पटना: इंडिया गठबंधन को लेकर भले हर घटक दल भाजपा को हराने की बात कर रहा हो लेकिन, इस गठबंधन को लेकर उनकी सोच भी अलग-अलग है. अब तक इंडिया गठबंधन में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सीटों का बंटवारा तय नहीं हो पाया है. उससे पहले सीपीआई की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर ने साफ कह दिया की हर सीट पर गठबंधन के साथ समझौता हो यह मुमकिन नहीं है.
अमरजीत कौर का कन्हैया पर निशाना: अमरजीत कौर ने कहा कि परिस्थिति के मुताबिक अलग-अलग सीटों पर गठबंधन तय किया जाएगा. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए उन्होंने सीपीआई के पूर्व नेता कन्हैया कुमार को लेकर भी साफ कहा कि ऐसे नेता हम बनाते हैं और वह दूसरी जगह चले जाते हैं. इसका कोई मलाल नहीं है. वैसे नेता हमारे यहां बहुत हैं. ईटीवी ब्यूरो प्रमुख बृजम पांडे ने सीपीआई की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर से खास बातचीत की.
सवाल- सीपीआई बिहार में बहुत मजबूत नहीं है?
जवाब- सीपीआई बहुत मजबूत बिहार में नहीं है लेकिन, हम मजबूत हैं. हमारी पहचान है गांव में, गली में कूचों में, कल कारखानों में, खेतों में, खलिहानों में, जो लोग हैं वह हमारे लोग हैं. आज माहौल देश के अंदर विशेष है. विशेष माहौल इसलिए है क्योंकि, लोकसभा चुनाव आने वाले हैं. जिस हुकूमत को हम लोगों ने बर्दाश्त किया है. 2014 से लगातार हम बर्दाश्त करते आ रहे हैं. उन्होंने देश की हालत बहुत खराब कर दी है.
सवाल- रैली के लिए सरकार ने गांधी मैदान नहीं दिया. आप लोगों को मिलर हाई स्कूल जैसे छोटे मैदान में कार्यक्रम करना पड़ा है. इस पर क्या कहेंगी?
जवाब- किसी भी राज्य में ऐसा होता है कि जो मुख्य स्थान होता है यदि, राज्य सरकार वहां कोई कार्यक्रम करना चाहती है तो, दूसरे लोगों का रद्द कर दिया जाता है. हमने गांधी मैदान मांगा था लेकिन, उन्होंने नहीं दिया. उन्होंने यह भी कहा था कि यदि गवर्नमेंट का कोई प्रोग्राम लगेगा तो इसे रद्द किया जा सकता है.
सवाल- कन्हैया को आप लोगों ने बेहतर बनाया और कन्हैया आजकल दूसरे पार्टी की का झंडा लेकर चल रहे हैं?
जवाब- कन्हैया पहले नेता नहीं है और लोग भी हैं जिन्होंने पार्टी छोड़ी है. इसमें कम्युनिस्ट पार्टी को कोई कष्ट नहीं है. यह आप समझिए कि क्यों लोग कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को ही पसंद करते हैं. क्योंकि यहां से गए लोग जमीन को समझते हैं. लोगों के साथ अपने को जोड़ना समझते हैं. देश की दुनिया की सियासत समझते हैं.
सवाल- बिहार में और कन्हैया की जरूरत होगी, क्योंकि कन्हैया ने बहुत बुलंदी से आपके झंडे को बुलंद किया था?
जवाब- विद्यार्थी आंदोलन में बहुत नेता पैदा होते हैं. जगह पर अलग-अलग नाम से बहुत नेता पैदा होते हैं. बहुत से नेता आगे भी पैदा होंगे. पिछले दिनों बेगूसराय में ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस हुआ और जो छात्रों ने मार्च किया उसमें आधे से ज्यादा लड़कियां थी. उन्हें कॉन्फिडेंस है कि जेंडर जस्टिस यहां मिलता है.
सवाल- यानी कि आप कॉन्फिडेंस में है कि कन्हैया जैसे नेता बहुत पैदा होंगे?
जवाब - क्यों नहीं होंगे. बहुत होंगे.
सवाल- 2024 चुनाव को लेकर बिहार में या फिर देश में इंडिया गठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है. बिहार में भी आप लोग चाहते हैं कि 5-6 सीट मिल जाए लेकिन, अब तक कोई बात आगे नहीं बढ़ी है?
जवाब- समय लगेगा, आखिरकार हर एक का अपना-अपना राजनीतिक दृष्टिकोण है. अपनी-अपनी आईडियोलॉजी है. अलग-अलग पार्टियां हैं. अलग-अलग पार्टियां एक साथ आई है तो समय लगेगा और मैं यह समझती हूं कि इतने शॉर्ट पीरियड में काफी अच्छा सामंजस्य बैठा है. अभी पांच राज्यों के चुनाव है. उससे फ्री हो लेंगे. इंडिया गठबंधन की बातचीत शुरू हो जाएगी.
और आप इस चिंता में मत रहिए, यह मत सोचिए कि हर सीट पर गठबंधन हो जाएगा. ऐसा नहीं होगा. और यह प्रैक्टिकल नहीं है. हर सीट पर गठबंधन नहीं होगा. गठबंधन जहां-जहां हो या नहीं हो, उद्देश्य मिलकर बीजेपी को चुनाव हराना है.
सवाल- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा बयान यह दिया है कि सीपीआई और सीपीएम को एक हो जाना चाहिए?
जवाब- मुझे लगता है कि यह वही बात दोहरा रहे थे जो सीपीआई हमेशा कहती रही है. हम यह कहते आए हैं कि सीपीआई और सीपीएम को एक साथ आना चाहिए. हम यह कहते हैं कि हिंदुस्तान के कम्युनिस्ट आंदोलन के दलों को एक साथ हो जाना चाहिए. कम्युनिस्ट आंदोलन के तहत सीपीआई और सीपीएम नहीं है. हम सभी कम्युनिस्ट की एकजुटता चाहते हैं और यह सीपीआई के हर महाधिवेशन के डॉक्यूमेंट में लिखा जाता है.
सवाल- सीपीआई को लेकर यह बातें अक्सर चलती रहती है कि सीपीआई अपने लेफ्ट दलों से जूझती ही है. साथ ही जो सोशलिस्ट पार्टियां हैं उससे भी उसको संघर्ष करना पड़ता है.
जवाब- ऐसा होता है. राजनीतिक दंगल के अंदर अलग पार्टी बनती ही है. विचारधारा में डिफरेंट आता है. साथियों की विचारधारा का कुछ डिफरेंस है. इसलिए जब हम बोलते हैं कि कम्युनिस्ट एकता हो जाए या फिर दूसरे दलों के साथ वह चले जाते हैं. उसके लिए या तो फिर प्रिंसिपल पोजीशन पर ही एकता हो सकती है. एक मिनिमम अंडरस्टैंडिंग होनी चाहिए.