान भरना होगा. तब रैपिडो ने इस नोटिस को चुनौती देने के साथ दिल्ली मोटर वाहन नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
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रैपिडो की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने पैरवी की. उन्हें हरदीप सचदेवा, अभिषेक अवस्थी (सीनियर पार्टनर्स), कमल शंकर, पराग मैनी (पार्टनर्स, विवाद समाधान) और राघव चड्ढा, प्रद्युम्न शर्मा, क्षितिज राव (सीनियर एसोसिएट्स) से बनी एजेडबी एंड पार्टनर्स टीम द्वारा जानकारी दी गई. इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने रैपिडो को दोपहिया बाइक टैक्सी एग्रीगेटर लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था. तब बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसले को चुनौती देने वाली रैपिडो की याचिका खारिज कर दी थी. फिर इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसने रैपिडो को राहत देने से इनकार कर दिया था.
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