धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) : तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेंपा सेरिंग ने मंगलवार को कहा कि चीन को यह मानना चाहिये कि चीन-तिब्बत विवाद को सुलझाने की प्रक्रिया में दलाई लामा प्रमुख व्यक्ति हैं और उन्हें 'बिना किसी पूर्व शर्त के तिब्बत और चीन की तीर्थयात्रा' पर आमंत्रित किया जाना चाहिए. वह तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 86वें जन्मदिन के मौके पर एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई अन्य नेताओं ने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी है. सेरिंग ने कहा, 'इसलिए, हम चीनी सरकार से परम पावन दलाई लामा को बिना किसी पूर्व शर्त के तिब्बत और चीन की तीर्थयात्रा पर आमंत्रित करने की अपील करते हैं.'
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया कि मैंने दलाई लामा से फोन पर बात कर उन्हें 86वें जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं. हम उनके लंबे व स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं. चीनी सरकार के अधिकारी और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधि के बीच 2010 के बाद से औपचारिक बातचीत नहीं हुई है.
दलाई लामा का जन्म छह जुलाई 1935 को उत्तरी तिब्बत में आमदो के एक छोटे से गांव तकछेर में एक कृषक परिवार में हुआ था. उनका बचपन का नाम ल्हामो दोनडुब था. उन्हें 1989 में शांति का नोबेल सम्मान मिला था.
धर्मशाला में अपने आवास से डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए तिब्बती धार्मिक नेता दलाई लामा ने जन्मदिन पर दुनियाभर से बधाई देने वाले लोगों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह मानवता की सेवा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे.दलाई लामा का वास्तविक नाम तेनजिन ग्यात्सो है.
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उन्होंने कहा कि जब से मैं शरणार्थी बना और भारत में शरण ली, तब से मैंने भारत की स्वतंत्रता और धार्मिक सद्भाव का भरपूर लाभ लिया. मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि अपने शेष जीवन में भी मैं प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनजीर्वित करने के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा.
(पीटीआई-भाषा)