नई दिल्ली : लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman in Lok Sabha) द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि बेंगलुरू को पछाड़कर दिल्ली स्टार्ट अप कैपिटल ऑफ इंडिया बन गया है. प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल (Principal Economic Advisor Sanjeev Sanyal) द्वारा लिखित सर्वेक्षण में डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स, यूनिकॉर्न के विवरण (स्टार्टअप्स ने 1 अरब डॉलर से अधिक का मूल्यांकन हासिल किया है), हालिया रुझान और देश में रोजगार पैदा करने में स्टार्टअप की भूमिका के बारे में विस्तृत जानकारी दी है.
हाल के वर्षों में दिल्ली, बेंगलुरू को पीछे छोड़कर भारत की स्टार्टअप राजधानी के रूप में बदल गया है. अप्रैल 2019 से दिसंबर 2021 के बीच दिल्ली में 5000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप जोड़े गए, जबकि बैंगलोर में 4514 स्टार्टअप जोड़े गए. आंकड़ों से पता चला है कि भारत के सबसे समृद्ध और औद्योगिक राज्यों में से एक महाराष्ट्र में कुल 11308 स्टार्टअप के साथ देश में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं.
दुनिया में स्टार्टअप्स की तीसरी सबसे बड़ी संख्या
सर्वेक्षण के अनुसार पिछले छह वर्षों में भारत में स्टार्टअप का उल्लेखनीय विकास हुआ है. नए मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या 2021-22 में बढ़कर 14000 से अधिक हो गई जबकि 2016-17 में केवल 733 नए मान्यता प्राप्त स्टार्टअप थे. अधिकांश स्टार्टअप सेवा क्षेत्र से संबंधित हैं क्योंकि वे सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के अलावा अर्थव्यवस्था के उभरते क्षेत्रों जैसे फिनटेक, एडुटेक और हेल्थटेक क्षेत्रों में सक्रिय हैं.
नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2016 में स्टार्टअप इंडिया योजना शुरू की थी और वित्त वर्ष 2016-17 के बजट में इस क्षेत्र के लिए कई रियायतों की घोषणा की गई थी. परिणामस्वरूप 10 जनवरी 2022 तक देश में 61400 से अधिक स्टार्टअप को मान्यता दी गई है.
आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2021 में देश के 555 जिलों में कम से कम एक नया स्टार्टअप था. दूसरी ओर 2016-17 में केवल 121 जिलों में कम से कम 1 नया स्टार्टअप था. यह केवल स्टार्टअप या नए स्टार्टअप की संख्या नहीं है, भारतीय स्टार्टअप विश्व स्तर पर नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं.
भारत में 2021 में रिकॉर्ड संख्या में स्टार्टअप (44) यूनिकॉर्न की स्थिति में पहुंच गए थे. देश ने यूके को पीछे छोड़ते हुए अमेरिका और चीन के बाद तीसरे सबसे बड़े देश के रूप में उभर कर सामने आया जिसने 2021 में क्रमशः 487 और 301 यूनिकॉर्न जोड़े. सर्वेक्षण में कहा गया है कि 14 जनवरी 2022 तक भारत में 83 यूनिकॉर्न हैं, जिनका कुल मूल्यांकन 277.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर है.
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स्टार्टअप्स के लिए स्पेस सेक्टर नया मोर्चा
सर्वेक्षण के अनुसार अंतरिक्ष क्षेत्र में लगे स्टार्ट-अप की संख्या में रुझान भी भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास की गति को दर्शाता है क्योंकि पिछले तीन वर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या में 11 से बढ़कर 47 हो गई है. हाल ही में शुरू की गई नीतिगत पहलों और निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के एक बड़े हिस्से पर कब्जा करने की उम्मीद है. जो कि 2020 में 447 अरब डॉलर के करीब था. वर्तमान में भारत का हिस्सा केवल 2 प्रतिशत है. अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के प्रमुख खिलाड़ियों में अमेरिका और चीन से बहुत पीछे है.