नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 'मोदी सरनेम' वाली टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने से गुजरात हाईकोर्ट के इनकार के बाद शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इस मामले में दोषसिद्धि के कारण उन्हें इस साल की शुरुआत में लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी की याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय का फैसला 'गलत' और 'निष्पक्ष खेल के सभी सिद्धांतों के खिलाफ' था और मानहानि के मामले को कभी भी नैतिक अधमता/नैतिक पतन (moral turpitude) के बराबर नहीं माना जा सकता है.
याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने सावरकर मामले को फैसले का आधार बनाकर गलती की और सावरकर एक अप्रासंगिक मुद्दा था, जिस पर कभी बहस नहीं की गई. सूत्र ने कहा कि याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि गांधी सिलसिलेवार अपराधी नहीं हैं और सिर्फ 10 मामलों में आरोपी हैं और ये मामले राजनीतिक विरोधियों द्वारा दुर्भावना से दायर किए गए थे.
याचिका में तर्क दिया गया कि 2 साल की सज़ा कठोर थी और याचिकाकर्ता के पास मानहानि का मामला दायर करने का कोई अधिकार नहीं था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली गांधी की अपील की उम्मीद में शीर्ष अदालत में एक कैविएट दायर की है.
7 जुलाई को हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने मोदी सरनेम को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट से उनकी दोषसिद्धि पर रोक से राहुल गांधी की लोकसभा सांसद के रूप में बहाली का रास्ता साफ हो सकता है. राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला उनकी 2019 में कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान की गई टिप्पणी से जुड़ा है.
सूरत पश्चिम का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी ने गांधी के उस बयान के जवाब में मामला दायर किया जिसमें उन्होंने सवाल उठाया था कि कैसे 'सभी चोरों का सामान्य उपनाम मोदी है.'
23 मार्च 2023 को, सूरत में एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया, जो आपराधिक मानहानि से संबंधित थी. उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई.
गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए थे, सूरत में एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें भारतीय दंड के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
कैंब्रिज में गांधी द्वारा वीर सावरकर के खिलाफ शब्दों का इस्तेमाल करने के बाद वीर सावरकर के पोते ने उनके खिलाफ पुणे की अदालत में शिकायत भी दर्ज कराई है.