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उत्तराखंड : चंपावत में दलित भोजनमाता विवाद खत्म, स्कूली बच्चों ने एक साथ बैठकर खाया खाना

मुख्य शिक्षा अधिकारी चंपावत आरसी पुरोहित के नेतृत्व में उप खंड शिक्षा अधिकारी अंशुल बिष्ट और एपीडी विम्मी जोशी की 3 सदस्य टीम भोजन माता मामले की जांच को सोमवार को विद्यालय पहुंची. इस दौरान कक्षा 6 से 8 तक उपस्थित 66 में से 61 बच्चों ने एक साथ बैठकर भोजन माता विमला उप्रेती के हाथों से बना भोजन किया.

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चंपावत में दलित भोजनमाता विवाद खत्म
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Published : Dec 27, 2021, 8:01 PM IST

चंपावत: जिले के सुखीढांग स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में चल रहा भोजन माता विवाद सुलझ गया है. आज जिला शिक्षा अधिकारी और अन्य अधिकारियों ने स्कूल पहुंचकर विद्यालय के बच्चों के साथ बैठकर भोजन किया. साथ ही अधिकारियों ने स्कूली बच्चों को आपसी सौहार्द बनाए रखने को कहा है.

बता दें कि कुमाऊं डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने भोजन माता विवाद में दोनों पक्षों को साथ बैठाकर मामला सुलझाने की बात कही थी. उसी के तहत आज सोमवार को विद्यालय में अध्ययनरत सभी वर्ग के छात्र छात्राओं के साथ मुख्य शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी और एपीडी ने बैठकर भोजन किया.

स्कूल के सभी बच्चों ने साथ बैठकर खाया खाना : मुख्य शिक्षा अधिकारी चंपावत आरसी पुरोहित के नेतृत्व में उप खंड शिक्षा अधिकारी अंशुल बिष्ट और एपीडी विम्मी जोशी की 3 सदस्य टीम भोजन माता मामले की जांच को सोमवार को विद्यालय पहुंची. इस दौरान कक्षा 6 से 8 तक उपस्थित 66 में से 61 बच्चों ने एक साथ बैठकर भोजन माता विमला उप्रेती के हाथों से बना भोजन किया. वहीं 5 बच्चे अनुपस्थित रहे. इस दौरान कुछ अनुसूचित जाति के बच्चे घर से खाना बनाकर लाए थे लेकिन मुख्य शिक्षा अधिकारी व अन्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बच्चों को समझा-बुझाकर उन्हें स्कूल में बना भोजन खिलाया.

वहीं, बीते गुरुवार और शुक्रवार को एससी वर्ग के बच्चों ने स्कूल में सामान्य वर्ग की भोजन माता के हाथ से बना भोजन नहीं खाया था. क्योंकि, इससे पहले एससी वर्ग की भोजन माता द्वारा भोजन बनाया गया भोजन भी सामान्य वर्ग के बच्चों ने नहीं किया था. ऐसे में जिलाधिकारी चंपावत के निर्देश पर एसडीएम टनकपुर हिमांशु कफलटिया के नेतृत्व में जिला शिक्षा अधिकारी और सीओ अशोक कुमार सहित अन्य अधिकारियों ने दोनों पक्षों के लोगों को बैठा कर मामले को सुलझा दिया था.

ये भी पढ़ें - भोजनमाता विवाद: अब SC छात्रों ने सवर्ण के हाथों बना खाना खाने से किया इनकार, DIG की दखल, मामला सुलझा

साथ ही दोनों पक्ष के लोग जातिवाद की भावना को त्यागकर विद्यालय विकास एवं बच्चों के हित में कार्य करने पर सहमत हो गए थे. जबकि, आज सोमवार को विद्यालय में समरसता का माहौल इसी बैठक का नतीजा था. वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व बनी कमेटी ने भोजन माता की नियुक्ति में तकनीकी खामियों की नए सिरे से जांच भी शुरू कर दी है.

क्या था मामला: चंपावत के सुखीढांग स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में अनुसूचित जाति की महिला को भोजनमाता नियुक्त (GIC Sukhidhang Bhojanmata appointment case) किए जाने के बाद छात्र-छात्राओं द्वारा भोजन करने से इनकार करने का मामला सामने आया था. इसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जांच कर भोजनमाता की नियुक्ति को अवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. जिसके बाद यह मामला काफी चर्चा में रहा.

फिर मामले में आया मोड़: उत्तराखंड के चंपावत जिले के सुखीढांग इंटर कॉलेज में भोजनमाता प्रकरण में फिर एक नया मोड़ तब आया. जब स्कूल के दलित छात्रों ने सवर्ण के हाथ से बना खाने से मना कर दिया. हालांकि, पहले सवर्ण वर्ग के छात्रों ने दलित के हाथ से बने खाने को खाने से मना कर दिया था.

सीएम ने दिए थे जांच के आदेश: इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल के लेटर लिखे जाने के बाद मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया. इस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं डीआईजी नीलेश आनंद भरणे को मामले की जांच के आदेश दिए थे. साथ ही इस पूरे मामले पर दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए गये थे.

चंपावत: जिले के सुखीढांग स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में चल रहा भोजन माता विवाद सुलझ गया है. आज जिला शिक्षा अधिकारी और अन्य अधिकारियों ने स्कूल पहुंचकर विद्यालय के बच्चों के साथ बैठकर भोजन किया. साथ ही अधिकारियों ने स्कूली बच्चों को आपसी सौहार्द बनाए रखने को कहा है.

बता दें कि कुमाऊं डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने भोजन माता विवाद में दोनों पक्षों को साथ बैठाकर मामला सुलझाने की बात कही थी. उसी के तहत आज सोमवार को विद्यालय में अध्ययनरत सभी वर्ग के छात्र छात्राओं के साथ मुख्य शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी और एपीडी ने बैठकर भोजन किया.

स्कूल के सभी बच्चों ने साथ बैठकर खाया खाना : मुख्य शिक्षा अधिकारी चंपावत आरसी पुरोहित के नेतृत्व में उप खंड शिक्षा अधिकारी अंशुल बिष्ट और एपीडी विम्मी जोशी की 3 सदस्य टीम भोजन माता मामले की जांच को सोमवार को विद्यालय पहुंची. इस दौरान कक्षा 6 से 8 तक उपस्थित 66 में से 61 बच्चों ने एक साथ बैठकर भोजन माता विमला उप्रेती के हाथों से बना भोजन किया. वहीं 5 बच्चे अनुपस्थित रहे. इस दौरान कुछ अनुसूचित जाति के बच्चे घर से खाना बनाकर लाए थे लेकिन मुख्य शिक्षा अधिकारी व अन्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बच्चों को समझा-बुझाकर उन्हें स्कूल में बना भोजन खिलाया.

वहीं, बीते गुरुवार और शुक्रवार को एससी वर्ग के बच्चों ने स्कूल में सामान्य वर्ग की भोजन माता के हाथ से बना भोजन नहीं खाया था. क्योंकि, इससे पहले एससी वर्ग की भोजन माता द्वारा भोजन बनाया गया भोजन भी सामान्य वर्ग के बच्चों ने नहीं किया था. ऐसे में जिलाधिकारी चंपावत के निर्देश पर एसडीएम टनकपुर हिमांशु कफलटिया के नेतृत्व में जिला शिक्षा अधिकारी और सीओ अशोक कुमार सहित अन्य अधिकारियों ने दोनों पक्षों के लोगों को बैठा कर मामले को सुलझा दिया था.

ये भी पढ़ें - भोजनमाता विवाद: अब SC छात्रों ने सवर्ण के हाथों बना खाना खाने से किया इनकार, DIG की दखल, मामला सुलझा

साथ ही दोनों पक्ष के लोग जातिवाद की भावना को त्यागकर विद्यालय विकास एवं बच्चों के हित में कार्य करने पर सहमत हो गए थे. जबकि, आज सोमवार को विद्यालय में समरसता का माहौल इसी बैठक का नतीजा था. वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व बनी कमेटी ने भोजन माता की नियुक्ति में तकनीकी खामियों की नए सिरे से जांच भी शुरू कर दी है.

क्या था मामला: चंपावत के सुखीढांग स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में अनुसूचित जाति की महिला को भोजनमाता नियुक्त (GIC Sukhidhang Bhojanmata appointment case) किए जाने के बाद छात्र-छात्राओं द्वारा भोजन करने से इनकार करने का मामला सामने आया था. इसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जांच कर भोजनमाता की नियुक्ति को अवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. जिसके बाद यह मामला काफी चर्चा में रहा.

फिर मामले में आया मोड़: उत्तराखंड के चंपावत जिले के सुखीढांग इंटर कॉलेज में भोजनमाता प्रकरण में फिर एक नया मोड़ तब आया. जब स्कूल के दलित छात्रों ने सवर्ण के हाथ से बना खाने से मना कर दिया. हालांकि, पहले सवर्ण वर्ग के छात्रों ने दलित के हाथ से बने खाने को खाने से मना कर दिया था.

सीएम ने दिए थे जांच के आदेश: इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल के लेटर लिखे जाने के बाद मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया. इस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं डीआईजी नीलेश आनंद भरणे को मामले की जांच के आदेश दिए थे. साथ ही इस पूरे मामले पर दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए गये थे.

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