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भारत-ईरान संबंधों में गेम चेंजर साबित होगी स्वदेशी वैक्सीन

विकासशील और पड़ोसी देशों के लिए भारत कोविड-19 वैक्सीन का बड़ी मात्रा में उत्पादन कर रहा है. भारत के लिए अन्य देशों के साथ यह अपने संबंधों को बेहतर बनाने का एक सुनहरा मौका है. इसी कड़ी में भारत-ईरान संबंध भी हैं. ईरान ने भारत से उत्पादित टीकों की मांग की है. पढ़ें, दोनों देशों के रिश्तों पर वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की खास रिपोर्ट...

क्या कोरोना वैक्सीन लाएगी भारत और ईरान में नजदीकी
क्या कोरोना वैक्सीन लाएगी भारत और ईरान में नजदीकी
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Published : Jan 22, 2021, 8:34 AM IST

हैदराबाद : कोरोना काल में दुनियाभर में बेहद तनाव देखा गया. दुनिया के तमाम देश वैक्सीन के लिए विकसित देशों, या अपने पड़ोसी देशों की ओर नजर बनाए रखे हुए हैं. ऐसे में भारत वैक्सीन का बड़ी मात्रा में उत्पादन के साथ अन्य देशों से अपने संबंधों को दुरुस्त करने की ओर रुख कर रहा है. इस कड़ी में ईरान भी है, जिसके साथ भारत के संबंध ठीक होने के आसार हैं. कई देशों के बीच ईरान भी है, जिसने महामारी से बुरी तरह पस्त होने के बाद भारत द्वारा उत्पादित टीकों की मांग की है.

रूस और चीन से भी मांगी सहायता
ईरान, पश्चिम एशियाई थिएटर की एक प्रमुख और महत्वपूर्ण ताकत है. अब गर्म माहौल में भारत-ईरान संबंधों को फिर बहाल करने के लिए एक नई खिड़की खुलती दिख रही है. भारत के अलावा, ईरान ने भी ब्रिटेन और अमेरिका से किसी भी आयात पर प्रतिबंध लगाते हुए चीन और रूस से वैक्सीन सहायता मांगी है.

भारत चाबहार बंदरगाह सौदे पर चर्चा को इच्छुक होगा, जो ईरान के रणनीतिक पारगमन गलियारे का निर्माण करने में महत्वपूर्ण होगा, जो अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यहां तक कि रूस तक व्यापार पहुंच में मददगार साबित होगा.

ईरान-भारत संबंधों के लिए अहम है कदम
ईरान के साथ एक अच्छा संबंध कश्मीर में शांति की शुरुआत करने के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसमें एक महत्वपूर्ण शिया आबादी है, जिसका अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिलता है.

अतीत में, ईरान अपनी भू-स्थानिक नीतियों में और विशेष रूप से पाकिस्तान जैसे सुन्नी बहुल देशों की जांच में भारत का प्रमुख बैकर रहा है.

दोनों देशों के बीच रिश्ते तब भी बिगड़ते हुए नजर आ रहे थे, जब ईरान और चीन के बीच नजदीकी बढ़ रही थी.

अमेरिका कर सकता है प्रतिबंधों पर विचार
द्विपक्षीय संबंधों के खराब होने का एक प्रमुख कारण ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध था, जिसके कारण भारत ने ईरानी तेल खरीदना बंद कर दिया था लेकिन ट्रंप शासन के अंत के साथ, राष्ट्रपति जो बाइडेन ईरान प्रतिबंधों पर फिर से विचार कर सकते हैं.

ईरान की अपील अब ऐसे समय में आई है, जब भारत वैक्सीन का काफी मात्रा में उत्पादन कर रहा है.

भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति
कोविड-19 टीकों के साथ ही भारत की सात वर्षीय 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति को पाकिस्तान और चीन के अलावा, अपने निकटतम पड़ोसियों (जो देश के लाभार्थी बने हैं) के साथ अच्छी खासी बढ़त मिली है.

बुधवार तक, भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स में पहले ही टीके भेजे जा चुके हैं, जबकि श्रीलंका, अफगानिस्तान और मॉरीशस के लिए विनियामक मंजूरी का इंतजार है.

ईटीवी भारत ने पहले 4 मई, 2020 को अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि कोविड-19 टीका वैश्विक व्यवस्था को काफी प्रभावित करेगा और दुनिया के तमाम राष्ट्रों के बीच शक्ति स्थिति भी देखी जाएगी. अब वैक्सीन उत्पादक देश दुनिया के अन्य देशों के बीच एक तरीके से प्रभाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

हैदराबाद : कोरोना काल में दुनियाभर में बेहद तनाव देखा गया. दुनिया के तमाम देश वैक्सीन के लिए विकसित देशों, या अपने पड़ोसी देशों की ओर नजर बनाए रखे हुए हैं. ऐसे में भारत वैक्सीन का बड़ी मात्रा में उत्पादन के साथ अन्य देशों से अपने संबंधों को दुरुस्त करने की ओर रुख कर रहा है. इस कड़ी में ईरान भी है, जिसके साथ भारत के संबंध ठीक होने के आसार हैं. कई देशों के बीच ईरान भी है, जिसने महामारी से बुरी तरह पस्त होने के बाद भारत द्वारा उत्पादित टीकों की मांग की है.

रूस और चीन से भी मांगी सहायता
ईरान, पश्चिम एशियाई थिएटर की एक प्रमुख और महत्वपूर्ण ताकत है. अब गर्म माहौल में भारत-ईरान संबंधों को फिर बहाल करने के लिए एक नई खिड़की खुलती दिख रही है. भारत के अलावा, ईरान ने भी ब्रिटेन और अमेरिका से किसी भी आयात पर प्रतिबंध लगाते हुए चीन और रूस से वैक्सीन सहायता मांगी है.

भारत चाबहार बंदरगाह सौदे पर चर्चा को इच्छुक होगा, जो ईरान के रणनीतिक पारगमन गलियारे का निर्माण करने में महत्वपूर्ण होगा, जो अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यहां तक कि रूस तक व्यापार पहुंच में मददगार साबित होगा.

ईरान-भारत संबंधों के लिए अहम है कदम
ईरान के साथ एक अच्छा संबंध कश्मीर में शांति की शुरुआत करने के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसमें एक महत्वपूर्ण शिया आबादी है, जिसका अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिलता है.

अतीत में, ईरान अपनी भू-स्थानिक नीतियों में और विशेष रूप से पाकिस्तान जैसे सुन्नी बहुल देशों की जांच में भारत का प्रमुख बैकर रहा है.

दोनों देशों के बीच रिश्ते तब भी बिगड़ते हुए नजर आ रहे थे, जब ईरान और चीन के बीच नजदीकी बढ़ रही थी.

अमेरिका कर सकता है प्रतिबंधों पर विचार
द्विपक्षीय संबंधों के खराब होने का एक प्रमुख कारण ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध था, जिसके कारण भारत ने ईरानी तेल खरीदना बंद कर दिया था लेकिन ट्रंप शासन के अंत के साथ, राष्ट्रपति जो बाइडेन ईरान प्रतिबंधों पर फिर से विचार कर सकते हैं.

ईरान की अपील अब ऐसे समय में आई है, जब भारत वैक्सीन का काफी मात्रा में उत्पादन कर रहा है.

भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति
कोविड-19 टीकों के साथ ही भारत की सात वर्षीय 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति को पाकिस्तान और चीन के अलावा, अपने निकटतम पड़ोसियों (जो देश के लाभार्थी बने हैं) के साथ अच्छी खासी बढ़त मिली है.

बुधवार तक, भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स में पहले ही टीके भेजे जा चुके हैं, जबकि श्रीलंका, अफगानिस्तान और मॉरीशस के लिए विनियामक मंजूरी का इंतजार है.

ईटीवी भारत ने पहले 4 मई, 2020 को अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि कोविड-19 टीका वैश्विक व्यवस्था को काफी प्रभावित करेगा और दुनिया के तमाम राष्ट्रों के बीच शक्ति स्थिति भी देखी जाएगी. अब वैक्सीन उत्पादक देश दुनिया के अन्य देशों के बीच एक तरीके से प्रभाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

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