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हाईकोर्ट ने अबू सलेम को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका वापस लेने की अनुमति दी - सलेम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई

अबू सलेम ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर प्रत्यर्पण कर भारत लाने को चुनौती दी थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अबू सलेम के वकील एस हरिहरन से पूछा कि आप अपने मुवक्किल से निर्देश लेकर बताएं कि याचिका खारिज की जाए या आप इसे वापस लेंगे. उसके बाद हरिहरन ने निर्देश लेने के लिए समय देने की मांग की थी.

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Published : May 5, 2022, 10:53 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने गैंगस्टर अबू सलेम को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया है. 14 मार्च को कोर्ट ने सलेम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अबू सलेम की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि उसे एक सक्षम कोर्ट ने सजा सुनाई है.

अबू सलेम ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर प्रत्यर्पण कर भारत लाने को चुनौती दी थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अबू सलेम के वकील एस हरिहरन से पूछा कि आप अपने मुवक्किल से निर्देश लेकर बताएं कि याचिका खारिज की जाए या आप इसे वापस लेंगे. उसके बाद हरिहरन ने निर्देश लेने के लिए समय देने की मांग की थी.

बता दें कि 8 मार्च को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सलेम को 25 साल से अधिक सज़ा न होने का भरोसा भारत सरकार ने पुर्तगाल को दिया था. CBI के इस जवाब को सुप्रीम कोर्ट ने नामंजूर कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसा रवैया दूसरों के प्रत्यर्पण में समस्या बनेगा. सुनवाई के दौरान अबू सलेम की ओर से कहा गया था कि जब पुर्तगाल से उसका प्रत्यर्पण किया गया था उस समय भारत ने वहां की सरकार को आश्वासन दिया था कि किसी भी मामले में 25 साल से अधिक सजा नहीं दी जाएगी, जबकि मुंबई की टाडा अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा दी है. इस पर विचार किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने गैंगस्टर अबू सलेम को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया है. 14 मार्च को कोर्ट ने सलेम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अबू सलेम की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि उसे एक सक्षम कोर्ट ने सजा सुनाई है.

अबू सलेम ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर प्रत्यर्पण कर भारत लाने को चुनौती दी थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अबू सलेम के वकील एस हरिहरन से पूछा कि आप अपने मुवक्किल से निर्देश लेकर बताएं कि याचिका खारिज की जाए या आप इसे वापस लेंगे. उसके बाद हरिहरन ने निर्देश लेने के लिए समय देने की मांग की थी.

बता दें कि 8 मार्च को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सलेम को 25 साल से अधिक सज़ा न होने का भरोसा भारत सरकार ने पुर्तगाल को दिया था. CBI के इस जवाब को सुप्रीम कोर्ट ने नामंजूर कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसा रवैया दूसरों के प्रत्यर्पण में समस्या बनेगा. सुनवाई के दौरान अबू सलेम की ओर से कहा गया था कि जब पुर्तगाल से उसका प्रत्यर्पण किया गया था उस समय भारत ने वहां की सरकार को आश्वासन दिया था कि किसी भी मामले में 25 साल से अधिक सजा नहीं दी जाएगी, जबकि मुंबई की टाडा अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा दी है. इस पर विचार किया जाना चाहिए.

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