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आतंकवाद के किसी भी कृत्य का समर्थन मानवता के खिलाफ अपराध : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन की एक बैठक में कहा कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है और आतंक के किसी भी कृत्य का समर्थन मानवता के खिलाफ अपराध है. पढ़ें पूरी खबर...

राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह
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Published : Jul 28, 2021, 11:10 PM IST

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने बुधवार को दुशांबे (Dushanbe) में शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization - SCO) की एक बैठक में कहा, आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है और आतंक के किसी भी कृत्य का समर्थन मानवता के खिलाफ अपराध है.

उन्होंने आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ने का भारत का संकल्प दोहराया और कहा कि शांति एवं समृद्धि आतंकवाद के साथ-साथ नहीं रह सकती. उनकी इस टिप्पणी को पाकिस्तान पर निशाना साधे जाने के तौर पर देखा जा रहा है.

सिंह ने चीन, रूस और एससीओ के अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की मौजूदगी में कहा, 'शांति एवं समृद्धि आतंकवाद के साथ-साथ नहीं रह सकती. आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है.

उन्होंने कहा, 'सीमा पार से आतंकवाद सहित आतंक का कोई भी कृत्य और इस तरह के कृत्य को समर्थन, चाहे किसी के भी द्वारा, कहीं भी और किसी भी मंसूबे से किया जाए, वह मानवता के खिलाफ अपराध है. भारत आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ने का संकल्प दोहराता है.'

सिंह ने कहा कि भारत एससीओ के अंदर सुरक्षा क्षेत्र में विश्वास मजबूत करने तथा समानता, परस्पर सम्मान और समझ के साथ समूह के साझेदारों के साथ द्विपक्षीय तरीके से संबंध मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देता है. उन्होंने विस्तार से बताए बगैर कहा, 'आज चुनौती महज एक अवधारणा और नियम नहीं है बल्कि उनका गंभीरता से पालन करना है. विश्व की नेतृत्वकारी आवाज को हर रास्ते में अवश्य ही उदाहरण होना चाहिए.'

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर क्षेत्र बनाने में मदद करने के लिए एससीओ ढांचे के अंदर काम करने के अपने संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त संस्थागत क्षमताओं के विकास के लिए एससीओ सदस्य देशों के साथ साझेदारी करने को भी तैयार है.

सिंह ने कहा कि भारत की भू-रणनीतिक स्थिति इसे एक यूरेशियाई भू शक्ति और हिंद-प्रशांत में हितधारक, दोनों बनाता है.

रक्षा मंत्री ने कहा, 'इसलिए, हमारा इरादा और आकांक्षा समूचे क्षेत्र में समृद्धि और विकास के प्रति लक्षित है. हम सुरक्षा और क्षेत्र में सभी के लिए संवृद्धि की अपनी राष्ट्रीय नीति (जिसे सागर शब्दावली के रूप में जाना जाता है) के जरिए इस इरादे की पुष्टि करते हैं.'

सिंह ने कहा कि एससीओ सदस्य देशों में कुल मिलाकर मानव की करीब आधी आबादी रहती है और भौगोलिक विस्तार के संदर्भ में इसके तहत यूरेशियाई द्वीप का 60 प्रतिशत हिस्सा आता है. उन्होंने कहा, 'इस तरह एक सुरक्षित और स्थिर क्षेत्र बनाने में हमारा सामूहिक हित है.'

उन्होंने कहा कि इसी भावना के साथ भारत, अफगानिस्तान के लोगों की मदद कर रहा है, जो दशकों से हिंसा और तबाही का सामना कर रहा है. भारत ने वहां अब तक 500 परियोजनाएं पूरी की हैं.

पढ़ें : LAC पर चीन से निपटने के लिए भारतीय सेना की आतंकवाद निरोधी इकाई तैनात

रक्षा मंत्री एससीओ के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए तीन दिनों के दौरे पर मंगलवार को ताजिकिस्तान की राजधानी पहुंचे थे. एससीओ, चीन,भारत और पाकिस्तान सहित आठ देशों का एक प्रभावशाली समूह है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने बुधवार को दुशांबे (Dushanbe) में शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization - SCO) की एक बैठक में कहा, आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है और आतंक के किसी भी कृत्य का समर्थन मानवता के खिलाफ अपराध है.

उन्होंने आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ने का भारत का संकल्प दोहराया और कहा कि शांति एवं समृद्धि आतंकवाद के साथ-साथ नहीं रह सकती. उनकी इस टिप्पणी को पाकिस्तान पर निशाना साधे जाने के तौर पर देखा जा रहा है.

सिंह ने चीन, रूस और एससीओ के अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की मौजूदगी में कहा, 'शांति एवं समृद्धि आतंकवाद के साथ-साथ नहीं रह सकती. आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है.

उन्होंने कहा, 'सीमा पार से आतंकवाद सहित आतंक का कोई भी कृत्य और इस तरह के कृत्य को समर्थन, चाहे किसी के भी द्वारा, कहीं भी और किसी भी मंसूबे से किया जाए, वह मानवता के खिलाफ अपराध है. भारत आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ने का संकल्प दोहराता है.'

सिंह ने कहा कि भारत एससीओ के अंदर सुरक्षा क्षेत्र में विश्वास मजबूत करने तथा समानता, परस्पर सम्मान और समझ के साथ समूह के साझेदारों के साथ द्विपक्षीय तरीके से संबंध मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देता है. उन्होंने विस्तार से बताए बगैर कहा, 'आज चुनौती महज एक अवधारणा और नियम नहीं है बल्कि उनका गंभीरता से पालन करना है. विश्व की नेतृत्वकारी आवाज को हर रास्ते में अवश्य ही उदाहरण होना चाहिए.'

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर क्षेत्र बनाने में मदद करने के लिए एससीओ ढांचे के अंदर काम करने के अपने संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त संस्थागत क्षमताओं के विकास के लिए एससीओ सदस्य देशों के साथ साझेदारी करने को भी तैयार है.

सिंह ने कहा कि भारत की भू-रणनीतिक स्थिति इसे एक यूरेशियाई भू शक्ति और हिंद-प्रशांत में हितधारक, दोनों बनाता है.

रक्षा मंत्री ने कहा, 'इसलिए, हमारा इरादा और आकांक्षा समूचे क्षेत्र में समृद्धि और विकास के प्रति लक्षित है. हम सुरक्षा और क्षेत्र में सभी के लिए संवृद्धि की अपनी राष्ट्रीय नीति (जिसे सागर शब्दावली के रूप में जाना जाता है) के जरिए इस इरादे की पुष्टि करते हैं.'

सिंह ने कहा कि एससीओ सदस्य देशों में कुल मिलाकर मानव की करीब आधी आबादी रहती है और भौगोलिक विस्तार के संदर्भ में इसके तहत यूरेशियाई द्वीप का 60 प्रतिशत हिस्सा आता है. उन्होंने कहा, 'इस तरह एक सुरक्षित और स्थिर क्षेत्र बनाने में हमारा सामूहिक हित है.'

उन्होंने कहा कि इसी भावना के साथ भारत, अफगानिस्तान के लोगों की मदद कर रहा है, जो दशकों से हिंसा और तबाही का सामना कर रहा है. भारत ने वहां अब तक 500 परियोजनाएं पूरी की हैं.

पढ़ें : LAC पर चीन से निपटने के लिए भारतीय सेना की आतंकवाद निरोधी इकाई तैनात

रक्षा मंत्री एससीओ के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए तीन दिनों के दौरे पर मंगलवार को ताजिकिस्तान की राजधानी पहुंचे थे. एससीओ, चीन,भारत और पाकिस्तान सहित आठ देशों का एक प्रभावशाली समूह है.

(पीटीआई-भाषा)

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