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मुकदमों में विलंब के कारण जेल में रहने को मजबूर हैं विचाराधीन कैदी : हाईकोर्ट

बंबई हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमों का निपटारा निर्धारित समयसीमा में नहीं हो रहा है. इसकी वजह से विचाराधीन कैदी जेल में रहने को मजबूर हैं. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 14, 2021, 8:18 PM IST

बंबई हाईकोर्ट
बंबई हाईकोर्ट

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court ) ने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार 28 वर्षीय एक व्यक्ति की याचिका पर बुधवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. अदालत ने कहा कि मामलों में मुकदमों का निपटारा किसी निर्धारित समयसीमा में नहीं हो रहा है तथा इसकी वजह से विचाराधीन कैदी जेल में रहने को मजबूर हैं.

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार (Justices S S Shinde and N J Jamadar ) की पीठ आरोपी इकबाल अहमद कबीर अहमद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने उसे जमानत नहीं देने के एक विशेष अदालत के आदेश को चुनौती दी थी.

अहमद को आतंकी संगठन से जुड़े होने के आरोप में चार साल पहले गिरफ्तार किया गया था. आरोपी के खिलाफ कठोर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) तथा भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया था.

पहले इस मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस का आतंकवादी रोधी दस्ता (एटीएस) कर रहा था, लेकिन अब राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) इस मामले को देख रहा है.

आरोपी के वकील मिहिर देसाई ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई सबूत नहीं है और मामले में मुकदमा अभी शुरू होना बाकी है तथा 150 से अधिक गवाहों से जिरह की जानी है.

अदालत ने जानना चाहा कि मुकदमा शुरू होने और फिर इसे पूरा होने में कितना समय लगेगा.

यह भी पढ़ें- कश्मीर में गोला-बारूद के साथ लश्कर-ए-तैयबा के 2 सहयोगी गिरफ्तार

एनआईए की ओर से पेश वकील ए के पाई ने कहा कि यहां स्थित एनआईए अदालत मामले पर 20 जुलाई को सुनवाई करने वाली है.

अदालत ने स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह बचाव पक्ष के वकीलों की ओर से त्रुटि हो सकती है या अभियोजन पक्ष के वकीलों की ओर से, लेकिन मुकदमों का निपटारा किसी निर्धारित समयसीमा में नहीं हो रहा है और इस वजह से विचाराधीन कैदी जेल में रहने को मजबूर हैं.

उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.

(पीटीआई भाषा)

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court ) ने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार 28 वर्षीय एक व्यक्ति की याचिका पर बुधवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. अदालत ने कहा कि मामलों में मुकदमों का निपटारा किसी निर्धारित समयसीमा में नहीं हो रहा है तथा इसकी वजह से विचाराधीन कैदी जेल में रहने को मजबूर हैं.

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार (Justices S S Shinde and N J Jamadar ) की पीठ आरोपी इकबाल अहमद कबीर अहमद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने उसे जमानत नहीं देने के एक विशेष अदालत के आदेश को चुनौती दी थी.

अहमद को आतंकी संगठन से जुड़े होने के आरोप में चार साल पहले गिरफ्तार किया गया था. आरोपी के खिलाफ कठोर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) तथा भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया था.

पहले इस मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस का आतंकवादी रोधी दस्ता (एटीएस) कर रहा था, लेकिन अब राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) इस मामले को देख रहा है.

आरोपी के वकील मिहिर देसाई ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई सबूत नहीं है और मामले में मुकदमा अभी शुरू होना बाकी है तथा 150 से अधिक गवाहों से जिरह की जानी है.

अदालत ने जानना चाहा कि मुकदमा शुरू होने और फिर इसे पूरा होने में कितना समय लगेगा.

यह भी पढ़ें- कश्मीर में गोला-बारूद के साथ लश्कर-ए-तैयबा के 2 सहयोगी गिरफ्तार

एनआईए की ओर से पेश वकील ए के पाई ने कहा कि यहां स्थित एनआईए अदालत मामले पर 20 जुलाई को सुनवाई करने वाली है.

अदालत ने स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह बचाव पक्ष के वकीलों की ओर से त्रुटि हो सकती है या अभियोजन पक्ष के वकीलों की ओर से, लेकिन मुकदमों का निपटारा किसी निर्धारित समयसीमा में नहीं हो रहा है और इस वजह से विचाराधीन कैदी जेल में रहने को मजबूर हैं.

उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.

(पीटीआई भाषा)

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