नई दिल्ली : योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ अपमानजनक कंटेंट (content against baba ramdev on social media) को गूगल और सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए बयानों को हटाने के आदेश देने के सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई आज हाई कोर्ट ने टाल दी है. जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने इस मामले पर 10 मई को सुनवाई करने का निर्देश (delhi hc to hear google plea related to baba ramdev) दिया. इससे पहले 23 फरवरी को जस्टिस विपिन सांघी ने इस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.
गौरतलब है कि गूगल, ट्विटर और फेसबुक ने याचिका दायर कर सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी है. 23 अक्टूबर 2019 को हाई कोर्ट ने फेसबुक, गूगल, यूट्यूब और ट्विटर को निर्देश दिया था कि वो बाबा रामदेव के खिलाफ आरोपों से संबंधित कंटेंट हटा लें. जस्टिस प्रतिभा सिंह की सिंगल बेंच ने बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद की याचिका पर सुनवाई करते हुए 29 सितंबर 2018 को हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव के बारे में लिखी गई पुस्तक (contents of book written on baba ramdev) 'गॉडमैन टू टाइकून-द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बाबा रामदेव' (godman to tycoon the untold story of baba ramdev) को छापने, डिस्ट्रिब्यूट या बेचने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा था कि इस पुस्तक के अंश वीडियो के जरिये फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर डाले गए हैं.
पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने यूक्रेन से छात्रों की निकासी के मुकदमों का निपटारा किया
2018 में बाबा रामदेव ने जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित होने वाले इस पुस्तक को छापने से रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि पुस्तक जिसके बारे में लिखी गई है, उनकी गरिमा का ध्यान रखा जाना चाहिए और जब तक कोर्ट में ये प्रमाणित नहीं हो जाए, तब तक उन्हें खलनायक के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा था कि ये पुस्तक संविधान की धारा 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है. हाईकोर्ट ने प्रकाशक की इस दलील को खारिज कर दिया था कि उसका मकसद बाबा रामदेव को बदनाम करना कतई नहीं था.