मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में दाखिल चौथी पिटीशन पर शनिवार को फैसला सुनाते हुए जिला सेशन न्यायधीश 6 की कोर्ट ने वाद दर्ज करने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही इस मामले में चार प्रतिवादी पक्षों को नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 8 मार्च को तय की गई है.
बता दें कि प्राचीन मंदिर ठाकुर केशव कटरा विराजमान मंदिर में कार्यरत पवन कुमार शास्त्री ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को अतिक्रमण मुफ्त बनाने की मांग को लेकर 2 फरवरी को सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में पिटीशन फाइल की थी. जिसके बाद सीनियर डिवीजन जज के अवकाश पर होने के कारण इस मामले पर जिला सेशन न्यायधीश सिक्स की कोर्ट में बहस हुई. बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
तीन अन्य पिटीशन विचाराधीन
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में तीन अन्य पिटीशन न्यायालय में फाइल हैं. पहली पिटीशन कृष्ण भक्त रंजना अग्निहोत्री जिला न्यायालय कोर्ट में 25 सितंबर को कोर्ट में फाइल की गई. दूसरी पिटीशन 15 दिसंबर को भगवान कृष्ण के वंशज मनीष यादव (हिंदू आर्मी संगठन चीफ) ने सिविल जज सीनियर डिवीजन में फाइल की गई थी. वहीं, तीसरी पिटीशन यूनाइटेड हिंदू फ्रंट संस्थान ने 23 दिसंबर को सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट में फाइल की थी. तीनों मामले फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन हैं.
चारों प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में चौथी पिटीशन पर वाद दर्ज होने के बाद शाही ईदगाह कमेटी, सुन्नी वक्फ बोर्ड, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट को प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी किए जा रहे हैं.
क्या है मांग
बता दें, श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. वहीं, मांग है कि शाही ईदगाह की जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए.
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पवन कुमार शास्त्री मंदिर सेवायत ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर 2 फरवरी को सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोट में पिटीशन फाइल की गई थी. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए वाद दर्ज करने के आदेश दिए है. पूरी जमीन प्राचीन मंदिर ठाकुर केशव कटरा मंदिर की है. वहां ईदगाह मस्जिद रहने का कोई अधिकार नहीं है. वहीं, अधिवक्ता देवकीनंदन शर्मा ने बताया 2 फरवरी को श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर पिटीशन फाइल की गई थी. जिसमें कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए वाद दर्ज करने के आदेश दिए हैं.