नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली पुलिस के चुने हुए वकीलों को विशेष लोक अभियोजक के रूप में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों और किसानों के विरोध के मामलों में अदालतों में सरकार की तरफ से पेश होने की अनुमति देने के उप-राज्यपाल के फैसले को चुनौती देनेवाली दिल्ली दिल्ली सरकार की याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार और उप-राज्यपाल को और समय दी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 22 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है.
27 अगस्त को कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली के उप-राज्यपाल को नोटिस जारी किया था. दरअसल उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों और किसानों के विरोध के मामलों की कोर्ट में पैरवी करने के लिए दिल्ली पुलिस की ओर से वकीलों की सूची को दिल्ली सरकार ने अस्वीकार कर दिया था. दिल्ली सरकार ने वकीलों के नए पैनल को नियुक्त किया था. लेकिन बाद में उप-राज्यपाल ने धारा 239एए(4) के तहत मिले विशेष अधिकारों के तहत उसे निरस्त कर दिया था. उप-राज्यपाल ने दिल्ली पुलिस की ओर से सुझाए गए वकीलों को सरकारी वकील के रूप में नियुक्त करने की अनुशंसा की थी. उप-राज्यपाल की अनुशंसा अभी राष्ट्रपति के पास लंबित है.
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सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि सरकारी वकीलों की नियुक्ति एक रुटीन प्रक्रिया है और इसे अपवाद नहीं माना जाना चाहिए. इसके लिए राष्ट्रपति को भेजना सही नहीं है. ये संघवाद को प्रभावित करता है. उन्होंने कहा था कि उप-राज्यपाल विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति में हमेशा अड़ंगा लगा रहे हैं और ऐसा कर वे एक चुनी हुई सरकार का अपमान कर रहे हैं. उप-राज्यपाल का ऐसा कदम धारा 239एए का उल्लंघन है.