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Agra में 20 हजार रुपए में नवजात शिशु का सौदा, डॉक्टर समेत तीन के खिलाफ रिपोर्ट - आगरा में बच्चा बेचा

आगरा (Agra) में 20 हजार रुपए में नवजात शिशु (New born baby) का सौदा करने का मामला सामने आया है. आरोप डॉक्टर समेत तीन लोगों पर लगा है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 7, 2023, 9:49 AM IST

आगरा: ताजनगरी (Agra) के लोहामंडी स्थित एक अस्पताल में डिलीवरी के बाद गरीब महिला के नवजात शिशु (New born baby) को बेचने का मामला सामने आया है. पीड़ित महिला की शिकायत पर पुलिस ने डॉक्टर समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. आरोप है कि चिकित्सक ने बच्चा मरा हुआ पैदा होने की कहकर प्रसव कराया था मगर, नवजात शिशु जिंदा पैदा हुआ था. आगरा पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि नवजात शिशु दिल्ली की एक दंपति के पास है. उसकी बरामदगी के लिए टीम दिल्ली गई है.

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आगरा में सामने आया हैरान कर देने वाला मामला.
बता दें कि जगदीशपुरा थाना क्षेत्र निवासी नीलम ने पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह से मिली. उसने बताया कि, पति जूता कारीगर है. वह आठ माह की गर्भवती थीं, तबियत बिगडने पर सात जुलाई को पति उसे लोहामंडी स्थित ऊषा देवी अस्पताल लेकर गया. वहां पर डॉक्टर ने जांच की. उसे बताया कि शिशु की दिल की धड़कन नहीं है, जल्द ऑपरेशन करना होगा तभी उसकी जान बचेगी. डाॅक्टर ने 20 हजार का खर्चा बताया. यह सुनकर वह घबरा गई. हॉस्पिटल में पश्चिमपुरी निवासी माया मिली. उसने कहा कि घबराए नहीं उसके इलाज का खर्चा वह उठाएगी. यदि बच्चा जिंदा हो तो उसे दे देना. माया ने नीलम के इलाज के लिए 20 हजार रुपये जमा कराए. नार्मल डिलीवरी से बेटा हुआ, नवजात शिशु भी हेल्दी था. पीड़िता नीलम ने बताया कि उसने दो दिन बाद माया से अपना बच्चा मांगा तो माया ने बेटा देने से इनकार कर दिया. कहा कि बच्चा तो उसने अपने मिलने वाले ज्ञान सिंह को दे दिया. ज्ञान सिंह ने ही उसके इलाज का खर्चा उठाया था. नीलम ने माया से ज्ञान सिंह का पता लिया और उसके पास पहुंची. उससे नवजात शिशु दिलाने को कहा तो उसने नवजात शिशु दिल्ली के किसी निसंतान दंपति को बेचने की जानकारी दी. इस पर लोहामंडी थाना में शिकायत की. पीड़िता नीलम की शिकायत को पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने गंभीरता से लिया. इस मामले की जांच एसीपी लोहामंडी दीक्षा सिंह को दी. एसीपी दीक्षा सिंह ने बताया कि पीड़िता नीलम की तहरीर पर चिकित्सक, महिला और पुरुष एजेंट के खिलाफ अपहरण, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और जान से मारने की धमकी देने की धारा में मुकदमा लिखा है. छानबीन में पता चला है कि बच्चा दिल्ली में है. पुलिस टीम शुक्रवार को उसकी बरामदगी के दिल्ली गई है. मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करने पर धमकायापीड़िता नीलम ने बताया कि भले ही मुख्यमंत्री पोर्टल की शिकायत पर निस्तारण को लेकर शासन गंभीर है. मगर, जब उसने नवजात शिशु बेचने की शिकायत की तो लोहामंडी पुलिस की लापरवाही उजागर हुई. लोहामंडी पुलिस ने हॉस्पिटल वालों का पक्ष लिया. उनकी बात सही मानी. थाने से उसे और पति को धमकाया भगा दिया. जेल भेजने की धमकी दी. इस पर पति ने पुलिस के डर से कोरे कागज पर हस्ताक्षर दिए. यह पहला मामला नहीं है. ताजनगरी में पहले भी नवतात शिशुओं की सौदेबाजी के खेल उजागर हो चुके हैं. इसमें किराए की कोख के मामले पकड़े गए तो हॉस्पिटलों से नवजात शिशु चोरी तक हुए हैं. महिला को मिले थे रुपयेसीएम पोर्टल पर शिकायत करने पर पुलिस ने प्रारंभिक जांच की. इसमें सामने आया कि पीड़ित महिला की मर्जी से बच्चा दिया गया है. इसके बदले में उसे रुपये भी मिले. महिला बाद में और रुपये चाह रही थी जब मांग पूरी नहीं हुई तो शिकायत करने लगी. पुलिस ने हाॅस्पिटल संचालकों की बात सच मान ली थी. जब पुलिस कमिश्नर ने थाना पुलिस से एक ही सवाल पूछा कि बच्चा का कानूनी तरीके से गोद दिया गया यदि नहीं तो मुकदमा लिखकर कानूनी कार्रवाई की जाए.

ये भी पढ़ेंः आगरा में प्रसव के दौरान बाहर निकली आई नवजात की आंत, डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप

ये भी पढ़ेंः इटावा: डॉक्टर की बड़ी लापरवाही ने ले ली जच्चा-बच्चा की जान, मरीज को आगरा रेफर कर पूरा स्टॉफ फरार

आगरा: ताजनगरी (Agra) के लोहामंडी स्थित एक अस्पताल में डिलीवरी के बाद गरीब महिला के नवजात शिशु (New born baby) को बेचने का मामला सामने आया है. पीड़ित महिला की शिकायत पर पुलिस ने डॉक्टर समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. आरोप है कि चिकित्सक ने बच्चा मरा हुआ पैदा होने की कहकर प्रसव कराया था मगर, नवजात शिशु जिंदा पैदा हुआ था. आगरा पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि नवजात शिशु दिल्ली की एक दंपति के पास है. उसकी बरामदगी के लिए टीम दिल्ली गई है.

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आगरा में सामने आया हैरान कर देने वाला मामला.
बता दें कि जगदीशपुरा थाना क्षेत्र निवासी नीलम ने पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह से मिली. उसने बताया कि, पति जूता कारीगर है. वह आठ माह की गर्भवती थीं, तबियत बिगडने पर सात जुलाई को पति उसे लोहामंडी स्थित ऊषा देवी अस्पताल लेकर गया. वहां पर डॉक्टर ने जांच की. उसे बताया कि शिशु की दिल की धड़कन नहीं है, जल्द ऑपरेशन करना होगा तभी उसकी जान बचेगी. डाॅक्टर ने 20 हजार का खर्चा बताया. यह सुनकर वह घबरा गई. हॉस्पिटल में पश्चिमपुरी निवासी माया मिली. उसने कहा कि घबराए नहीं उसके इलाज का खर्चा वह उठाएगी. यदि बच्चा जिंदा हो तो उसे दे देना. माया ने नीलम के इलाज के लिए 20 हजार रुपये जमा कराए. नार्मल डिलीवरी से बेटा हुआ, नवजात शिशु भी हेल्दी था. पीड़िता नीलम ने बताया कि उसने दो दिन बाद माया से अपना बच्चा मांगा तो माया ने बेटा देने से इनकार कर दिया. कहा कि बच्चा तो उसने अपने मिलने वाले ज्ञान सिंह को दे दिया. ज्ञान सिंह ने ही उसके इलाज का खर्चा उठाया था. नीलम ने माया से ज्ञान सिंह का पता लिया और उसके पास पहुंची. उससे नवजात शिशु दिलाने को कहा तो उसने नवजात शिशु दिल्ली के किसी निसंतान दंपति को बेचने की जानकारी दी. इस पर लोहामंडी थाना में शिकायत की. पीड़िता नीलम की शिकायत को पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने गंभीरता से लिया. इस मामले की जांच एसीपी लोहामंडी दीक्षा सिंह को दी. एसीपी दीक्षा सिंह ने बताया कि पीड़िता नीलम की तहरीर पर चिकित्सक, महिला और पुरुष एजेंट के खिलाफ अपहरण, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और जान से मारने की धमकी देने की धारा में मुकदमा लिखा है. छानबीन में पता चला है कि बच्चा दिल्ली में है. पुलिस टीम शुक्रवार को उसकी बरामदगी के दिल्ली गई है. मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करने पर धमकायापीड़िता नीलम ने बताया कि भले ही मुख्यमंत्री पोर्टल की शिकायत पर निस्तारण को लेकर शासन गंभीर है. मगर, जब उसने नवजात शिशु बेचने की शिकायत की तो लोहामंडी पुलिस की लापरवाही उजागर हुई. लोहामंडी पुलिस ने हॉस्पिटल वालों का पक्ष लिया. उनकी बात सही मानी. थाने से उसे और पति को धमकाया भगा दिया. जेल भेजने की धमकी दी. इस पर पति ने पुलिस के डर से कोरे कागज पर हस्ताक्षर दिए. यह पहला मामला नहीं है. ताजनगरी में पहले भी नवतात शिशुओं की सौदेबाजी के खेल उजागर हो चुके हैं. इसमें किराए की कोख के मामले पकड़े गए तो हॉस्पिटलों से नवजात शिशु चोरी तक हुए हैं. महिला को मिले थे रुपयेसीएम पोर्टल पर शिकायत करने पर पुलिस ने प्रारंभिक जांच की. इसमें सामने आया कि पीड़ित महिला की मर्जी से बच्चा दिया गया है. इसके बदले में उसे रुपये भी मिले. महिला बाद में और रुपये चाह रही थी जब मांग पूरी नहीं हुई तो शिकायत करने लगी. पुलिस ने हाॅस्पिटल संचालकों की बात सच मान ली थी. जब पुलिस कमिश्नर ने थाना पुलिस से एक ही सवाल पूछा कि बच्चा का कानूनी तरीके से गोद दिया गया यदि नहीं तो मुकदमा लिखकर कानूनी कार्रवाई की जाए.

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