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बुर्कापाल नक्सली हमला केस: जेल में बंद 105 ग्रामीणों की हुई रिहाई

बस्तर के 105 ग्रामीणों के लिए आज बेहद खुशी का दिन (release of innocent villagers in Burkapal Naxalite attack) था. बुर्कापाल नक्सली हमले में इन सभी ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया गया (Burkapal Naxalite attack Innocent villagers released ) था. लेकिन शनिवार को दंतेवाड़ा की एनआईए कोर्ट ने सभी ग्रामीणों की रिहाई के आदेश दिए. जिसके बाद सभी गांववाले (Dantewada NIA Court) खुश हैं.

release of innocent villagers in Burkapal Naxalite attack
बुर्कापाल नक्सली हमला केस
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Published : Jul 16, 2022, 10:56 PM IST

बस्तर: साल 2017 में सुकमा के बुर्कापाल नक्सली हमले में 25 जवान शहीद हुए (release of innocent villagers in Burkapal Naxalite attack) थे. इस केस में पुलिस ने 105 ग्रामीणों को गिरफ्तार कर जेल में बंद किया (Burkapal Naxalite attack Innocent villagers released ) था. सभी ग्रामीणों को पांच साल बाद शनिवार को रिहा कर दिया गया है. इन ग्रामीणों पर नक्सली हमले में शामिल होने का आरोप था. दंतेवाड़ा एनआईए कोर्ट ने 5 साल बाद इस केस में फैसला सुनाया और सभी 105 ग्रामीणों की (Dantewada NIA Court) रिहाई हुई है.

बुर्कापाल नक्सली हमला केस

बुर्कापाल नक्सली हमले के आरोप में 105 ग्रामीणों की हुई थी गिरफ्तारी: 25 अप्रैल 2017 को सुकमा के बुर्कापाल में नक्सली हमला हुआ था. इस हमले में 25 जवानों की शहादत हुई थी. इस घटना में स्थानीय ग्रामीणों के शामिल होने के आरोप के तहत पुलिस ने तीन गांव के 105 ग्रामीणों को गिरफ्तार कर जगदलपुर के जेल में बंद कर दिया था. 5 साल सजा काटने के बाद आज दंतेवाड़ा के एनआईए कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इन्हें निर्दोष बताया. जिसके बाद इन ग्रामीणों को रिहा कर दिया गया. ग्रामीणों पर यह भी आरोप था कि उन्होंने नक्सली हमले में नक्सलियों की मदद की है.

ये भी पढ़ें: गरियाबंद ओडिशा सीमा पर पुलिस नक्सली मुठभेड़, सुरक्षाबलों की फायरिंग से भागे माओवादी

गांववालों पर नक्सलियों के इलाज में मदद का आरोप: इस पूरे मामले में गांव वालों पर घायल नक्सलियों के इलाज का भी आरोप लगा था. जेल से रिहा हुए निर्दोष आदिवासी ग्रामीणों का कहना है कि "वह सुकमा, बीजापुर जिले के अंदरूनी इलाकों में खेती किसानी करके अपना जीवन यापन करते हैं. साथ ही उनका नक्सलियों से किसी भी प्रकार का कोई संबंध नहीं था. इसके बावजूद भी पुलिस के जवानों ने नक्सल सहयोगी के नाम पर उन्हें जेलों में बंद कर दिया था". साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि "किसी भी निर्दोष को जेलों में बंद नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे निर्दोष के अलावा पूरा परिवार बिखर जाता ( Naxalite incident news) है. वह तो यह तक कह रहे हैं कि उन्हें पता नहीं है कि उनके घर की स्थिति क्या है बस्तर में भारी बारिश से बाढ़ की स्थिति निर्मित हुई है कहीं इस बारिश में उनके घर ढह तो नहीं गए".

"हम खेती कर जीवन यापन करेंगे": ग्रामीणों का कहना है कि "वे आगे भी खेती किसानी करके अपना जीवन यापन करेंगे". सभी 105 निर्दोष ग्रामीण बस में बैठकर अपने घर की ओर चले गए. रिहा हुए ग्रामीणों ने कोर्ट और सरकार का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि रिहाई के बाद परिवार से मिलना है. इस खुशी मे सभी निर्दोष ग्रामीणों के चेहरे खिले दिखे.

बस्तर: साल 2017 में सुकमा के बुर्कापाल नक्सली हमले में 25 जवान शहीद हुए (release of innocent villagers in Burkapal Naxalite attack) थे. इस केस में पुलिस ने 105 ग्रामीणों को गिरफ्तार कर जेल में बंद किया (Burkapal Naxalite attack Innocent villagers released ) था. सभी ग्रामीणों को पांच साल बाद शनिवार को रिहा कर दिया गया है. इन ग्रामीणों पर नक्सली हमले में शामिल होने का आरोप था. दंतेवाड़ा एनआईए कोर्ट ने 5 साल बाद इस केस में फैसला सुनाया और सभी 105 ग्रामीणों की (Dantewada NIA Court) रिहाई हुई है.

बुर्कापाल नक्सली हमला केस

बुर्कापाल नक्सली हमले के आरोप में 105 ग्रामीणों की हुई थी गिरफ्तारी: 25 अप्रैल 2017 को सुकमा के बुर्कापाल में नक्सली हमला हुआ था. इस हमले में 25 जवानों की शहादत हुई थी. इस घटना में स्थानीय ग्रामीणों के शामिल होने के आरोप के तहत पुलिस ने तीन गांव के 105 ग्रामीणों को गिरफ्तार कर जगदलपुर के जेल में बंद कर दिया था. 5 साल सजा काटने के बाद आज दंतेवाड़ा के एनआईए कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इन्हें निर्दोष बताया. जिसके बाद इन ग्रामीणों को रिहा कर दिया गया. ग्रामीणों पर यह भी आरोप था कि उन्होंने नक्सली हमले में नक्सलियों की मदद की है.

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गांववालों पर नक्सलियों के इलाज में मदद का आरोप: इस पूरे मामले में गांव वालों पर घायल नक्सलियों के इलाज का भी आरोप लगा था. जेल से रिहा हुए निर्दोष आदिवासी ग्रामीणों का कहना है कि "वह सुकमा, बीजापुर जिले के अंदरूनी इलाकों में खेती किसानी करके अपना जीवन यापन करते हैं. साथ ही उनका नक्सलियों से किसी भी प्रकार का कोई संबंध नहीं था. इसके बावजूद भी पुलिस के जवानों ने नक्सल सहयोगी के नाम पर उन्हें जेलों में बंद कर दिया था". साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि "किसी भी निर्दोष को जेलों में बंद नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे निर्दोष के अलावा पूरा परिवार बिखर जाता ( Naxalite incident news) है. वह तो यह तक कह रहे हैं कि उन्हें पता नहीं है कि उनके घर की स्थिति क्या है बस्तर में भारी बारिश से बाढ़ की स्थिति निर्मित हुई है कहीं इस बारिश में उनके घर ढह तो नहीं गए".

"हम खेती कर जीवन यापन करेंगे": ग्रामीणों का कहना है कि "वे आगे भी खेती किसानी करके अपना जीवन यापन करेंगे". सभी 105 निर्दोष ग्रामीण बस में बैठकर अपने घर की ओर चले गए. रिहा हुए ग्रामीणों ने कोर्ट और सरकार का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि रिहाई के बाद परिवार से मिलना है. इस खुशी मे सभी निर्दोष ग्रामीणों के चेहरे खिले दिखे.

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