मुंबई: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में गिरफ्तार आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टैन स्वामी को सोमवार को जमानत देने से इनकार कर दिया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीई कोठालिकर ने 83 वर्षीय स्वामी की जमानत की मांग वाली याचिका गुण-दोष के साथ ही चिकित्सकीय आधार पर भी खारिज कर दी. फिलहाल नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद स्वामी को एनआईए ने पिछले साल आठ अक्टूबर को रांची से गिरफ्तार किया था.
स्वामी के वकील के अनुसार, वह पार्किंसन की बीमारी से पीड़ित हैं और दोनों कानों से नहीं सुन पाते. एनआईए ने स्वामी की जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि जांच में सामने आया है कि वह भाकपा (माओवादी) के मोर्चों के तौर पर काम करनेवाले विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज जैसे संगठनों के कट्टर समर्थक रहे हैं.
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स्वामी के वकील शरीफ शेख ने दलील दी थी कि स्वामी के भागने का खतरा नहीं है और वह जमानत का उल्लंघन नहीं करेंगे. स्वामी ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि उनका नाम यहां तक कि वास्तविक प्राथमिकी में नहीं था और पुलिस ने उनका नाम संदिग्ध आरोपी के रूप में 2018 में रिमांड आवेदन में जोड़ा.
स्वामी ने कहा कि वह दलितों और आदिवासियों के लिए काम करते हैं, न कि माओवादियों के लिए. एनआईए की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक प्रकाश शेट्टी ने स्वामी की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि वह प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से जुड़े थे.
इसने यह भी दावा किया कि उसे स्वामी के लैपटॉप से प्रतिकूल सामग्री भी मिली थी और एजेंसी के पास साजिश में उनकी संलिप्तता साबित करने के सबूत हैं.