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पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जयंत नाथ DERC के अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किए गए

दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के अगले अध्यक्ष की नियुक्ति को दिल्ली सरकार और एलजी कार्यालय में ठन गई थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश जयंत नाथ को दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट
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Published : Aug 4, 2023, 9:52 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जयंत नाथ (Justice Jayant Nath) को दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अघ्यक्षता वाली एक पीठ ने यह आदेश जारी किया. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत इस पद के लिए किसी को भी चुन सकती है.

पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने कहा, 'हम उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जयंत नाथ से डीईआरसी के अध्यक्ष पद के कर्तव्यों का निर्वहन करने का अनुरोध करते हैं.'

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल तथा मुख्यमंत्री, न्यायमूर्ति नाथ के साथ मशविरा करके उनका मानदेय तय करेंगे.

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने तर्क दिया कि यह उचित होगा यदि शीर्ष अदालत किसी भी पक्ष द्वारा भेजे गए नामों का खुलासा नहीं करे और किसी व्यक्ति को पद पर नियुक्त करे.

एलजी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील भी सिंघवी की दलीलों से सहमत थे. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि यह एक अस्थायी नियुक्ति है, इसलिए अदालत द्वारा नामित व्यक्ति का पारिश्रमिक एलजी के परामर्श से तय किया जा सकता है.

मुख्य न्यायाधीश ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, 'अब मैं फीस के मामले में निराशाजनक रूप से बूढ़ा हो गया हूं. आप सब हंसने लगेंगे. अगर मैं किसी की फीस तय कर दूं तो जूनियर्स कोर्ट में हंसने लगेंगे.'

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'चूंकि यह अंतरिम नियुक्ति है इसलिए (न्यायमूर्ति नाथ का) मानदेय उपराज्यपाल से मशविरा करके निर्धारित किया जाना चाहिए.'

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि वह तदर्थ आधार पर संक्षिप्त समय के लिए डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी, जब तक कि ऐसी नियुक्ति करने की उपराज्यपाल की शक्ति को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर फैसला नहीं हो जाता.

न्यायालय ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि 'अध्यक्षविहीन' संस्था की किसी को परवाह नहीं है. डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना के बीच गतिरोध बने रहने के बीच, शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह कुछ होमवर्क करेगी और किसी को संक्षिप्त अवधि के लिए इस पद पर नियुक्त करेगी.

इससे पहले 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री और दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी), दो संवैधानिक पदाधिकारी बैठ कर डीईआरसी के अध्यक्ष के लिए नाम तय कर सकते हैं? शीर्ष अदालत ने कहा था, 'वे संवैधानिक पदाधिकारी हैं……. उन्हें राजनीतिक कलह से ऊपर उठना होगा...उन्हें एक साथ बैठना होगा और हमें एक नाम देना होगा.'

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DERC नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- तदर्थ आधार पर किसी को नियुक्त करेंगे, संस्था की किसी को परवाह नहीं

(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जयंत नाथ (Justice Jayant Nath) को दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अघ्यक्षता वाली एक पीठ ने यह आदेश जारी किया. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत इस पद के लिए किसी को भी चुन सकती है.

पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने कहा, 'हम उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जयंत नाथ से डीईआरसी के अध्यक्ष पद के कर्तव्यों का निर्वहन करने का अनुरोध करते हैं.'

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल तथा मुख्यमंत्री, न्यायमूर्ति नाथ के साथ मशविरा करके उनका मानदेय तय करेंगे.

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने तर्क दिया कि यह उचित होगा यदि शीर्ष अदालत किसी भी पक्ष द्वारा भेजे गए नामों का खुलासा नहीं करे और किसी व्यक्ति को पद पर नियुक्त करे.

एलजी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील भी सिंघवी की दलीलों से सहमत थे. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि यह एक अस्थायी नियुक्ति है, इसलिए अदालत द्वारा नामित व्यक्ति का पारिश्रमिक एलजी के परामर्श से तय किया जा सकता है.

मुख्य न्यायाधीश ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, 'अब मैं फीस के मामले में निराशाजनक रूप से बूढ़ा हो गया हूं. आप सब हंसने लगेंगे. अगर मैं किसी की फीस तय कर दूं तो जूनियर्स कोर्ट में हंसने लगेंगे.'

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'चूंकि यह अंतरिम नियुक्ति है इसलिए (न्यायमूर्ति नाथ का) मानदेय उपराज्यपाल से मशविरा करके निर्धारित किया जाना चाहिए.'

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि वह तदर्थ आधार पर संक्षिप्त समय के लिए डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी, जब तक कि ऐसी नियुक्ति करने की उपराज्यपाल की शक्ति को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर फैसला नहीं हो जाता.

न्यायालय ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि 'अध्यक्षविहीन' संस्था की किसी को परवाह नहीं है. डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना के बीच गतिरोध बने रहने के बीच, शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह कुछ होमवर्क करेगी और किसी को संक्षिप्त अवधि के लिए इस पद पर नियुक्त करेगी.

इससे पहले 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री और दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी), दो संवैधानिक पदाधिकारी बैठ कर डीईआरसी के अध्यक्ष के लिए नाम तय कर सकते हैं? शीर्ष अदालत ने कहा था, 'वे संवैधानिक पदाधिकारी हैं……. उन्हें राजनीतिक कलह से ऊपर उठना होगा...उन्हें एक साथ बैठना होगा और हमें एक नाम देना होगा.'

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(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)

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