हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने बाल विवाह को लेकर चिंता जताई है.
'कोविड-19 : ए थ्रेट टू पोग्रेस अगेंस्ट चाइल्ड मैरिज' नाम से जारी रिपोर्ट में यूनेस्को का कहना है कि दशक के अंत से पहले एक करोड़ अतिरिक्त बाल विवाह हो सकते हैं. ऐसे में बाल विवाह को खत्म करने के प्रयासों को झटका लग सकता है.
रिपोर्ट में कोरोना महामारी का जिक्र किया गया है जिसके कारण स्कूल बंद होने से, आर्थिक तनाव, सेवा में व्यवधान, गर्भावस्था और माता-पिता की मौतें बाल विवाह के खतरे को बढ़ा सकती हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक 65 करोड़ लड़कियां जीवित हैं जिनका बाल विवाह हुआ था. इनमें आधी संख्या बांग्लादेश, ब्राजील, इथियोपिया, भारत और नाइजीरिया में है.
चौंकाने वाली रिपोर्ट बढ़ा रही चिंता
- महामारी के कारण स्कूल बंद, आर्थिक तनाव, नौकरियां छूट जाने से, गर्भावस्था और माता-पिता की मौतें लड़कियों को बाल विवाह के खतरे में डाल रही हैं.
- हाल के वर्षों में कई देशों में बाल विवाह में कमी आई थी. फिर भी कोरोना महामारी से पहले ये अनुमान जताया गया था कि अगले दशक में 100 मिलियन लड़कियों पर बाल विवाह का खतरा है.
- रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल बंद होने से शादी का जोखिम प्रति वर्ष 25% बढ़ जाता है.
- कुछ लड़कियां (2%) कभी भी स्कूल नहीं लौटेंगी.
- घरेलू आय में कमी से विवाह की संभावना 3% बढ़ जाती है. जिन देशों में दहेज आम है, वहां इसका असर ज्यादा पड़ता है.
- कोविड 19 के प्रभावों को खत्म करने और बाल विवाह को रोकने के लिए 2030 तक प्रभावी कदम उठाने होंगे.
दो करोड़ 40 लाख बच्चों का छूट सकता है स्कूल
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) का अनुमान है कि एक करोड़ 10 लाख लड़कियाें समेत लगभग 24 मिलियन बच्चे (दो करोड़ 40 लाख) महामारी के आर्थिक प्रभाव के कारण स्कूल से बाहर हो सकते हैं.
पढ़ें- कोरोना का कहर : दुनिया भर में 85 करोड़ से अधिक छात्र स्कूल में नहीं : यूनेस्को
स्कूल न जाना किशोर गर्भावस्था और बाल विवाह के बढ़ते जोखिमों से जुड़ा है. इसलिए स्कूलों को बंद करने के दौरान भी ये प्रयास किए जाने चाहिए कि बच्चों और अभिभावकों से संपर्क बनाए रखा जाए, जिससे बच्चों की स्कूल वापसी संभव हो.