नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा किए मानहानि के मामले में शनिवार को सेशन कोर्ट में सुनवाई 14 अक्टूबर तक टल गई. इस दौरान कोर्ट ने अशोक गहलोत को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के लिए दी गई राहत बरकरार रखी. अब 19 सितंबर को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल के कोर्ट में होने वाली सुनवाई में गहलोत फिर से वीसी से पेश हो सकेंगे.
सुनवाई के दौरान शेखावत के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि शेखावत का नाम संजीवनी घोटाले की एफआईआर में नहीं है और न ही चार्जशीट में उनका नाम है. उन्हें कोई समन भी जारी नहीं हुआ है. लेकिन, फिर भी गहलोत द्वारा उनका नाम लेकर उन पर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. गहलोत के वकील ने कहा कि गहलोत का बयान राज्य के गृह मंत्री के रूप में एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया था. इस पर शेखावत के वकील ने कहा कि मामले में केस डायरी से छेड़छाड़ की गई है. इस पर कोर्ट ने केस डायरी से संबंधित तफसील रिपोर्ट भी पेश करने के लिए कहा है.
उल्लेखनीय है कि 14 सितंबर को मानहानि मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा 256 का प्रार्थना पत्र देकर खुद को आरोप मुक्त करने की मांग को लेकर गुरुवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान अशोक गहलोत और गजेंद्र सिंह शेखावत दोनों वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश हुए. इस दौरान एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल ने सुनवाई के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया. अब कोर्ट 19 सितंबर को दोपहर दो बजे फैसला सुनाएगा. मामले की सुनवाई दोपहर दो बजे शुरू हुई, जिसके बाद दोनों पक्षों के वकीलों में करीब सवा घंटे तक तीखी बहस हुई थी.
ये भी पढ़ें : Gajendra Singh Shekhawat defamation case: CM गहलोत को आरोप मुक्त करने के प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
ये भी पढ़ें : Shekhawat Defamation Case: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत