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न्यायालय ने दो अभियुक्तों की मौत की सजा को 30 साल की उम्रकैद में बदला

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Published : Nov 26, 2021, 10:00 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने दो अभियुक्तों की मौत की सजा (Death sentence for two accused) को शुक्रवार को 30 साल के लिए आजीवन कारावास (Life imprisonment for 30 years) में बदल दिया और कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि उनके सुधरने की कोई संभावना नहीं है.

supreme court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : न्यायालय ने दो अभियुक्तों की मौत की सजा को 30 साल की उम्रकैद ( death sentence of two accused to 30 years of life imprisonment) में बदल दिया है. दोनों अभियुक्तों को 2007 के एक हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी और उस घटना में आठ लोग मारे गए थे.

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की एक पीठ ने दोषियों द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाया. याचिका में सर्वोच्च अदालत के अक्टूबर 2014 के फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया गया था जिसमें झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया था.

पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना भी शामिल थे. उच्च न्यायालय ने जुलाई 2009 के अपने आदेश में निचली अदालत द्वारा दो याचिकाकर्ताओं को सुनायी गयी मौत की सजा को कायम रखा था. सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ताओं मोफिल खान और मुबारक खान को सुनाई गई मौत की सजा को 30 साल के लिए आजीवन कारावास में बदल दिया.

पीठ ने समीक्षा याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि उपरोक्त सभी बिन्दुओं पर विचार करते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ताओं के सुधार की कोई संभावना नहीं है. हालांकि संपत्ति विवाद के कारण अपने भाई के पूरे परिवार की बिना उकसावे के और सुनियोजित तरीके से नृशंस हत्या को ध्यान में रखते हुए हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता 30 साल के लिए सजा के पात्र हैं.

अभियोजन पक्ष के अनुसार याचिकाकर्ताओं और उनके भाई के बीच संपत्ति को लेकर विवाद था और जून 2007 में याचिकाकर्ताओं ने अन्य लोगों के साथ मिलकर अपने भाई के साथ मारपीट की और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. बाद में उन्होंने तीन नाबालिगों सहित सात अन्य लोगों की भी हत्या कर दी. निचली अदालत ने 11 आरोपियों में से सात को बरी कर दिया था और चार को दोषी ठहराते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाई थी.

यह भी पढ़ें- कोविड प्रभावित परिवारों के पुनर्वास से संबंधित याचिका पर केंद्र व राज्यों को SC ने भेजा नोटिस

बाद में उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा लेकिन मामले में दो अन्य दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : न्यायालय ने दो अभियुक्तों की मौत की सजा को 30 साल की उम्रकैद ( death sentence of two accused to 30 years of life imprisonment) में बदल दिया है. दोनों अभियुक्तों को 2007 के एक हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी और उस घटना में आठ लोग मारे गए थे.

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की एक पीठ ने दोषियों द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाया. याचिका में सर्वोच्च अदालत के अक्टूबर 2014 के फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया गया था जिसमें झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया था.

पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना भी शामिल थे. उच्च न्यायालय ने जुलाई 2009 के अपने आदेश में निचली अदालत द्वारा दो याचिकाकर्ताओं को सुनायी गयी मौत की सजा को कायम रखा था. सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ताओं मोफिल खान और मुबारक खान को सुनाई गई मौत की सजा को 30 साल के लिए आजीवन कारावास में बदल दिया.

पीठ ने समीक्षा याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि उपरोक्त सभी बिन्दुओं पर विचार करते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ताओं के सुधार की कोई संभावना नहीं है. हालांकि संपत्ति विवाद के कारण अपने भाई के पूरे परिवार की बिना उकसावे के और सुनियोजित तरीके से नृशंस हत्या को ध्यान में रखते हुए हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता 30 साल के लिए सजा के पात्र हैं.

अभियोजन पक्ष के अनुसार याचिकाकर्ताओं और उनके भाई के बीच संपत्ति को लेकर विवाद था और जून 2007 में याचिकाकर्ताओं ने अन्य लोगों के साथ मिलकर अपने भाई के साथ मारपीट की और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. बाद में उन्होंने तीन नाबालिगों सहित सात अन्य लोगों की भी हत्या कर दी. निचली अदालत ने 11 आरोपियों में से सात को बरी कर दिया था और चार को दोषी ठहराते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाई थी.

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बाद में उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा लेकिन मामले में दो अन्य दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.

(पीटीआई-भाषा)

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