नई दिल्ली: भारत-म्यांमार सीमा पर उभरते सुरक्षा खतरों की पृष्ठभूमि में, एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने गृह मंत्रालय को सौंपी एक रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में 1,643 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा के लिए एक समर्पित सुरक्षा बल पर जोर दिया है. नागालैंड के दीमापुर में डीसीपी अपराध के पद पर तैनात प्रीतपाल कौर बत्रा ने हाल ही में गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि असम राइफल्स, जो वर्तमान में भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा कर रही है, पर दोहरी जिम्मेदारी है.
बत्रा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऐसे समय में जब एक सुरक्षा एजेंसी दोहरी जिम्मेदारी निभा रही हो उसके लिए निर्धारित लक्ष्य हासिल करना मुश्किल हो जाता है. असम राइफल्स अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी लगी हुई है. अधिकारी ने कहा कि समय की मांग है कि एक समर्पित सीमा सुरक्षा बल हो, जिसे स्थानीय लोगों के समर्थन के साथ-साथ उक्त क्षेत्रों और इलाकों के जातीय मुद्दों की भी समझ हो. उन्होंने सुझाव दिया कि पूर्वोत्तर राज्यों के ग्राम रक्षकों को इसके लिए तैनात किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए उचित प्रशिक्षण, प्रोत्साहन और प्रभावी कमान और नियंत्रण की जरूरत है.
बत्रा ने कहा कि यह एक लागत प्रभावी सीमा प्रबंधन रणनीति भी हो सकती है. बत्रा की प्रस्तुत रिपोर्ट महत्वपूर्ण है, खासकर ऐसे समय में जब मणिपुर में कुकी और मोइती के बीच चल रहे जातीय संघर्ष को कथित तौर पर मणिपुर में सीमा पार से अवैध घुसपैठ से उकसाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत-म्यांमार सीमा का एक बड़ा ऐसा है जिसकी वजह से यह क्षेत्र अस्थिर बना हुआ है. क्योंकि म्यांमार से भारत में विद्रोहियों की लगातार आमद हो रही है.
इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में सीमा पार से तस्करी कई गुना बढ़ गई है. यह दोनों दिशाओं में बढ़ रही है. बत्रा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हेरोइन और सिंथेटिक ड्रग्स म्यांमार से भारत आ रहे हैं, जबकि एसिटिक एनहाइड्राइड और इफेड्रिन जैसे रसायन, कच्ची अफीम को हेरोइन में बदलने की सामग्री भारत से लाई जाती है.
ये भी पढ़ें |
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलिस चौकियों को इलाके में चलने वाले पर्याप्त वाहनों, रेडियो संचार सेट, पर्याप्त जनशक्ति, शस्त्रागार, बुनियादी ढांचे और बाड़ वाले सीमा पुलिस स्टेशन के साथ-साथ अन्य रसद से सुसज्जित किया जाना चाहिए. बत्रा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात पुलिस कर्मियों को सीमा प्रबंधन और इसकी आवश्यकताओं पर नियमित पुनरीक्षण पाठ्यक्रम दिया जाना चाहिए.