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बड़ा खुलासा : वैश्विक कंपनियों और दूतावासों में काम कर रहे चीनी पार्टी के सदस्य

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Published : Dec 14, 2020, 8:07 PM IST

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के करीब 20 लाख कार्यकर्ताओं का डाटा लीक हुआ है. इसमें चौंकाने वाली बात सामने आई है. बड़ी संख्या में सीपीसी सदस्य रक्षा और बैंक क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. यही नहीं, कोरोना वायरस के टीके बनाने में लगी कंपनियों में भी तैनात हैं.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी

मेलबर्न : आस्ट्रेलिया और चीन के बीच गहराते तनाव के बीच सोमवार को यहां मीडिया ने दुनियाभर में रह रहे और कार्य कर रहे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के करीब 20 लाख कथित कार्यकताओं के पद, जन्म की तारीख, राष्ट्रीय पहचान पत्र संख्या, जातीयता जैसे आधिकारिक रिकार्ड के बड़े डाटा लीक की खबर दी.

‘द आस्ट्रेलियन’ अखबार द्वारा दी गयी डाटा लीक की खबर में खुलासा किया गया है कि कैसे कथित सीपीसी सदस्य रक्षा और बैंक के क्षेत्रों के दुनिया के कुछ बड़े कॉरपोरेशनों में एवं कोरोना वायरस के टीके के विनिर्माण में लगी बड़ी दवा कंपनियों में नियुक्त किये गये.

अखबार के अनुसार जिन कंपनियों में सीपीसी सदस्य काम पर लगाये गये हैं वे बोइंग एंड वोल्क्सवेगन, दवा कंपनियां फाइजर और आस्ट्रेजेनिका तथा एएनजेड एवं एचएसबीसी समेत वित्तीय संस्थान हैं. इस लीक में 19.5 लाख सीपीसी सदस्यों के ब्योरे का खुलासा किया गया है जिसे व्हिसलब्लोअर ने शंघाई के सर्वर से हासिल किया.

79 हजार कंपनियों का खुलासा
‘द आस्ट्रेलियन’ के विश्लेषण में सामने आया कि पूर्वी चीनी महानगर शंघाई में 10 वाणिज्य दूतावासों में सीपीसी सदस्य वरिष्ठ राजनीतिक एवं सरकारी विषयक विशेषज्ञ, लिपिक, आर्थिक सलाहकार और कार्यकारी सहायक के रूप में नियुक्त गये हैं.

उसने 79,000 शाखाओं का भी खुलासा किया है और उनमें से कई कंपनियों, विश्वविद्यालयों और सरकारी एजेंसियों में है. इस लीक में आरोप लगाया गया है कि सत्तारूढ़ सीपीसी शंघाई में आस्ट्रेलियाई, ब्रिटिश और अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों में घुसपैठ कर चुकी है. विदेश मामले एवं व्यापार विभाग स्थानीय कर्मियों की भर्ती के लिए चीनी सरकारी एजेंसी की मदद लेता है.

खतरा इसलिए ज्यादा, चीन की नजर में है सब
द आस्ट्रेलियन पत्रकार एवं स्काई न्यूज की मेजबान शैरी मार्कसन ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में लिखा, ' इसे दुनिया में अपनी तरह का पहला लीक माना जा रहा है.' मार्कसन ने कहा, ' इस डाटाबेस के बारे में चौंकाने वाली बात केवल यह नहीं है कि यह उन लोगों को बेनकाब करती है जो कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हैं और जो अब आस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका और ब्रिटेन समेत पूरी दुनिया में रह रहे हैं एवं कार्य कर रहे हैं बल्कि यह इस बात पर भी पर्दा हटाती है कि कैसे पार्टी राष्ट्रपति और अध्यक्ष शी चिनिपंग के तहत काम करती है.'

उन्होंने कहा कि सीपीसी शाखाएं पश्चिमी कंपनियों के अंदर स्थापित की गयी हैं जहां सदस्यों को 'यदि बुलाया जाता है तो वे सीधे पार्टी और स्वयं राष्ट्रपति शी के प्रति जवाबदेह होते हैं.' उन्होंने यह भी कहा, 'यह कुछ उन वैश्विक कंपनियों को असहज कर सकता है जो अपनी बौद्धिक संपदा की चोरी से रक्षा या आर्थिक जासूसी से बचने के उपाय की योजना नहीं करने वाली जान पड़ती हैं.'

पढ़ें- अमेरिका का आरोप- चुनाव में हस्तक्षेप के लिए ईरान-रूस ने चोरी किया डाटा

2016 में शंघाई के सर्वर से चुराया डाटा
मार्कसन ने कहा कि यह लीक एक अहम सुरक्षा उल्लंघन है और शी को परेशान कर सकता है. यह डाटा चीनी बागियों ने अप्रैल, 2016 में शंघाई के एक सर्वर से चुराया था. आस्ट्रेलिया का शीर्ष व्यापारिक साझेदार चीन के साथ तब रिश्ता खटासपूर्ण हो गया जब वह अपने 5 जी नेटवर्क में चीन की हुवई कंपनी पर सार्वजनिक रूप से रोकने वाला पहला देश बन गया. उसके बाद जब आस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस के उदगम स्थल के बारे में जांच की मांग की तब दोनों के बीच रिश्ते और बिगड़ गये.

मेलबर्न : आस्ट्रेलिया और चीन के बीच गहराते तनाव के बीच सोमवार को यहां मीडिया ने दुनियाभर में रह रहे और कार्य कर रहे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के करीब 20 लाख कथित कार्यकताओं के पद, जन्म की तारीख, राष्ट्रीय पहचान पत्र संख्या, जातीयता जैसे आधिकारिक रिकार्ड के बड़े डाटा लीक की खबर दी.

‘द आस्ट्रेलियन’ अखबार द्वारा दी गयी डाटा लीक की खबर में खुलासा किया गया है कि कैसे कथित सीपीसी सदस्य रक्षा और बैंक के क्षेत्रों के दुनिया के कुछ बड़े कॉरपोरेशनों में एवं कोरोना वायरस के टीके के विनिर्माण में लगी बड़ी दवा कंपनियों में नियुक्त किये गये.

अखबार के अनुसार जिन कंपनियों में सीपीसी सदस्य काम पर लगाये गये हैं वे बोइंग एंड वोल्क्सवेगन, दवा कंपनियां फाइजर और आस्ट्रेजेनिका तथा एएनजेड एवं एचएसबीसी समेत वित्तीय संस्थान हैं. इस लीक में 19.5 लाख सीपीसी सदस्यों के ब्योरे का खुलासा किया गया है जिसे व्हिसलब्लोअर ने शंघाई के सर्वर से हासिल किया.

79 हजार कंपनियों का खुलासा
‘द आस्ट्रेलियन’ के विश्लेषण में सामने आया कि पूर्वी चीनी महानगर शंघाई में 10 वाणिज्य दूतावासों में सीपीसी सदस्य वरिष्ठ राजनीतिक एवं सरकारी विषयक विशेषज्ञ, लिपिक, आर्थिक सलाहकार और कार्यकारी सहायक के रूप में नियुक्त गये हैं.

उसने 79,000 शाखाओं का भी खुलासा किया है और उनमें से कई कंपनियों, विश्वविद्यालयों और सरकारी एजेंसियों में है. इस लीक में आरोप लगाया गया है कि सत्तारूढ़ सीपीसी शंघाई में आस्ट्रेलियाई, ब्रिटिश और अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों में घुसपैठ कर चुकी है. विदेश मामले एवं व्यापार विभाग स्थानीय कर्मियों की भर्ती के लिए चीनी सरकारी एजेंसी की मदद लेता है.

खतरा इसलिए ज्यादा, चीन की नजर में है सब
द आस्ट्रेलियन पत्रकार एवं स्काई न्यूज की मेजबान शैरी मार्कसन ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में लिखा, ' इसे दुनिया में अपनी तरह का पहला लीक माना जा रहा है.' मार्कसन ने कहा, ' इस डाटाबेस के बारे में चौंकाने वाली बात केवल यह नहीं है कि यह उन लोगों को बेनकाब करती है जो कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हैं और जो अब आस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका और ब्रिटेन समेत पूरी दुनिया में रह रहे हैं एवं कार्य कर रहे हैं बल्कि यह इस बात पर भी पर्दा हटाती है कि कैसे पार्टी राष्ट्रपति और अध्यक्ष शी चिनिपंग के तहत काम करती है.'

उन्होंने कहा कि सीपीसी शाखाएं पश्चिमी कंपनियों के अंदर स्थापित की गयी हैं जहां सदस्यों को 'यदि बुलाया जाता है तो वे सीधे पार्टी और स्वयं राष्ट्रपति शी के प्रति जवाबदेह होते हैं.' उन्होंने यह भी कहा, 'यह कुछ उन वैश्विक कंपनियों को असहज कर सकता है जो अपनी बौद्धिक संपदा की चोरी से रक्षा या आर्थिक जासूसी से बचने के उपाय की योजना नहीं करने वाली जान पड़ती हैं.'

पढ़ें- अमेरिका का आरोप- चुनाव में हस्तक्षेप के लिए ईरान-रूस ने चोरी किया डाटा

2016 में शंघाई के सर्वर से चुराया डाटा
मार्कसन ने कहा कि यह लीक एक अहम सुरक्षा उल्लंघन है और शी को परेशान कर सकता है. यह डाटा चीनी बागियों ने अप्रैल, 2016 में शंघाई के एक सर्वर से चुराया था. आस्ट्रेलिया का शीर्ष व्यापारिक साझेदार चीन के साथ तब रिश्ता खटासपूर्ण हो गया जब वह अपने 5 जी नेटवर्क में चीन की हुवई कंपनी पर सार्वजनिक रूप से रोकने वाला पहला देश बन गया. उसके बाद जब आस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस के उदगम स्थल के बारे में जांच की मांग की तब दोनों के बीच रिश्ते और बिगड़ गये.

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