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दिल्ली में ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर जालसाजी, बिहार और बंगाल से पकड़े गए जालसाज - नई दिल्ली

दिल्ली के साइबर सेल ने ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर ठगी (fraud on the name of oxygen cylinder) करने वाले एक गैंग का पर्दाफाश करते हुए 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. बिहार और पश्चिम बंगाल से इस गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है.

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दिल्ली का साइबर सेल (फाइल फोटो)
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Published : Nov 28, 2021, 2:30 AM IST

नई दिल्ली : कोविड-19 के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने के नाम पर ठगी (fraud on the name of oxygen cylinder) करने वाले एक गैंग का साइबर सेल (delhi cyber cell) ने पर्दाफाश किया है. बिहार और पश्चिम बंगाल से इस गैंग (fraud gang in bihar and west bengal) के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें सरिता, पिंकी देवी, अमित रोशन, नीतीश कुमार, सुमन मंडल, उत्पल घोषाल, पवन, कमलकांत सिन्हा और सचिन कुमार शामिल हैं. इनमें पवन और कमलकांत सिन्हा इस पूरे गैंग के मास्टरमाइंड है.

डीसीपी केपीएस मल्होत्रा के अनुसार, विनोद कुमार ने पुलिस को शिकायत में बताया कि उनकी पत्नी कोरोना से पीड़ित थीं. उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर (oxygen cylinder crisis in delhi) की आवश्यकता थी क्योंकि उनकी पत्नी को सांस लेने में बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही थी. उन्होंने सोशल मीडिया पर मिले एक नंबर पर संपर्क किया. उस शख्स ने कॉल उठाई. उसने उन्हें एक बैंक खाते में 25000 रुपये जमा कराने को कहा. उन्होंने तुरंत 25000 रुपये बैंक खाते में जमा करा दिए. लेकिन उन्हें ना तो ऑक्सीजन सिलेंडर मिला और ना ही उनका पैसा वापस आया.

उस नंबर पर आरोपी ने उन्हें जवाब देना भी बंद कर दिया. इस घटना में उनकी पत्नी की मौत भी हो गई थी. शिकायत मिलने पर मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की गई. पुलिस टीम ने कॉल डिटेल निकालने के अलावा बैंक खातों को भी खंगाला. इसकी मदद से बिहार से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इसमें पुलिस को पता चला कि वह स्पेशल सेल में दर्ज एक अन्य ठगी के मामले में भी वांछित चल रहे थे. उनसे मिली जानकारी पर छह अन्य आरोपियों को पश्चिम बंगाल और बिहार से गिरफ्तार किया गया. इसमें मुख्य साजिशकर्ता सभी मॉड्यूल के बीच में तालमेल बिठाने का काम करता था.

ये भी पढ़ें - राजस्थान इंटेलिजेंस की टीम ने आईएसआई एजेंट को गिरफ्तार किया

इसके पहले मॉड्यूल में मौजूद शख्स अपने नंबर को सोशल मीडिया पर वायरल करते थे. इसमें बताया जाता था कि ऑक्सीजन सिलेंडर मिल रहे हैं. इस गैंग के दूसरे मॉड्यूल में टेलीकॉलर थे. वह ऑक्सीजन की मांग वाले फोन अटेंड करते थे और ऑक्सीजन सिलेंडर ((oxygen cylinder) घर भेजने के नाम पर उनसे रुपए मांगते थे. तीसरे मॉड्यूल में अकाउंट हैंडलर थे जो फर्जी दस्तावेजों पर खाता खोलते थे. चौथे मॉड्यूल में अकाउंट देने वाले थे. यह लोग 10 फ़ीसदी कमीशन लेकर अपना बैंक खाता गरीबों का खाता ले लेते थे. पांचवें मॉड्यूल में अकाउंट होल्डर होते थे. यह आम तौर पर गरीब आदमी थे जिन्हें किराए पर बैंक खाता लिया जाता था. उनका एटीएम और चेक बुक आरोपी ले लेते थे. छठे नंबर पर सिम कार्ड प्रोवाइडर थे जो इन्हें ठगी के लिए सिम कार्ड देते थे.

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया सचिन कुमार बिहार के शेखोपुर सराय का रहने वाला है. वह एटीएम से रुपए निकालने का काम करता था. पुलिस ने इस बैंक के पास से 9 मोबाइल, एक लैपटॉप, 11 सिम कार्ड और 7 एटीएम कार्ड बरामद किए हैं. इस गैंग के सरगना पोस्ट ग्रेजुएट हैं और कोचिंग सेंटर भी चलाते हैं. गिरफ्तार किया गया पवन पीएचडी कर रहा है जबकि कमलकांत एमसीए कर चुका है.

नई दिल्ली : कोविड-19 के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने के नाम पर ठगी (fraud on the name of oxygen cylinder) करने वाले एक गैंग का साइबर सेल (delhi cyber cell) ने पर्दाफाश किया है. बिहार और पश्चिम बंगाल से इस गैंग (fraud gang in bihar and west bengal) के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें सरिता, पिंकी देवी, अमित रोशन, नीतीश कुमार, सुमन मंडल, उत्पल घोषाल, पवन, कमलकांत सिन्हा और सचिन कुमार शामिल हैं. इनमें पवन और कमलकांत सिन्हा इस पूरे गैंग के मास्टरमाइंड है.

डीसीपी केपीएस मल्होत्रा के अनुसार, विनोद कुमार ने पुलिस को शिकायत में बताया कि उनकी पत्नी कोरोना से पीड़ित थीं. उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर (oxygen cylinder crisis in delhi) की आवश्यकता थी क्योंकि उनकी पत्नी को सांस लेने में बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही थी. उन्होंने सोशल मीडिया पर मिले एक नंबर पर संपर्क किया. उस शख्स ने कॉल उठाई. उसने उन्हें एक बैंक खाते में 25000 रुपये जमा कराने को कहा. उन्होंने तुरंत 25000 रुपये बैंक खाते में जमा करा दिए. लेकिन उन्हें ना तो ऑक्सीजन सिलेंडर मिला और ना ही उनका पैसा वापस आया.

उस नंबर पर आरोपी ने उन्हें जवाब देना भी बंद कर दिया. इस घटना में उनकी पत्नी की मौत भी हो गई थी. शिकायत मिलने पर मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की गई. पुलिस टीम ने कॉल डिटेल निकालने के अलावा बैंक खातों को भी खंगाला. इसकी मदद से बिहार से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इसमें पुलिस को पता चला कि वह स्पेशल सेल में दर्ज एक अन्य ठगी के मामले में भी वांछित चल रहे थे. उनसे मिली जानकारी पर छह अन्य आरोपियों को पश्चिम बंगाल और बिहार से गिरफ्तार किया गया. इसमें मुख्य साजिशकर्ता सभी मॉड्यूल के बीच में तालमेल बिठाने का काम करता था.

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इसके पहले मॉड्यूल में मौजूद शख्स अपने नंबर को सोशल मीडिया पर वायरल करते थे. इसमें बताया जाता था कि ऑक्सीजन सिलेंडर मिल रहे हैं. इस गैंग के दूसरे मॉड्यूल में टेलीकॉलर थे. वह ऑक्सीजन की मांग वाले फोन अटेंड करते थे और ऑक्सीजन सिलेंडर ((oxygen cylinder) घर भेजने के नाम पर उनसे रुपए मांगते थे. तीसरे मॉड्यूल में अकाउंट हैंडलर थे जो फर्जी दस्तावेजों पर खाता खोलते थे. चौथे मॉड्यूल में अकाउंट देने वाले थे. यह लोग 10 फ़ीसदी कमीशन लेकर अपना बैंक खाता गरीबों का खाता ले लेते थे. पांचवें मॉड्यूल में अकाउंट होल्डर होते थे. यह आम तौर पर गरीब आदमी थे जिन्हें किराए पर बैंक खाता लिया जाता था. उनका एटीएम और चेक बुक आरोपी ले लेते थे. छठे नंबर पर सिम कार्ड प्रोवाइडर थे जो इन्हें ठगी के लिए सिम कार्ड देते थे.

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया सचिन कुमार बिहार के शेखोपुर सराय का रहने वाला है. वह एटीएम से रुपए निकालने का काम करता था. पुलिस ने इस बैंक के पास से 9 मोबाइल, एक लैपटॉप, 11 सिम कार्ड और 7 एटीएम कार्ड बरामद किए हैं. इस गैंग के सरगना पोस्ट ग्रेजुएट हैं और कोचिंग सेंटर भी चलाते हैं. गिरफ्तार किया गया पवन पीएचडी कर रहा है जबकि कमलकांत एमसीए कर चुका है.

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