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जानें, जम्मू और कश्मीर में डीडीसी चुनाव और क्या है इसकी प्रक्रिया - कश्मीर के संभागीय आयुक्त पांडुरंग कोंडबाराव

पंचायती राज अधिनियम के 73वें संशोधन के जरिए पीएम मोदी ने जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील किया था. इस वजह से 28 नवंबर से यहां 8 चरणों में जिला विकास परिषदों के चुनाव होने जा रहे हैं.

ddc election in jammu and kashmir
अनुच्छेद 370 और 35A के हटने के बाद पहली बार हो रहे चुनाव
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Published : Nov 26, 2020, 9:44 AM IST

Updated : Nov 27, 2020, 11:02 PM IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में तब्दील करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने क्षेत्र में पंचायती राज अधिनियम के 73वें संशोधन को लागू किया है. इस संशोधन के आधार पर तत्कालीन राज्य के 20 जिलों में 280 जिला विकास परिषदों (डीडीसी) का गठन किया गया था. बता दें, 28 नवंबर से जम्मू कश्मीर में डीडीसी के आठ चरण के चुनाव होने जा रहे हैं.

इस पूरे मसले पर कश्मीर के संभागीय आयुक्त पांडुरंग कोंडबाराव पोल ने ईटीवी भारत से एक विशेष इंटरव्यू में विस्तृत जानकारी साझा की.

अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार हो रहे चुनाव

कश्मीर के संभागीय आयुक्त पांडुरंग कोंडबाराव ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्त होने के बाद से यह पहली बार है कि इस क्षेत्र में चुनाव हो रहे हैं. इस चुनाव में जम्मू-कश्मीर के सभी मुख्य राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स मूवमेंट, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और चार अन्य राजनीतिक दलों ने गुप्कार घोषणा के लिए पीपुल्स एलायंस का गठन किया है. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के डीडीसी चुनाव में बीजेपी को दूर रखने के लिए इन लोगों ने एकजुटता दिखाई है.

अनुच्छेद 370 और 35A के हटने के बाद पहली बार हो रहे चुनाव

पंचायत राज अधिनियम में संशोधन

1. 16 अक्टूबर को गृह मंत्रालय ने पारित कानून में संशोधन से जिला विकास परिषद (डीडीसी) की स्थापना हुई थी, जिससे मतदाता सीधे सदस्यों का चुनाव करेंगे.

2. केंद्र सरकार के गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 96 द्वारा प्रदान की गई शक्तियों के अभ्यास में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (राज्य कानूनों का अनुकूलन) चौथा आदेश, 2020 के केंद्र द्वारा संशोधन किए हैं.

3. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले जम्मू और कश्मीर में कानूनों में संशोधन करने की शक्तियां विधानसभा के साथ जुड़ी थीं. हालांकि, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (2019) के कार्यान्वयन के साथ, शक्तियों को गृह मंत्रालय के पास निहित की जा चुकी हैं.

4. जम्मू और कश्मीर पंचायत राज अधिनियम, 1989 में 73 वां संशोधन करने की यहां के पंचायत सदस्यों के संगठनों की लंबे समय से लंबित मांग थी, लेकिन चुनी हुई सरकारों में से किसी ने भी इस अधिनियम में संशोधन नहीं किया.

5. अधिनियम में संशोधन की घोषणा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की थी. प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम में संशोधन की मंजूरी जल्द ही चुनाव कराने की सुविधा प्रदान करेगी.

6. जावड़ेकर ने कहा कि अनुच्छेद 370 के उन्मूलन से पहले देशभर में हर जगह स्थानीय प्रतिनिधियों को चुनाव करने का अधिकार था, लेकिन जम्मू और कश्मीर में "ऐसा नहीं हो रहा था".

7. जावड़ेकर ने कहा था कि कश्मीर में प्रधानमंत्री और संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने वादा किया गया था कि यह होगा और अब इस वादे को पूरा करने का समय आ गया है. अब जल्दी चुनाव होंगे और स्थानीय निकायों के प्रबंधन की शक्ति लोगों तक जाएगी.

8. संशोधित अधिनियम में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण रखा गया है और इसमें कहा गया है कि आरक्षित सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई से कम अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए रखा जाएगा या, अनुसूचित जनजातियों के विषय में जैसा भी मामला हो.

9. इसके अलावा, प्रत्येक डीडीसी में प्रत्यक्ष चुनाव में भरी जाने वाली सीटों की एक-तिहाई (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या सहित) महिलाओं के लिए आरक्षित होगी.

10. अधिनियम के अनुसार जिले में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में नियमित आवर्तन द्वारा आरक्षित सीटें आवंटित की जाएंगी.

डीडीसी चुनाव, रचना और कार्य

1. जम्मू और कश्मीर की पूर्ववर्ती स्थिति में डीडीसी के स्थान पर सरकारें जिला योजना और विकास बोर्ड का गठन करती थीं. कैबिनेट मंत्री बोर्ड का अध्यक्ष होता था और जिला विकास आयुक्त के अलावा एमएलसी, विधायक, सांसद और ब्लॉक विकास परिषदों, शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों से बनता था.

2. बोर्ड एक वार्षिक विकास योजना तैयार करेगा और विकास कार्यों के लिए एक विशेष बजट आवंटित करेगा.

3. संशोधित कानून के अनुसार जम्मू और कश्मीर के प्रत्येक जिले में 14 निर्वाचन क्षेत्र होंगे और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में डीडीसी के लिए एक निर्वाचित सदस्य होगा. इसके बाद डीडीसी सदस्य एक अध्यक्ष और उप अध्यक्ष का चुनाव करेंगे. नए अधिनियम के अनुसार संसद सदस्य डीडीसी के सदस्य नहीं होंगे. निर्वाचन क्षेत्रों के लिए परिसीमन शुरू हो चुका है और कई जिलों ने उन्हें सूचित कर दिया है.

4. एक बार डीडीसी चुने जाने के बाद उन्हें संपूर्ण विकास की योजना को तैयार करने और क्रियान्वित करने का अधिकार दिया जायेगा. एक डीडीसी के पास पूरे जिले पर अधिकार क्षेत्र होगा, जिसमें नगर निगम की सीमा के भीतर आने वाले हिस्से को छोड़कर.

5. पंचायतों के सभी स्तरों पर एक साथ आम चुनाव कराने के अलावा डीडीसी का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा, ताकि जिले के सभी स्तरों में कुल मिलाकर एक तिहाई सीटें होंगी और जिला विकास के अध्यक्ष के कार्यालय की कुल सीटों का एक तिहाई हिस्सा होगा. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में महिलाओं के लिए आरक्षित होगा.

पढ़ें: जम्मू-कश्मीर : डीडीसी चुनाव में बीजेपी के सियासी दिग्गजों ने संभाला मोर्चा

6. प्रत्येक डीडीसी के पास वित्त के लिए एक स्थायी समिति, विकास की स्थायी समिति, सार्वजनिक निर्माण के लिए स्थायी समिति, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए स्थायी समिति और कल्याण के लिए स्थायी समिति होगी. प्रत्येक समिति में अध्यक्षों की इतनी संख्या शामिल होगी जिसमें जिला विकास परिषद द्वारा चुने गये अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को छोड़कर अन्य सभी निर्वाचित सदस्य स्थायी समिति में से किसी एक सदस्य के रूप में चुने जाएँ और सदस्यों की संख्या निर्वाचित हो. प्रत्येक स्थायी समिति को, जहां तक संभव हो, बराबर होना चाहिए.

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में तब्दील करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने क्षेत्र में पंचायती राज अधिनियम के 73वें संशोधन को लागू किया है. इस संशोधन के आधार पर तत्कालीन राज्य के 20 जिलों में 280 जिला विकास परिषदों (डीडीसी) का गठन किया गया था. बता दें, 28 नवंबर से जम्मू कश्मीर में डीडीसी के आठ चरण के चुनाव होने जा रहे हैं.

इस पूरे मसले पर कश्मीर के संभागीय आयुक्त पांडुरंग कोंडबाराव पोल ने ईटीवी भारत से एक विशेष इंटरव्यू में विस्तृत जानकारी साझा की.

अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार हो रहे चुनाव

कश्मीर के संभागीय आयुक्त पांडुरंग कोंडबाराव ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्त होने के बाद से यह पहली बार है कि इस क्षेत्र में चुनाव हो रहे हैं. इस चुनाव में जम्मू-कश्मीर के सभी मुख्य राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स मूवमेंट, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और चार अन्य राजनीतिक दलों ने गुप्कार घोषणा के लिए पीपुल्स एलायंस का गठन किया है. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के डीडीसी चुनाव में बीजेपी को दूर रखने के लिए इन लोगों ने एकजुटता दिखाई है.

अनुच्छेद 370 और 35A के हटने के बाद पहली बार हो रहे चुनाव

पंचायत राज अधिनियम में संशोधन

1. 16 अक्टूबर को गृह मंत्रालय ने पारित कानून में संशोधन से जिला विकास परिषद (डीडीसी) की स्थापना हुई थी, जिससे मतदाता सीधे सदस्यों का चुनाव करेंगे.

2. केंद्र सरकार के गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 96 द्वारा प्रदान की गई शक्तियों के अभ्यास में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (राज्य कानूनों का अनुकूलन) चौथा आदेश, 2020 के केंद्र द्वारा संशोधन किए हैं.

3. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले जम्मू और कश्मीर में कानूनों में संशोधन करने की शक्तियां विधानसभा के साथ जुड़ी थीं. हालांकि, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (2019) के कार्यान्वयन के साथ, शक्तियों को गृह मंत्रालय के पास निहित की जा चुकी हैं.

4. जम्मू और कश्मीर पंचायत राज अधिनियम, 1989 में 73 वां संशोधन करने की यहां के पंचायत सदस्यों के संगठनों की लंबे समय से लंबित मांग थी, लेकिन चुनी हुई सरकारों में से किसी ने भी इस अधिनियम में संशोधन नहीं किया.

5. अधिनियम में संशोधन की घोषणा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की थी. प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम में संशोधन की मंजूरी जल्द ही चुनाव कराने की सुविधा प्रदान करेगी.

6. जावड़ेकर ने कहा कि अनुच्छेद 370 के उन्मूलन से पहले देशभर में हर जगह स्थानीय प्रतिनिधियों को चुनाव करने का अधिकार था, लेकिन जम्मू और कश्मीर में "ऐसा नहीं हो रहा था".

7. जावड़ेकर ने कहा था कि कश्मीर में प्रधानमंत्री और संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने वादा किया गया था कि यह होगा और अब इस वादे को पूरा करने का समय आ गया है. अब जल्दी चुनाव होंगे और स्थानीय निकायों के प्रबंधन की शक्ति लोगों तक जाएगी.

8. संशोधित अधिनियम में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण रखा गया है और इसमें कहा गया है कि आरक्षित सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई से कम अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए रखा जाएगा या, अनुसूचित जनजातियों के विषय में जैसा भी मामला हो.

9. इसके अलावा, प्रत्येक डीडीसी में प्रत्यक्ष चुनाव में भरी जाने वाली सीटों की एक-तिहाई (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या सहित) महिलाओं के लिए आरक्षित होगी.

10. अधिनियम के अनुसार जिले में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में नियमित आवर्तन द्वारा आरक्षित सीटें आवंटित की जाएंगी.

डीडीसी चुनाव, रचना और कार्य

1. जम्मू और कश्मीर की पूर्ववर्ती स्थिति में डीडीसी के स्थान पर सरकारें जिला योजना और विकास बोर्ड का गठन करती थीं. कैबिनेट मंत्री बोर्ड का अध्यक्ष होता था और जिला विकास आयुक्त के अलावा एमएलसी, विधायक, सांसद और ब्लॉक विकास परिषदों, शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों से बनता था.

2. बोर्ड एक वार्षिक विकास योजना तैयार करेगा और विकास कार्यों के लिए एक विशेष बजट आवंटित करेगा.

3. संशोधित कानून के अनुसार जम्मू और कश्मीर के प्रत्येक जिले में 14 निर्वाचन क्षेत्र होंगे और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में डीडीसी के लिए एक निर्वाचित सदस्य होगा. इसके बाद डीडीसी सदस्य एक अध्यक्ष और उप अध्यक्ष का चुनाव करेंगे. नए अधिनियम के अनुसार संसद सदस्य डीडीसी के सदस्य नहीं होंगे. निर्वाचन क्षेत्रों के लिए परिसीमन शुरू हो चुका है और कई जिलों ने उन्हें सूचित कर दिया है.

4. एक बार डीडीसी चुने जाने के बाद उन्हें संपूर्ण विकास की योजना को तैयार करने और क्रियान्वित करने का अधिकार दिया जायेगा. एक डीडीसी के पास पूरे जिले पर अधिकार क्षेत्र होगा, जिसमें नगर निगम की सीमा के भीतर आने वाले हिस्से को छोड़कर.

5. पंचायतों के सभी स्तरों पर एक साथ आम चुनाव कराने के अलावा डीडीसी का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा, ताकि जिले के सभी स्तरों में कुल मिलाकर एक तिहाई सीटें होंगी और जिला विकास के अध्यक्ष के कार्यालय की कुल सीटों का एक तिहाई हिस्सा होगा. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में महिलाओं के लिए आरक्षित होगा.

पढ़ें: जम्मू-कश्मीर : डीडीसी चुनाव में बीजेपी के सियासी दिग्गजों ने संभाला मोर्चा

6. प्रत्येक डीडीसी के पास वित्त के लिए एक स्थायी समिति, विकास की स्थायी समिति, सार्वजनिक निर्माण के लिए स्थायी समिति, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए स्थायी समिति और कल्याण के लिए स्थायी समिति होगी. प्रत्येक समिति में अध्यक्षों की इतनी संख्या शामिल होगी जिसमें जिला विकास परिषद द्वारा चुने गये अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को छोड़कर अन्य सभी निर्वाचित सदस्य स्थायी समिति में से किसी एक सदस्य के रूप में चुने जाएँ और सदस्यों की संख्या निर्वाचित हो. प्रत्येक स्थायी समिति को, जहां तक संभव हो, बराबर होना चाहिए.

Last Updated : Nov 27, 2020, 11:02 PM IST
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