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कोर्ट ने बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले में एम्बियेंस समूह के प्रवर्तक को न्यायिक हिरासत में भेजा

दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को 800 करोड़ रुपये की कथित बैंक कर्ज धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार एम्बियेंस समूह के प्रवर्तक राज सिंह गहलोत को न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

राज सिंह गहलोत
राज सिंह गहलोत
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Published : Aug 7, 2021, 8:58 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को 800 करोड़ रुपये की कथित बैंक कर्ज धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार एम्बियेंस समूह के प्रवर्तक राज सिंह गहलोत को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि उसे गहलोत से और पूछताछ की जरूरत नहीं है, जिसके बाद अदालत ने यह आदेश दिया.

ईडी ने हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद गहलोत को अदालत के समक्ष पेश किया, जिसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने आरोपी राज सिंह गहलोत को 21 अगस्त तक के लिए जेल भेज दिया.

गुरुग्राम के एम्बियेंस मॉल के भी प्रवर्तक, गहलोत के खिलाफ ईडी का मामला एएचपीएल और उसके निदेशकों के खिलाफ दिल्ली में यमुना खेल परिसर के पास 1, सीबीडी, महाराज सूरजमल रोड पर स्थित पांच सितारा लीला एंबियेंस कन्वेंशन होटल के निर्माण एवं विकास में कथित धनशोधन के लिए जम्मू के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो की 2019 में दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है.

केंद्रीय जांच एजेंसी ने गहलोत, उनकी कंपनी अमन हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड (एएचपीएल), एम्बियेंस समूह की कुछ अन्य कंपनियों, कंपनी में निदेशक दयानंद सिंह, मोहन सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों के परिसरों में पिछले साल जुलाई में छापे मारे थे.

ईडी की जांच में पाया गया कि 800 करोड़ रुपये से अधिक ऋण राशि के एक बड़े हिस्से का, जिसे होटल परियोजना के लिए बैंकों के परिसंघ ने मंजूरी दी थी, उसमें एएचपीएल, राज सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों ने उनके स्वामित्व एवं नियंत्रण वाली कंपनियों के नेटवर्क के माध्यम से हेर-फेर किया गया था.'

यह भी पढ़ें- चंद सेकेंडों में भरभराकर गिरा बहुमंजिला होटल, वीडियो देख दांतों तले दबा लेंगे अंगुली

एजेंसी का आरोप है, 'ऋण राशि का एक बड़ा हिस्सा एएचपीएल द्वारा कई कंपनियों और व्यक्तियों को मौजूदा बिलों के भुगतान और सामग्री की आपूर्ति और निष्पादित कार्य के लिए अग्रिम भुगतान के नाम पर स्थानांतरित कर दिया गया था.'

ईडी ने कहा था कि एम्बियेंस समूह के कर्मचारियों और गहलोत के सहयोगियों को इन कंपनियों में निदेशक और मालिक बनाया गया था और गहलोत इन कंपनियों में से कई के 'अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता' थे.

ईडी ने कहा, 'किसी सामग्री की आपूर्ति नहीं की गई थी और न ही कोई काम किया गया था और लगभग पूरी राशि तुरंत राज सिंह एंड संस एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) और उनके भाई के बेटे के स्वामित्व वाली कंपनियों को भेज दी गई थी.'

(पीटीआई भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को 800 करोड़ रुपये की कथित बैंक कर्ज धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार एम्बियेंस समूह के प्रवर्तक राज सिंह गहलोत को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि उसे गहलोत से और पूछताछ की जरूरत नहीं है, जिसके बाद अदालत ने यह आदेश दिया.

ईडी ने हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद गहलोत को अदालत के समक्ष पेश किया, जिसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने आरोपी राज सिंह गहलोत को 21 अगस्त तक के लिए जेल भेज दिया.

गुरुग्राम के एम्बियेंस मॉल के भी प्रवर्तक, गहलोत के खिलाफ ईडी का मामला एएचपीएल और उसके निदेशकों के खिलाफ दिल्ली में यमुना खेल परिसर के पास 1, सीबीडी, महाराज सूरजमल रोड पर स्थित पांच सितारा लीला एंबियेंस कन्वेंशन होटल के निर्माण एवं विकास में कथित धनशोधन के लिए जम्मू के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो की 2019 में दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है.

केंद्रीय जांच एजेंसी ने गहलोत, उनकी कंपनी अमन हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड (एएचपीएल), एम्बियेंस समूह की कुछ अन्य कंपनियों, कंपनी में निदेशक दयानंद सिंह, मोहन सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों के परिसरों में पिछले साल जुलाई में छापे मारे थे.

ईडी की जांच में पाया गया कि 800 करोड़ रुपये से अधिक ऋण राशि के एक बड़े हिस्से का, जिसे होटल परियोजना के लिए बैंकों के परिसंघ ने मंजूरी दी थी, उसमें एएचपीएल, राज सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों ने उनके स्वामित्व एवं नियंत्रण वाली कंपनियों के नेटवर्क के माध्यम से हेर-फेर किया गया था.'

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एजेंसी का आरोप है, 'ऋण राशि का एक बड़ा हिस्सा एएचपीएल द्वारा कई कंपनियों और व्यक्तियों को मौजूदा बिलों के भुगतान और सामग्री की आपूर्ति और निष्पादित कार्य के लिए अग्रिम भुगतान के नाम पर स्थानांतरित कर दिया गया था.'

ईडी ने कहा था कि एम्बियेंस समूह के कर्मचारियों और गहलोत के सहयोगियों को इन कंपनियों में निदेशक और मालिक बनाया गया था और गहलोत इन कंपनियों में से कई के 'अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता' थे.

ईडी ने कहा, 'किसी सामग्री की आपूर्ति नहीं की गई थी और न ही कोई काम किया गया था और लगभग पूरी राशि तुरंत राज सिंह एंड संस एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) और उनके भाई के बेटे के स्वामित्व वाली कंपनियों को भेज दी गई थी.'

(पीटीआई भाषा)

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