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कोविड-19 विज्ञान एजेंसियों को असाधारण तरीके से करीब ले आया : प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार

केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने कहा कि देश के 90 फीसदी छात्र उन महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में जाते हैं, जहां पर बहुत कम शोध हुए हैं जबकि वे शीर्ष अनुसंधान संस्थानों के काफी निकट हैं.

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Published : Sep 17, 2021, 4:40 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने कहा कि देश में शोध पर सुधार करने की आवश्यकता है. सीआईआई लाइफसाइंसेस कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए राघवन ने उद्योग और विज्ञान एजेंसियों के मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 विज्ञान एजेंसियों को असाधारण तरीके से करीब ले आई है. उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) तक देश का अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत हुआ है और बढ़ा है जो कि एक अच्छी चीज है.

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) राघवन ने कहा कि अनुसंधान सहायता अनुदान का 90 प्रतिशत उन प्रयोगशालाओं को जाता है, जहां हमारे 10 प्रतिशत छात्र जाते हैं. हमारे 90 प्रतिशत छात्र ऐसे विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में जाते हैं, जहां बहुत कम शोध कार्य होता है. जबकि ये संस्थान वास्तव में अनुसंधान के सर्वोत्तम स्थानों के बेहद निकट हैं.'

यह भी पढ़ें-देश के आठ उच्च न्यायालयों को मिलेंगे चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की सिफारिश

यह कुछ ऐसा है, जिसे ठीक किया जाना है. उन्होंने कहा कि यदि सभी एजेंसियां मिलकर काम करें तो संसाधनों का राष्ट्रीय प्रयोगशाला तंत्र उद्योग के साथ-साथ उन महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को भी उपलब्ध हो पाएगा.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने कहा कि देश में शोध पर सुधार करने की आवश्यकता है. सीआईआई लाइफसाइंसेस कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए राघवन ने उद्योग और विज्ञान एजेंसियों के मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 विज्ञान एजेंसियों को असाधारण तरीके से करीब ले आई है. उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) तक देश का अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत हुआ है और बढ़ा है जो कि एक अच्छी चीज है.

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) राघवन ने कहा कि अनुसंधान सहायता अनुदान का 90 प्रतिशत उन प्रयोगशालाओं को जाता है, जहां हमारे 10 प्रतिशत छात्र जाते हैं. हमारे 90 प्रतिशत छात्र ऐसे विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में जाते हैं, जहां बहुत कम शोध कार्य होता है. जबकि ये संस्थान वास्तव में अनुसंधान के सर्वोत्तम स्थानों के बेहद निकट हैं.'

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यह कुछ ऐसा है, जिसे ठीक किया जाना है. उन्होंने कहा कि यदि सभी एजेंसियां मिलकर काम करें तो संसाधनों का राष्ट्रीय प्रयोगशाला तंत्र उद्योग के साथ-साथ उन महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को भी उपलब्ध हो पाएगा.

(पीटीआई-भाषा)

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