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कोरोना की दवा बनाने में गोरखपुर के लाल ने निभाई अहम भूमिका

कोरोना इलाज में कारगर दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज तैयार करने में गोरखपुर के डॉ. अनंत नारायण भट्ट ने अहम भूमिका निभाई है. डीआरडीओ के इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज में बतौर साइंटिस्ट के दिशा-निर्देशन में दवा तैयार की गई है.

DRDO Senior Scientist Dr Anant
डॉ. अनंत नारायण भट्ट
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Published : May 9, 2021, 6:35 PM IST

गोरखपुर : उत्तर प्रदेश से कोरोना महामारी के बीच एक राहत भरी खबर आई है. कोरोना इलाज में कारगर दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज तैयार करने में गोरखपुर के डॉ. अनंत नारायण भट्ट ने अहम भूमिका निभाई है. डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज में बतौर साइंटिस्ट गोरखपुर के डॉ. अनंत नारायण भट्ट इस दवा को बनाने वाले वैज्ञानिकों की टीम के मुखिया के तौर पर कार्य किया है. उनकी सफलता से सिर्फ गोरखपुर ही नहीं पूरे पूर्वांचल को गौरान्वित होने का मौका मिला है. जिससे इस महामारी से बचाव में एक उम्मीद जगी है.

गांव में ही की शुरुआती पढ़ाई

देश को संकट की इस घड़ी में इतनी साहस भरी खबर देने वाले डॉक्टर अनंत भट्ट गांव के परिवेश में पले बढ़े हुए हैं. डॉ. अनंत गोरखपुर के गगहा क्षेत्र कौवाडील गांव के रहने वाले हैं. यहां के किसान इंटर कॉलेज से इन्होंने इंटरमीडिएट करने के बाद बस्ती किसान पीजी कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद अवध विश्वविद्यालय से डॉ. अनंत ने बायोकेमिस्ट्री में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल किया. इसके बाद पीएचडी करने सीडीआरआई लखनऊ चले गए. वहां पर उन्होंने ड्रग डेवलपमेंट विषय पर अपना शोध कार्य पूरा किया और वहीं पर बतौर साइंटिस्ट डीआरडीओ में नौकरी भी मिल गई. नौकरी के दौरान अनंत को पहले अमेरिका के मैरीलैंड बाल्टीमोर में स्थित जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी और फिर ज़्यूरिख़ स्वीटजरलैंड में पोस्ट फैलोशिप का अवसर भी मिला.

यह भी पढ़ें-कोविड रोगियों के लिए नई दवा के आपातकालीन इस्तेमाल की मिली इजाजत

कोविड के मरीजों की जान बचाने में मददगार होगी दवा

डॉ. अनंत ने फोन पर ETV BHARAT से बातचीत करते हुए बताया कि पिछले वर्ष जब कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ था तभी से उन्होंने कोविड-19 की दवा पर काम करना शुरू कर दिया था. एक साल के अथक परिश्रम के बाद उन्हें इसके इलाज के लिए 2 डीऑक्सी-डी ग्लूकोज दवा बनाने में सफलता मिल गई है. अपनी सफलता पर डॉक्टर आनंद कहते हैं कि किसी भी वैज्ञानिक के लिए इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है कि उसका शोध लोगों के काम आएगा. उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि वह अपने शोध को लैब तक पहुंचाने में कामयाब रहे और उस रोग की दवा बनाने में सफल हुए जिसके संक्रमण से भारत ही नहीं पूरी दुनिया परेशान है.

गोरखपुर : उत्तर प्रदेश से कोरोना महामारी के बीच एक राहत भरी खबर आई है. कोरोना इलाज में कारगर दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज तैयार करने में गोरखपुर के डॉ. अनंत नारायण भट्ट ने अहम भूमिका निभाई है. डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज में बतौर साइंटिस्ट गोरखपुर के डॉ. अनंत नारायण भट्ट इस दवा को बनाने वाले वैज्ञानिकों की टीम के मुखिया के तौर पर कार्य किया है. उनकी सफलता से सिर्फ गोरखपुर ही नहीं पूरे पूर्वांचल को गौरान्वित होने का मौका मिला है. जिससे इस महामारी से बचाव में एक उम्मीद जगी है.

गांव में ही की शुरुआती पढ़ाई

देश को संकट की इस घड़ी में इतनी साहस भरी खबर देने वाले डॉक्टर अनंत भट्ट गांव के परिवेश में पले बढ़े हुए हैं. डॉ. अनंत गोरखपुर के गगहा क्षेत्र कौवाडील गांव के रहने वाले हैं. यहां के किसान इंटर कॉलेज से इन्होंने इंटरमीडिएट करने के बाद बस्ती किसान पीजी कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद अवध विश्वविद्यालय से डॉ. अनंत ने बायोकेमिस्ट्री में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल किया. इसके बाद पीएचडी करने सीडीआरआई लखनऊ चले गए. वहां पर उन्होंने ड्रग डेवलपमेंट विषय पर अपना शोध कार्य पूरा किया और वहीं पर बतौर साइंटिस्ट डीआरडीओ में नौकरी भी मिल गई. नौकरी के दौरान अनंत को पहले अमेरिका के मैरीलैंड बाल्टीमोर में स्थित जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी और फिर ज़्यूरिख़ स्वीटजरलैंड में पोस्ट फैलोशिप का अवसर भी मिला.

यह भी पढ़ें-कोविड रोगियों के लिए नई दवा के आपातकालीन इस्तेमाल की मिली इजाजत

कोविड के मरीजों की जान बचाने में मददगार होगी दवा

डॉ. अनंत ने फोन पर ETV BHARAT से बातचीत करते हुए बताया कि पिछले वर्ष जब कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ था तभी से उन्होंने कोविड-19 की दवा पर काम करना शुरू कर दिया था. एक साल के अथक परिश्रम के बाद उन्हें इसके इलाज के लिए 2 डीऑक्सी-डी ग्लूकोज दवा बनाने में सफलता मिल गई है. अपनी सफलता पर डॉक्टर आनंद कहते हैं कि किसी भी वैज्ञानिक के लिए इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है कि उसका शोध लोगों के काम आएगा. उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि वह अपने शोध को लैब तक पहुंचाने में कामयाब रहे और उस रोग की दवा बनाने में सफल हुए जिसके संक्रमण से भारत ही नहीं पूरी दुनिया परेशान है.

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