नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बिजली संकट को लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ( Delhi Deputy CM Manish Sisodia ) का बड़ा बयान आया है. उन्होंने बिजली संकट के लिए केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. इन सब के बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेंस, जिसमें उन्होंने कोयले की किसी भी तरह की किल्लत की संभावना को खारिज किया कर दिया, उन्होंने इसे अफवाह बताते हुए यहां तक कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को चिट्ठी नहीं लिखनी चाहिए थी. इस पर पलटवार करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिस तरीके से स्थिति हो रही है, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बीजेपी केंद्र में सरकार चलाने में सक्षम नहीं है. वह बिजली संकट से भागने का बहाना ढूंढ रहे हैं.
बता दें कि देशभर में बिजली संकट के खतरे के बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने रविवार को दिल्ली के अधिकारियों के साथ बैठक की. इसके बाद मीडिया से बात करते हुए आरके सिंह ने बिजली संकट के खतरे से संबंधित रिपोर्ट को खारिज कर दिया. उन्होंने बिजली संकट को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि बिजली का कोई संकट नहीं है और कोयले का पर्याप्त स्टॉक है. उन्होंने कहा, हमने आज सभी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी. दिल्ली में जितनी बिजली की आवश्यकता है, उतनी बिजली की आपूर्ति हो रही है और होती रहेगी.
केंद्रीय मंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोयला संकट को लेकर केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ही पत्र नहीं लिखा है, बल्कि आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी कोयला संकट को लेकर केंद्र को पत्र लिखा है, लेकिन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री इस पर काम करने के बजाए सियासत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ ऐसा ही कोविड-19 अप्रैल-मई माह में भी देखने को मिला था, जब ऑक्सीजन का संकट था. राज्य सरकार केंद्र से ऑक्सीजन की मांग कर रहे थे लेकिन केंद्र सरकार लगातार कह रही थी ऑक्सीजन की कमी नहीं है. कुछ इसी तरह कोयला संकट को लेकर भी स्थिति देखने को मिल रही है. केंद्र सरकार कोयला संकट को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोयला संकट से बिजली तो प्रभावित होगी ही, बल्कि इससे उद्योग पर भी असर पड़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होगा. सरकार को जल्द ही राजनीतिक बयान देने के बजाय कोयला संकट को ठीक करने की ओर कदम बढ़ाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई राज्यों में तो ऐसी सूचनाएं आ रही हैं कि वहां पर कुछ संयंत्र बंद हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि सरकार सहयोग से चलती है. सरकार इस तरह से नहीं चलती कि अगर राज्य सरकार किसी संकट के बारे में केंद्र सरकार को अवगत कराए तो वह कह दें नहीं ऐसा नहीं है, आप गलत कह रहे हैं. साथ ही कहा कि अगर देश के समक्ष कोई संकट आ रहा है तो राज्य और केंद्र को मिलकर संकट से पार पाने के लिए योजना बनाना चाहिए ना की उस पर आंख बंद और मुंह फेर कर बैठ जाएं.
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बता दें कि दिल्ली अपनी बिजली आपूर्ति के लिए जिन पावर प्लांट पर निर्भर रहती है, उनमें कोयले की कमी है. जिसके बाद दिल्ली में बिजली संकट पैदा हो सकता है. इसी को देखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र लिखा था. पीएम मोदी को लिखे पत्र में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लिखा था कि अगस्त और सितंबर के बाद यह लगातार तीसरा महीना है, जब बिजली उत्पादन पर असर पड़ रहा है. उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की आपूर्ति करने वाले उत्पादन संयंत्रों में कोयला और गैस पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था.
वहीं बिजली वितरण कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गणेश श्रीनिवासन ने भी शनिवार को कहा था कि देशभर में कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन कम हो गया है और आने वाले दिनों में दिल्ली में बारी-बारी से बिजली कटौती हो सकती है.
वहीं रविवार को ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा, बिना आधार के ये पैनिक इसलिए हुआ, क्योंकि गेल ने दिल्ली के डिस्कॉम को एक मैसेज भेज दिया कि वो बवाना के गैस स्टेशन को गैस देने की कार्रवाई एक या दो दिन बाद बंद करेगा. वो मैसेज इसलिए भेजा, क्योंकि उसका कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो रहा है.
सिंह ने कहा, बैठक में गेल के भी सीएमडी थे, हमने उन्हें कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट बंद हो या नहीं, गैस के स्टेशन को जितनी गैस की जरूरत है उतनी गैस आप देंगे. ऊर्जा मंत्री ने कहा, पहले की तरह कोयले का 17 दिन का स्टॉक नहीं है, लेकिन चार दिन का स्टॉक है. कोयले की ये स्थिति इसलिए है, क्योंकि हमारी मांग बढ़ी है और हमने आयात कम किया है. हमें कोयले की अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी है हम इसके लिए कार्रवाई कर रहे हैं.
बता दें, शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कोयले की कमी के कारण राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की आपूर्ति करने वाले उत्पादन संयंत्रों में कोयला और गैस पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था.
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