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रूस से कोई व्यक्ति हिमाचल में टीका उत्पादन का पता लगाने में सक्षम, लेकिन केंद्र ऐसा करने में विफल

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Published : Jun 4, 2021, 11:00 PM IST

Updated : Jun 5, 2021, 3:07 AM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह स्पूतनिक वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनी को 14 करोड़ रुपये का भुगतान करे. कोर्ट ने अपनी सख्त टिप्पणी में यह भी कहा कि रूस से कोई व्यक्ति हिमाचल प्रदेश में टीका उत्पादन के बुनियादी ढांचे का पता लगाने में सक्षम है, लेकिन केंद्र ऐसा करने में विफल रहा है.

दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो कोरोना के इंजेक्शन स्पूतनिक के निर्माण के लिए निर्माता कंपनी पैनेसिया बायोटेक को ब्याज समेत 14 करोड़ रुपये का भुगतान करे.

जस्टिस मनमोहन सिंह और जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने सख्त टिप्पणी में यह भी कहा कि रूस से कोई व्यक्ति हिमाचल प्रदेश में टीका उत्पादन के बुनियादी ढांचे का पता लगाने में सक्षम है, लेकिन केंद्र ऐसा करने में विफल रहा है.

'महामारी से मानव जाति अस्तित्व के संकट से गुजर रही'

स्पूतनिक वी से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय ने कहा कि 'यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कोविड-19 महामारी के समय मानव जाति अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है.'
अदालत ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में हालात को लेकर दुख जताया जहां टीकों की कमी से हर कोई प्रभावित हुआ है जबकि केंद्र सरकार कह रही है कि महामारी से निपटने के लिए समूची आबादी का टीकाकरण ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है.

उच्च न्यायालय ने कहा कि इस असाधारण समय में नियमावली से गुजरते हुए मानव जीवन को बचाना कठिन हो जाएगा और किसी को व्यापाक फलक देखना होगा. अदालत ने कहा इस समय लचीलापन और तत्परता मंत्र होना चाहिए और अधिकारियों को ऑडिट और जांच से नहीं घबराना चाहिए.

भारत में कोरोना वायरस के इतनी बड़ी संख्या में आए मामलों का संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा ऐसा कुछ नहीं दिखता कि सरकारी अधिकारियों ने टीका के भारतीय निर्माताओं से विचार-विमर्श किया और इसके लिए कोई कदम उठाया.

'टीके की कमी से हर कोई प्रभावित'

पीठ ने कहा, 'दूसरी लहर में चीजें जिस तरह से हुई हैं, आज हम उससे थोड़े दु:खी हैं. जिम्मेदार नागरिक के तौर पर आप भी दु:खी होंगे. टीके की कमी सभी को प्रभावित कर रही है. आज भी दिल्ली में टीके उपलब्ध नहीं हैं.'

अदालत ने कहा कि रूस से किसी ने हिमाचल प्रदेश में बुनियादी ढांचा खोज लिया लेकिन केंद्र ऐसा नहीं कर सका.

कंपनी के पक्ष में पंचाट ने किया था फैसला

दरअसल, पैनेसिया बायोटेक कंपनी रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड के सहयोग से बनी है जिसे एक साल में दस करोड़ स्पूतनिक वैक्सीन का उत्पादन करना है. कंपनी के पक्ष में एक पंचाट का फैसला हुआ है जिसके तहत उसे केंद्र सरकार पैसे देगी. पंचाट के फैसले को सिंगल बेंच ने सही ठहराया था जिसे केंद्र सरकार ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना के इस संकट में वैक्सीन की कमी से आम जनता परेशान है, ऐसे में वैक्सीन के उत्पादन में अड़ंगा नहीं डाला जा सकता है.

पढ़ें - भारत ने कोविड-19 की दूसरी लहर का 'अच्छी तरह' सामना किया : नीति आयोग के सदस्य

पैसे नहीं मिले तो वैक्सीन के उत्पादन पर असर पड़ सकता है

पैनेसिया बायोटेक की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि अगर केंद्र सरकार उसके पैसे नहीं देती है तो स्पूतनिक वैक्सीन के उत्पादन पर असर पड़ सकता है. अगर ऐसा होता है तो ये देश के हित में नहीं होगा. तब कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने लोगों को वैक्सीन देने की भरपूर कोशिश की है लेकिन उसके बावजूद वैक्सीन की जबरदस्त कमी है.

(पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो कोरोना के इंजेक्शन स्पूतनिक के निर्माण के लिए निर्माता कंपनी पैनेसिया बायोटेक को ब्याज समेत 14 करोड़ रुपये का भुगतान करे.

जस्टिस मनमोहन सिंह और जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने सख्त टिप्पणी में यह भी कहा कि रूस से कोई व्यक्ति हिमाचल प्रदेश में टीका उत्पादन के बुनियादी ढांचे का पता लगाने में सक्षम है, लेकिन केंद्र ऐसा करने में विफल रहा है.

'महामारी से मानव जाति अस्तित्व के संकट से गुजर रही'

स्पूतनिक वी से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय ने कहा कि 'यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कोविड-19 महामारी के समय मानव जाति अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है.'
अदालत ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में हालात को लेकर दुख जताया जहां टीकों की कमी से हर कोई प्रभावित हुआ है जबकि केंद्र सरकार कह रही है कि महामारी से निपटने के लिए समूची आबादी का टीकाकरण ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है.

उच्च न्यायालय ने कहा कि इस असाधारण समय में नियमावली से गुजरते हुए मानव जीवन को बचाना कठिन हो जाएगा और किसी को व्यापाक फलक देखना होगा. अदालत ने कहा इस समय लचीलापन और तत्परता मंत्र होना चाहिए और अधिकारियों को ऑडिट और जांच से नहीं घबराना चाहिए.

भारत में कोरोना वायरस के इतनी बड़ी संख्या में आए मामलों का संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा ऐसा कुछ नहीं दिखता कि सरकारी अधिकारियों ने टीका के भारतीय निर्माताओं से विचार-विमर्श किया और इसके लिए कोई कदम उठाया.

'टीके की कमी से हर कोई प्रभावित'

पीठ ने कहा, 'दूसरी लहर में चीजें जिस तरह से हुई हैं, आज हम उससे थोड़े दु:खी हैं. जिम्मेदार नागरिक के तौर पर आप भी दु:खी होंगे. टीके की कमी सभी को प्रभावित कर रही है. आज भी दिल्ली में टीके उपलब्ध नहीं हैं.'

अदालत ने कहा कि रूस से किसी ने हिमाचल प्रदेश में बुनियादी ढांचा खोज लिया लेकिन केंद्र ऐसा नहीं कर सका.

कंपनी के पक्ष में पंचाट ने किया था फैसला

दरअसल, पैनेसिया बायोटेक कंपनी रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड के सहयोग से बनी है जिसे एक साल में दस करोड़ स्पूतनिक वैक्सीन का उत्पादन करना है. कंपनी के पक्ष में एक पंचाट का फैसला हुआ है जिसके तहत उसे केंद्र सरकार पैसे देगी. पंचाट के फैसले को सिंगल बेंच ने सही ठहराया था जिसे केंद्र सरकार ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना के इस संकट में वैक्सीन की कमी से आम जनता परेशान है, ऐसे में वैक्सीन के उत्पादन में अड़ंगा नहीं डाला जा सकता है.

पढ़ें - भारत ने कोविड-19 की दूसरी लहर का 'अच्छी तरह' सामना किया : नीति आयोग के सदस्य

पैसे नहीं मिले तो वैक्सीन के उत्पादन पर असर पड़ सकता है

पैनेसिया बायोटेक की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि अगर केंद्र सरकार उसके पैसे नहीं देती है तो स्पूतनिक वैक्सीन के उत्पादन पर असर पड़ सकता है. अगर ऐसा होता है तो ये देश के हित में नहीं होगा. तब कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने लोगों को वैक्सीन देने की भरपूर कोशिश की है लेकिन उसके बावजूद वैक्सीन की जबरदस्त कमी है.

(पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)

Last Updated : Jun 5, 2021, 3:07 AM IST
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