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भविष्य में कोविड की लहर का भारत में गंभीर प्रभाव होने की आशंका कम: विशेषज्ञ

दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप के कुछ जगहों पर कोरोना वायरस से संक्रमित होने के मामले में इजाफा होने के बीच भारत के विशेषज्ञों का मानना ​​है कि टीकाकरण के बाद बनी प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए देश में भविष्य में किसी भी लहर का गंभीर प्रभाव होने की संभावना नहीं है.

corona virus
कोरोना वायरस (फाइल फोटो)
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Published : Mar 20, 2022, 5:10 PM IST

नई दिल्ली : दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामलों में फिर से वृद्धि के बीच भारत के विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उच्च टीकाकरण कवरेज और संक्रमण के बाद बनी प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए देश में भविष्य में किसी भी लहर का गंभीर प्रभाव होने की आशंका नहीं है. कुछ विशेषज्ञों ने तो यहां तक ​​कहा कि सरकार को मास्क पहनने में ढील देने पर विचार करना चाहिए क्योंकि रोजाना सामने आने वाले संक्रमण के नए मामलों और मौतों की संख्या में कुछ समय से लगातार कमी दर्ज की जा रही है.

भारत में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 1,761 नए मामले सामने आए, जो लगभग 688 दिनों में सबसे कम मामले रहे. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वरिष्ठ महामारी विज्ञानी डॉ संजय राय ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 एक 'आरएनए' वायरस है और इसके स्वरूप में बदलाव होना तय है. उन्होंने कहा कि पहले से ही 1,000 से अधिक बदलाव हो चुके हैं, हालांकि, केवल ऐसे पांच स्वरूप सामने आए हैं, जो चिंता का कारण बने हैं.

राय ने कहा, 'भारत ने पिछले साल कोविड-19 की बहुत ही विनाशकारी दूसरी लहर का सामना किया जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा. हालांकि, वर्तमान में हमारी प्रमुख ताकत प्राकृतिक संक्रमण है जो लंबी अवधि के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है. इसके अलावा, उच्च टीकाकरण कवरेज है. इसलिए, भविष्य की किसी भी लहर का गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'यह ऐसा समय है, जब भारत सरकार अनिवार्य रूप से मास्क पहनने से ढील देने पर विचार कर सकती है.' उन्होंने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और संक्रमण की चपेट में आने के उच्च जोखिम वाले लोगों को एहतियात के तौर पर मास्क पहनना जारी रखना चाहिए. महामारी विज्ञानी ने जोर देकर कहा कि भविष्य में वायरस के किसी भी नए स्वरूप के उभरने की निगरानी के लिए सरकार को जीनोमिक अनुक्रमण सहित सार्स-सीओवी-2 की निगरानी जारी रखनी चाहिए.

ये भी पढ़ें - कोविड-19 संक्रमण के 1,761 नए मामले आए सामने, दो वर्ष में सबसे कम दैनिक मामले मिले

एक अन्य महामारी विज्ञानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ चंद्रकांत लहरिया के अनुसार, वायरस के किसी नए स्वरूप के सामने आने की सूरत में भी भारत में मामलों में वृद्धि की आंशका कम ही है. उन्होंने कहा, 'अगर हम सीरो सर्वेक्षण के आंकड़ों, टीकाकरण कवरेज और वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के प्रसार के साक्ष्यों का अध्ययन करते हैं तो इस निष्कर्ष पर पहुंचना तर्कसंगत है कि कोविड-19 महामारी भारत में समाप्त हो गई है. भारत के संदर्भ में अगले कई महीने तक किसी नयी लहर और नए स्वरूप के सामने आने की आशंका बेहद कम है.'

लहरिया ने कहा कि यह ऐसा समय है, जब अधिकतर आबादी को अनिवार्य रूप से मास्क पहनने के नियम से छूट दी जा सकती है. वहीं, सफदरजंग अस्पताल में सामुदायिक चिकित्सा के प्रमुख डॉ जुगल किशोर ने कहा कि सीरो सर्वेक्षण के आंकड़े दर्शाते हैं कि आबादी का 80-90 फीसदी हिस्सा संक्रमण की चपेट में आ चुका है, ऐसे में मास्क पहनने जैसे उपायों से छूट दी जा सकती है. टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह के कोविड-19 कार्यकारी समूह के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा का कहना है कि उच्च टीकाकरण कवरेज और बीमारी के व्यापक तौर पर फैलने के बाद, भारत पर किसी नयी लहर के गंभीर प्रभाव की आशंका कम है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामलों में फिर से वृद्धि के बीच भारत के विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उच्च टीकाकरण कवरेज और संक्रमण के बाद बनी प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए देश में भविष्य में किसी भी लहर का गंभीर प्रभाव होने की आशंका नहीं है. कुछ विशेषज्ञों ने तो यहां तक ​​कहा कि सरकार को मास्क पहनने में ढील देने पर विचार करना चाहिए क्योंकि रोजाना सामने आने वाले संक्रमण के नए मामलों और मौतों की संख्या में कुछ समय से लगातार कमी दर्ज की जा रही है.

भारत में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 1,761 नए मामले सामने आए, जो लगभग 688 दिनों में सबसे कम मामले रहे. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वरिष्ठ महामारी विज्ञानी डॉ संजय राय ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 एक 'आरएनए' वायरस है और इसके स्वरूप में बदलाव होना तय है. उन्होंने कहा कि पहले से ही 1,000 से अधिक बदलाव हो चुके हैं, हालांकि, केवल ऐसे पांच स्वरूप सामने आए हैं, जो चिंता का कारण बने हैं.

राय ने कहा, 'भारत ने पिछले साल कोविड-19 की बहुत ही विनाशकारी दूसरी लहर का सामना किया जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा. हालांकि, वर्तमान में हमारी प्रमुख ताकत प्राकृतिक संक्रमण है जो लंबी अवधि के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है. इसके अलावा, उच्च टीकाकरण कवरेज है. इसलिए, भविष्य की किसी भी लहर का गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'यह ऐसा समय है, जब भारत सरकार अनिवार्य रूप से मास्क पहनने से ढील देने पर विचार कर सकती है.' उन्होंने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और संक्रमण की चपेट में आने के उच्च जोखिम वाले लोगों को एहतियात के तौर पर मास्क पहनना जारी रखना चाहिए. महामारी विज्ञानी ने जोर देकर कहा कि भविष्य में वायरस के किसी भी नए स्वरूप के उभरने की निगरानी के लिए सरकार को जीनोमिक अनुक्रमण सहित सार्स-सीओवी-2 की निगरानी जारी रखनी चाहिए.

ये भी पढ़ें - कोविड-19 संक्रमण के 1,761 नए मामले आए सामने, दो वर्ष में सबसे कम दैनिक मामले मिले

एक अन्य महामारी विज्ञानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ चंद्रकांत लहरिया के अनुसार, वायरस के किसी नए स्वरूप के सामने आने की सूरत में भी भारत में मामलों में वृद्धि की आंशका कम ही है. उन्होंने कहा, 'अगर हम सीरो सर्वेक्षण के आंकड़ों, टीकाकरण कवरेज और वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के प्रसार के साक्ष्यों का अध्ययन करते हैं तो इस निष्कर्ष पर पहुंचना तर्कसंगत है कि कोविड-19 महामारी भारत में समाप्त हो गई है. भारत के संदर्भ में अगले कई महीने तक किसी नयी लहर और नए स्वरूप के सामने आने की आशंका बेहद कम है.'

लहरिया ने कहा कि यह ऐसा समय है, जब अधिकतर आबादी को अनिवार्य रूप से मास्क पहनने के नियम से छूट दी जा सकती है. वहीं, सफदरजंग अस्पताल में सामुदायिक चिकित्सा के प्रमुख डॉ जुगल किशोर ने कहा कि सीरो सर्वेक्षण के आंकड़े दर्शाते हैं कि आबादी का 80-90 फीसदी हिस्सा संक्रमण की चपेट में आ चुका है, ऐसे में मास्क पहनने जैसे उपायों से छूट दी जा सकती है. टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह के कोविड-19 कार्यकारी समूह के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा का कहना है कि उच्च टीकाकरण कवरेज और बीमारी के व्यापक तौर पर फैलने के बाद, भारत पर किसी नयी लहर के गंभीर प्रभाव की आशंका कम है.

(पीटीआई-भाषा)

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