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झारखंड की नाबालिग को बना रखा था नौकरानी, DCW ने किया रेस्क्यू

दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने झारखंड की रहने वाली नाबालिग का रेस्क्यू करवाया है. इस लड़की की गुमशुदगी को लेकर किसी व्यक्ति ने ट्विटर पर झारखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस को ट्वीट किया था, जिस पर दिल्ली महिला आयोग ने संज्ञान लेते हुए लड़की का पता लगवाया. लड़की से नौकरानी के रूप में काम लिया जा रहा था.

DCW ने किया झारखंड की एक बच्ची का रेस्क्यू
DCW ने किया झारखंड की एक बच्ची का रेस्क्यू
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Published : Apr 9, 2021, 4:11 PM IST

नई दिल्ली : महिला आयोग ने गुरुवार को दिल्ली के चन्ना मार्केट, करोल बाग से झारखंड की रहने वाली एक 16 साल की लड़की को रेस्क्यू करवाया है.

लड़की झारखंड के गुमला पालकोट इलाके की रहने वाली है. इस लड़की की गुमशुदगी को लेकर किसी व्यक्ति ने ट्विटर पर झारखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस को ट्वीट किया था, जिस पर दिल्ली महिला आयोग ने संज्ञान लेते हुए लड़की का पता लगवाया.

फर्जी आधार कार्ड बनवाकर कराया जा रहा था काम

DCW ने किया झारखंड की एक बच्ची का रेस्क्यू
लड़की ने दिल्ली महिला आयोग को बताया कि पिछले 4 महीने से वह करोल बाग के एक घर में घरेलू सहायिका के रूप में काम कर रही थी. उसका कहना है कि वह काफी समय से अपने घर जाना चाहती थी लेकिन उसे जाने नहीं दिया जा रहा था.

लड़की ने बताया कि उसे बहाने से दिल्ली लाया गया था और यहां पर फर्जी आधार कार्ड बनवाया गया जिसमें उम्र 18 साल लिखवाई गई.

शेल्टर होम में रखा गया
आयोग के मुताबिक जैसे ही लड़की की जानकारी मिली उनकी टीम उस घर में गई और उसे वहां से निकलवाया. लड़की को चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के सामने पेश किया गया, जहां से फिलहाल शेल्टर होम में रखवाया गया है. साथ ही आयोग की टीम इस बात पर संज्ञान ले रही है कि लड़की का फर्जी आधार कार्ड कैसे बनवाया गया.

ट्रैफिकिंग का एक उदाहरण

आयोग के मुताबिक ये मामला झारखंड और अन्य राज्यों से दिल्ली में ट्रैफिकिंग किए जाने वाले मामलों का एक उदाहरण है. आयोग ने बताया कि पिछले 5 साल में दिल्ली महिला आयोग ने झारखंड समेत कई अलग-अलग राज्यों से कई लड़कियों और बच्चों को दिल्ली के अलग-अलग कोनों से रेस्क्यू करवाया है. वहीं, इसको लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर भी लड़कियों को उनके गृह राज्य पहुंचाया गया था.

अच्छी सैलरी का लालच देकर लाते हैं दिल्ली

आयोग के अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा झारखंड, ओडिशा और अन्य राज्यों से बच्चों को बड़े स्तर पर प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा दिल्ली लाया जाता है. बच्चों को अच्छी तनख्वाह का लालच देकर दिल्ली लाते हैं और बुरे हालातों में बिना पगार या बहुत कम पगार पर घरों में काम करने को लगवा देते हैं.

पढ़ें- SC ने खारिज की ममता पर हुए कथित हमले की CBI जांच वाली याचिका

ऐसी सैकड़ों लड़कियां हैं, जिन्हें दिल्ली महिला आयोग ने रेस्क्यू किया है और उनके गृह राज्य पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि आयोग की टीम 24 घंटे सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं, जिससे कि हम महिलाओं तक मदद पहुंचा पा रहे हैं.

नई दिल्ली : महिला आयोग ने गुरुवार को दिल्ली के चन्ना मार्केट, करोल बाग से झारखंड की रहने वाली एक 16 साल की लड़की को रेस्क्यू करवाया है.

लड़की झारखंड के गुमला पालकोट इलाके की रहने वाली है. इस लड़की की गुमशुदगी को लेकर किसी व्यक्ति ने ट्विटर पर झारखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस को ट्वीट किया था, जिस पर दिल्ली महिला आयोग ने संज्ञान लेते हुए लड़की का पता लगवाया.

फर्जी आधार कार्ड बनवाकर कराया जा रहा था काम

DCW ने किया झारखंड की एक बच्ची का रेस्क्यू
लड़की ने दिल्ली महिला आयोग को बताया कि पिछले 4 महीने से वह करोल बाग के एक घर में घरेलू सहायिका के रूप में काम कर रही थी. उसका कहना है कि वह काफी समय से अपने घर जाना चाहती थी लेकिन उसे जाने नहीं दिया जा रहा था.

लड़की ने बताया कि उसे बहाने से दिल्ली लाया गया था और यहां पर फर्जी आधार कार्ड बनवाया गया जिसमें उम्र 18 साल लिखवाई गई.

शेल्टर होम में रखा गया
आयोग के मुताबिक जैसे ही लड़की की जानकारी मिली उनकी टीम उस घर में गई और उसे वहां से निकलवाया. लड़की को चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के सामने पेश किया गया, जहां से फिलहाल शेल्टर होम में रखवाया गया है. साथ ही आयोग की टीम इस बात पर संज्ञान ले रही है कि लड़की का फर्जी आधार कार्ड कैसे बनवाया गया.

ट्रैफिकिंग का एक उदाहरण

आयोग के मुताबिक ये मामला झारखंड और अन्य राज्यों से दिल्ली में ट्रैफिकिंग किए जाने वाले मामलों का एक उदाहरण है. आयोग ने बताया कि पिछले 5 साल में दिल्ली महिला आयोग ने झारखंड समेत कई अलग-अलग राज्यों से कई लड़कियों और बच्चों को दिल्ली के अलग-अलग कोनों से रेस्क्यू करवाया है. वहीं, इसको लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर भी लड़कियों को उनके गृह राज्य पहुंचाया गया था.

अच्छी सैलरी का लालच देकर लाते हैं दिल्ली

आयोग के अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा झारखंड, ओडिशा और अन्य राज्यों से बच्चों को बड़े स्तर पर प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा दिल्ली लाया जाता है. बच्चों को अच्छी तनख्वाह का लालच देकर दिल्ली लाते हैं और बुरे हालातों में बिना पगार या बहुत कम पगार पर घरों में काम करने को लगवा देते हैं.

पढ़ें- SC ने खारिज की ममता पर हुए कथित हमले की CBI जांच वाली याचिका

ऐसी सैकड़ों लड़कियां हैं, जिन्हें दिल्ली महिला आयोग ने रेस्क्यू किया है और उनके गृह राज्य पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि आयोग की टीम 24 घंटे सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं, जिससे कि हम महिलाओं तक मदद पहुंचा पा रहे हैं.

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