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दिल्ली हाईकोर्ट 18 नवंबर को पीएम केयर्स फंड से संबंधित याचिका पर सुनवाई करेगा - पीएम केयर्स फंड से संबंधित याचिका

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) पीएम केयर्स फंड से संबंधित याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया. पहले इस मामले की सुनवाई 30 नवंबर को होनी थी.

दिल्ली उच्च न्यायालय
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Published : Oct 29, 2021, 3:12 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) शुक्रवार को प्रधानमंत्री नागरिक सहायता (Prime Minister's Citizen Assistance) और आपात स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) से संबंधित याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया. पहले इस मामले की सुनवाई 30 नवंबर को होनी थी.

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल (Chief Justice D.N. Patel) और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह (Justice Jyoti Singh ) की पीठ ने सम्यक गंगवाल (Samyak Gangwal) द्वारा दायर याचिकाओं की जल्द सुनवाई की अनुमति दी, जिन्होंने संविधान के तहत पीएम केयर्स फंड को 'राज्य' के अंतर्गत घोषित करने और इसे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा उपयोग करने से रोकने की मांग की थी.

याचिकाकर्ता ने पीएम केयर्स फंड (PM CARES Fund ) को उसकी वेबसाइट, ट्रस्ट डीड अन्य आधिकारिक / अनौपचारिक संचार और विज्ञापनों पर भारत के राज्य प्रतीक का उपयोग करने से रोकने की भी मांग की.

याचिका के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister's Office ) ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि पीएम केयर्स फंड में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा किए गए स्वैच्छिक दान शामिल हैं और यह किसी भी तरह से केंद्र सरकार के व्यवसाय या कार्य का हिस्सा नहीं है.

इसके अलावा, यह किसी भी सरकारी योजना या केंद्र सरकार के व्यवसाय का हिस्सा नहीं है और एक सार्वजनिक ट्रस्ट होने के नाते, यह भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General) के ऑडिट के अधीन भी नहीं है.

केंद्र के अनुसार पीएम केयर्स फंड RTI अधिनियम की धारा 2 (h) के दायरे में एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है. यह स्पष्ट करते हुए कि पीएम केयर्स फंड में कोई भी सरकारी पैसा जमा नहीं किया जाता है और केवल बिना शर्त और स्वैच्छिक योगदान दिया जाता है.

पीएमओ द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया है, 'यह दोहराया जाता है कि ट्रस्ट का फंड भारत सरकार का फंड नहीं है और यह राशि भारत के समेकित कोष में नहीं जाती है.'

हलफनामे में कहा गया है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ट्रस्ट द्वारा प्राप्त धन के उपयोग के विवरण के साथ ऑडिट रिपोर्ट ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दी जाती है.

पढ़ें - केंद्रीय क्षेत्र के श्रमिकों का न्यूनतम मेहनताना बढ़ा, 01 अक्टूबर से होगा प्रभावी

केंद्र ने आगे कहा कि ट्रस्ट किसी भी अन्य धर्मार्थ ट्रस्ट की तरह बड़े सार्वजनिक हित में पारदर्शिता और जनहित के सिद्धांतों पर काम करता है और इसलिए, पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अपने सभी प्रस्तावों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती है.

एक अन्य याचिका में गंगवाल ने केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (Central Public Information Officer ) और पीएमओ के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें पीएम केयर्स फंड से संबंधित दस्तावेज मांगने वाले आरटीआई आवेदन को खारिज कर दिया गया था. गंगवाल ने अधिवक्ता देबोप्रियो मौलिक और आयुष श्रीवास्तव (Debopriyo Moulik and Ayush Shrivastav) के माध्यम से अपनी याचिका दायर की है.

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) शुक्रवार को प्रधानमंत्री नागरिक सहायता (Prime Minister's Citizen Assistance) और आपात स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) से संबंधित याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया. पहले इस मामले की सुनवाई 30 नवंबर को होनी थी.

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल (Chief Justice D.N. Patel) और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह (Justice Jyoti Singh ) की पीठ ने सम्यक गंगवाल (Samyak Gangwal) द्वारा दायर याचिकाओं की जल्द सुनवाई की अनुमति दी, जिन्होंने संविधान के तहत पीएम केयर्स फंड को 'राज्य' के अंतर्गत घोषित करने और इसे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा उपयोग करने से रोकने की मांग की थी.

याचिकाकर्ता ने पीएम केयर्स फंड (PM CARES Fund ) को उसकी वेबसाइट, ट्रस्ट डीड अन्य आधिकारिक / अनौपचारिक संचार और विज्ञापनों पर भारत के राज्य प्रतीक का उपयोग करने से रोकने की भी मांग की.

याचिका के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister's Office ) ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि पीएम केयर्स फंड में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा किए गए स्वैच्छिक दान शामिल हैं और यह किसी भी तरह से केंद्र सरकार के व्यवसाय या कार्य का हिस्सा नहीं है.

इसके अलावा, यह किसी भी सरकारी योजना या केंद्र सरकार के व्यवसाय का हिस्सा नहीं है और एक सार्वजनिक ट्रस्ट होने के नाते, यह भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General) के ऑडिट के अधीन भी नहीं है.

केंद्र के अनुसार पीएम केयर्स फंड RTI अधिनियम की धारा 2 (h) के दायरे में एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है. यह स्पष्ट करते हुए कि पीएम केयर्स फंड में कोई भी सरकारी पैसा जमा नहीं किया जाता है और केवल बिना शर्त और स्वैच्छिक योगदान दिया जाता है.

पीएमओ द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया है, 'यह दोहराया जाता है कि ट्रस्ट का फंड भारत सरकार का फंड नहीं है और यह राशि भारत के समेकित कोष में नहीं जाती है.'

हलफनामे में कहा गया है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ट्रस्ट द्वारा प्राप्त धन के उपयोग के विवरण के साथ ऑडिट रिपोर्ट ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दी जाती है.

पढ़ें - केंद्रीय क्षेत्र के श्रमिकों का न्यूनतम मेहनताना बढ़ा, 01 अक्टूबर से होगा प्रभावी

केंद्र ने आगे कहा कि ट्रस्ट किसी भी अन्य धर्मार्थ ट्रस्ट की तरह बड़े सार्वजनिक हित में पारदर्शिता और जनहित के सिद्धांतों पर काम करता है और इसलिए, पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अपने सभी प्रस्तावों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती है.

एक अन्य याचिका में गंगवाल ने केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (Central Public Information Officer ) और पीएमओ के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें पीएम केयर्स फंड से संबंधित दस्तावेज मांगने वाले आरटीआई आवेदन को खारिज कर दिया गया था. गंगवाल ने अधिवक्ता देबोप्रियो मौलिक और आयुष श्रीवास्तव (Debopriyo Moulik and Ayush Shrivastav) के माध्यम से अपनी याचिका दायर की है.

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