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रेप पीड़िता से जन्मे बच्चे को दिल्ली हाईकोर्ट ने जैविक पिता को देने का आदेश दिया - बच्चे को उसके जैविक पिता यानी रेप के आरोपी को देने का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग की कोख से जन्मे बच्चे को उसके जैविक पिता यानी रेप के आरोपी को देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि बच्चे को शेल्टर होम में रह रही पीड़िता के साथ अभावों में नहीं रखा जा सकता.

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Published : Nov 16, 2021, 12:02 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता नाबालिग की कोख से जन्मे बच्चे को उसके जैविक पिता यानी रेप के आरोपी को देने का आदेश (statutory rape accused father grants custody of child) दिया है. जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा कि बच्चे को शेल्टर होम में रह रही रेप पीड़िता के साथ अभावों में नहीं रखा जा सकता है.

रेप पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि उसने आरोपी के साथ संबंध बनाने की सहमति दी थी. रेप पीड़िता नौवीं क्लास में पढ़ती है. आरोपी और पीड़िता पहले से एक-दूसरे को जानते हैं. रेप पीड़िता की मां की शिकायत के मुताबिक, 25 मार्च को वह सुबह स्कूल गई थी, लेकिन वो घर नहीं लौटी.

घर वालों ने उसके अपहरण की आशंका जताते हुए पुलिस में FIR लिखवाई. खोजबीन के बाद रेप पीड़िता का पुलिस ने 15 अप्रैल को पता लगाया. पुलिस ने जब पीड़िता का मेडिकल करवाया तो पता चला कि वो पांच महीने की गर्भवती थी.

रेप पीड़िता ने पुलिस को बयान दिया कि उसकी भाभी से झगड़ा होने के बाद वह 25 मार्च को घर छोड़कर अपने एक दोस्त के यहां चली गई थी. उस दिन उसकी मां अपने मायके गई थी. उसने अपने पांच महीने के गर्भ के बारे में बताते हुए कहा कि वह चार-पांच महीने पहले अपने एक दोस्त के यहां चली गई थी, जहां किसी ने उसे कुछ पीने को दिया. उसके बाद उसके साथ क्या हुआ उसे पता नहीं चला. उसने यही बात डॉक्टर और कोर्ट को बताई.

पीड़िता ने कहा कि वह आरोपी के साथ ही रहना चाहती है. अपने माता-पिता के साथ नहीं. तब कोर्ट ने कहा कि पीड़िता अभी नाबालिग है. इसलिए उसे आरोपी के साथ रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने उसे एक आश्रय स्थल पर भेज दिया.

यह भी पढ़ें-दिल्ली हाईकोर्ट ने लोक इंसाफ पार्टी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया

सुनवाई के दौरान पीड़िता के बच्चे की देखरेख का सवाल उठा तो पीड़िता ने कहा कि बच्चे को आरोपी के साथ रहने दिया जाए. तब कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के साथ बच्ची को आश्रय स्थल पर रहने नहीं दिया जा सकता और बच्चे को आरोपी और उसके जैविक पिता के साथ रहने की अनुमति दी.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता नाबालिग की कोख से जन्मे बच्चे को उसके जैविक पिता यानी रेप के आरोपी को देने का आदेश (statutory rape accused father grants custody of child) दिया है. जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा कि बच्चे को शेल्टर होम में रह रही रेप पीड़िता के साथ अभावों में नहीं रखा जा सकता है.

रेप पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि उसने आरोपी के साथ संबंध बनाने की सहमति दी थी. रेप पीड़िता नौवीं क्लास में पढ़ती है. आरोपी और पीड़िता पहले से एक-दूसरे को जानते हैं. रेप पीड़िता की मां की शिकायत के मुताबिक, 25 मार्च को वह सुबह स्कूल गई थी, लेकिन वो घर नहीं लौटी.

घर वालों ने उसके अपहरण की आशंका जताते हुए पुलिस में FIR लिखवाई. खोजबीन के बाद रेप पीड़िता का पुलिस ने 15 अप्रैल को पता लगाया. पुलिस ने जब पीड़िता का मेडिकल करवाया तो पता चला कि वो पांच महीने की गर्भवती थी.

रेप पीड़िता ने पुलिस को बयान दिया कि उसकी भाभी से झगड़ा होने के बाद वह 25 मार्च को घर छोड़कर अपने एक दोस्त के यहां चली गई थी. उस दिन उसकी मां अपने मायके गई थी. उसने अपने पांच महीने के गर्भ के बारे में बताते हुए कहा कि वह चार-पांच महीने पहले अपने एक दोस्त के यहां चली गई थी, जहां किसी ने उसे कुछ पीने को दिया. उसके बाद उसके साथ क्या हुआ उसे पता नहीं चला. उसने यही बात डॉक्टर और कोर्ट को बताई.

पीड़िता ने कहा कि वह आरोपी के साथ ही रहना चाहती है. अपने माता-पिता के साथ नहीं. तब कोर्ट ने कहा कि पीड़िता अभी नाबालिग है. इसलिए उसे आरोपी के साथ रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने उसे एक आश्रय स्थल पर भेज दिया.

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सुनवाई के दौरान पीड़िता के बच्चे की देखरेख का सवाल उठा तो पीड़िता ने कहा कि बच्चे को आरोपी के साथ रहने दिया जाए. तब कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के साथ बच्ची को आश्रय स्थल पर रहने नहीं दिया जा सकता और बच्चे को आरोपी और उसके जैविक पिता के साथ रहने की अनुमति दी.

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