वाराणसी : मोक्षदायनी गंगा का इन दिनों रौद्र रूप दिख रहा है. वाराणसी से लेकर कानपुर और प्रयागराज समेत तमाम जिलों में गंगा का पानी तबाही का सबब बना हुआ है. कहीं सैंकड़ों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं, तो कहीं पूरा का पूरा गांव पलायन को मजबूर हो गया है. वाराणसी में तो शवों को मोक्ष दिलाने के लिए छतों का सहारा लिया जा रहा है. यहां गलियों में शवों की लाइनें लगी हैं और लंबे इंतजार के बाद उसे घरों की छत पर पहुंचाया जा रहा है. क्योंकि गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 45 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है. गंगा किनारे बने घरों और दुकानों में पानी भर गया है. चाहे वह महाश्मशान मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) हो या हरिश्चंद्र घाट सभी जगह गंगा की भयावह तस्वीर देखने को मिल रही है.
गंगा के इस रूप से वाराणसी वासियों और यूपी से अन्य जिलों के निवासियों को परेशानी का सामना तो करना पड़ ही रहा है. साथ ही बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लोगों को भी काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं. क्योंकि इन राज्यों के लोग मोक्ष की लालसा लिए अपनों के शवों का अंतिम संस्कार करने यहीं आते हैं, लेकिन इन दिनों यहां पर मोक्ष के लिए लंबी कतारें लगी हुई हैं. हर-हर महादेव के नारों से गूंजने वाली वाराणसी की गलियों में "राम नाम सत्य है" की आवाजें आ रही हैं. लोग शवों को गलियों में रखकर इंतजार करने को मजबूर हैं. जिन घाटों से लोग अपनों के शवों का दाह संस्कार (Cremation) करने के लिए जाते थे, वह पूरी तरह से पानी में डूबी हैं. पहले जहां इन रास्तों से पैदल जाया जाता था वहां अब नावों का सहारा लेना पड़ रहा है. शवों के साथ ही लकड़ियां नावों के जरिए ही ले जाई जा रही हैं.
खतरे के निशान से 45 सेंटीमीटर ऊपर बह रही गंगा
लगातार बारिश से मंगलवार सुबह 6:00 बजे तक गंगा का वाटर लेवल 71.71 मीटर रिकॉर्ड किया गया है, जबकि खतरे का निशान 71.26 मीटर पर ही है. ऐसे में गंगा खतरे के निशान से 45 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. वहीं, गंगा का जल स्तर बढ़ने से महाश्मशान मणिकर्णिका घाट (Manikarnika ghat) पूरी तरह डूब गया है, हर तरफ पानी की वजह से अब सिर्फ एक छत ही बची है, जहां पर इन दिनों शवों को जलाया जा रहा है. वो भी एक बार में केवल 10 शव ही जलाए जा रहे हैं, क्योंकि यहां केवल 10 प्लेटफार्म बनाए गए हैं और यहां आने वाले शवों की संख्या 40 से 45 है. ऐसे में लोगों को शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है.
शवों के दाह संस्कार को संपन्न करवाने वाले व्यापारियों और लकड़ी कारोबारियों का कहना है कि 2 से ढाई घंटे तक का इंतजार एक डेड बॉडी को जलाने में करना पड़ रहा है. शवों को जलाने के लिए बकायदा नंबर और टोकन दिए जा रहे हैं. वहीं, पहले की तुलना में दाह संस्कार महंगा भी हो गया है, क्योंकि नाविकों को अलग से पैसा देना पड़ रहा है.
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बता दें कि गंगा ने वाराणसी में रौद्र रूप धारण करने से सहायक नदी वरुणा भी इस समय उफान पर है. जिसके कारण वरुणा नदी के तटीय इलाकों के गलियों में पानी भर गया है. गलियों में रहने वाले लोग सुरक्षित स्थान की ओर जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि प्रशासन की तरफ से इन गलियों मे कोई भी नाव की व्यवस्था नहीं है. हम लोगों ने नाव के लिए मांग की है. घरों के किनारे कीड़े-मकौडे और सांप का भी डर हो गया है. प्रशासन की ओर से जलकुम्भी हटाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.