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भवानीपुर के बहाने केंद्र और ममता के बीच वार-पलटवार - भवानीपुर विधानसभा सीट

पश्चिम बंगाल की भवानीपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ने जा रही ममता बनर्जी इस सीट पर जरूरत से ज्यादा ध्यान दे रही हैं और राष्ट्रीय मुद्दों पर वार कर रही हैं. वहीं बीजेपी ने भी इस उपचुनाव को हथियार बना लिया है और इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित कर रही है. भाजपा कह रही है कि उसने एक मुख्यमंत्री को उपचुनाव लड़ने के लिए बाध्य कर दिया, यही नहीं बीजेपी की रणनीति इस चुनाव के बहाने एक बार फिर से बंगाल में अपनी उपस्थिति याद दिलाने की भी है, ताकि इस एक्सरसाइज को वह 2024 तक जारी रखें. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

ममता
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Published : Sep 28, 2021, 8:38 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने खास रणनीति के तहत पश्चिम बंगाल की भवानीपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ रही ममता बनर्जी पर तीखे वार करने शुरू कर दिए हैं, यहां तक की वार पलटवार के इस खेल में मंगलवार को तो भारतीय जनता पार्टी ने अपने नेताओं के ऊपर हो रहे हमले को लेकर चुनाव आयोग भी पहुंच गई.

चुनाव भले ही पश्चिम बंगाल के एक विधानसभा सीट भवानीपुर का है, लेकिन इस चुनाव में मुद्दे राष्ट्रीय स्तर के उठाए जा रहे हैं, जहां ममता के निशाने पर बीजेपी की केंद्र सरकार है. वहीं बीजेपी के निशाने पर पश्चिम बंगाल की सरकार और टीएमसी के नेता हैं. ममता बनर्जी भी नंदीग्राम के बाद भवानीपुर उपचुनाव को लेकर फूंक फूंक कर कदम रख रही हैं और जोर शोर से प्रचार अभियान चला रहीं हैं.

ममता बनर्जी जहां यह दावे कर रही है कि वह बीजेपी को देश की सत्ता से बाहर कर देंगी, भवानीपुर तो बस शुरुआत है. वहीं भारतीय जनता पार्टी का यह आरोप है कि ममता बनर्जी मुख्यमंत्री होते हुए भी उनके सामान्य उम्मीदवार के पोस्टर बैनर भी चुनावी मैदान से हटवा रही हैं. यहां तक कि बीजेपी के तमाम आला नेता भवानीपुर के पुलिस स्टेशन में ममता के खिलाफ चुनाव लड़ रहे प्रियंका टिबरी वाल के पोस्टर बैनर को टीएमसी सरकार द्वारा हटवाए गए फोटो को भी लगातार ट्वीट कर टिप्पणी कर रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो पार्टी की रणनीति यह भी है कि जनता के बीच एहसास दिलाया जाए कि भाजपा की वजह से ही एक पार्टी की मुखिया और मुख्यमंत्री उम्मीदवार को भाजपा ने चुनाव हराया और उन्हें विधानसभा के उपचुनाव लड़ने को विवश किया गया, ताकि आने वाले पांच राज्यों के चुनाव में वह इस बात को भी जोर-शोर से उठा सकें.

वहीं सूत्रों की मानें तो एक के बाद एक भारतीय जनता पार्टी के नेता और विधानसभा चुनाव के समय टीएमसी से भाजपा में आए नेताओं का वापस टीएमसी में जाने की शुरुआत हो चुकी है, जिससे पार्टी के आला नेताओं के बीच इस बात को लेकर काफी हलचल है और पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को दोबारा विश्वास में लेने के लिए एक बार फिर से रणनीति बना रहा है.

सूत्रों के मुताबिक अमित शाह के नेतृत्व में आने वाले दिनों में बीजेपी पश्चिम बंगाल में एक बार फिर सक्रिय दिखने का प्रयास करेगी और संगठन को मजबूत करने के लिए कई कार्यक्रम की शुरुआत करने की भी संभावना है. इन तमाम बातों की कमान विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ही संभालेंगे और शाह का जल्दी ही बंगाल दौरा भी पार्टी आयोजित करने की योजना बना रहे हैं.

पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल में केवल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वित्तमंत्री अमित मित्रा ऐसे हैं, जो निर्वाचित विधायक नहीं है और मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने के लिए ममता बनर्जी को भवानीपुर का उप चुनाव जीतना होगा.

इसके अलावा नंदीग्राम के चुनाव को भी ममता बनर्जी चुनौती देते हुए कोलकाता उच्च न्यायालय में अपनी याचिका दाखिल कर चुकी हैं, लेकिन जिस तरह से उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में सरगर्मी अचानक तेज की हैं, वह एक खास रणनीति का हिस्सा है क्योंकि पार्टी को यह डर भी सता रहा है कि एक के बाद एक पार्टी के कद्दावर नेता उपेक्षा या टीएमसी के दबाव में आकर पार्टी न छोड़ दें और वह केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के बाद बीजेपी के नेता लॉकेट चटर्जी का नाम भी चर्चा में है हालांकि वह खुद इस बात का खंडन भी कर रहीं हैं, बावजूद टीएमसी के नेता दावे कर रहे हैं.

इस मुद्दे पर बीजेपी के प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को केंद्रीय चुनाव आयोग से मिलकर भारी-भरकम मांगे भी उनके सामने रखी हैं, जिसमें 40 सीआरएपीएफ कंपनी की बटालियन भवानीपुर में डिप्लॉयमेंट करने की मांग रखी गई है. स्थानीय पुलिस कर्मियों को चुनाव ड्यूटी में नहीं नियुक्त करने की मांग की है.

पढ़ें - केंद्र सरकार के बाद पश्चिम बंगाल भी पार्श्व भर्ती की राह पर

साथ ही साथ 144 धारा 30 सितंबर को चुनाव वाले दिन भी लगाए जाने की मांग की है. आपराधिक गतिविधि और बैकग्राउंड वाले नेताओं कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की मांग की है. यही नहीं वार्ड नंबर 77 63 और 82 पॉकेट में बुर्का धारी महिलाओं की महिला पुलिस कर्मियों द्वारा विशेष जांच जैसी मांग भी उठाई गई है.

इस मुद्दे पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा का कहना है कि बंगाल में टीएमसी का आधार ही राजनीतिक हिंसक हो चुका है और टीएमसी हर चुनाव को हिंसा के आधार पर ही जीतना चाहती है.

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को इस मामले में टिप्पणी करने की जरूरत नहीं मगर वहां की जनता देख रही है कि किस तरह एक मुख्यमंत्री को दोबारा उपचुनाव में चुनाव लड़ना पड़ा इससे साफ है कि भले ही दबाव और मजबूरीवस लोगों ने वोट दिए मगर ममता बनर्जी की जो हिंसात्मक राजनीति है वह लोगों को पसंद नहीं है.

उन्होंने कहा कि इस बार के उपचुनाव में भी ममता बनर्जी भवानीपुर से इतनी डरी हुई है कि आए दिन कार्यकर्ताओं पर हमले करवा रही हैं और भाजपा के नेताओं की घेराबंदी की जा रही है बैनर पोस्टर फाड़े जा रहे हैं.

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने खास रणनीति के तहत पश्चिम बंगाल की भवानीपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ रही ममता बनर्जी पर तीखे वार करने शुरू कर दिए हैं, यहां तक की वार पलटवार के इस खेल में मंगलवार को तो भारतीय जनता पार्टी ने अपने नेताओं के ऊपर हो रहे हमले को लेकर चुनाव आयोग भी पहुंच गई.

चुनाव भले ही पश्चिम बंगाल के एक विधानसभा सीट भवानीपुर का है, लेकिन इस चुनाव में मुद्दे राष्ट्रीय स्तर के उठाए जा रहे हैं, जहां ममता के निशाने पर बीजेपी की केंद्र सरकार है. वहीं बीजेपी के निशाने पर पश्चिम बंगाल की सरकार और टीएमसी के नेता हैं. ममता बनर्जी भी नंदीग्राम के बाद भवानीपुर उपचुनाव को लेकर फूंक फूंक कर कदम रख रही हैं और जोर शोर से प्रचार अभियान चला रहीं हैं.

ममता बनर्जी जहां यह दावे कर रही है कि वह बीजेपी को देश की सत्ता से बाहर कर देंगी, भवानीपुर तो बस शुरुआत है. वहीं भारतीय जनता पार्टी का यह आरोप है कि ममता बनर्जी मुख्यमंत्री होते हुए भी उनके सामान्य उम्मीदवार के पोस्टर बैनर भी चुनावी मैदान से हटवा रही हैं. यहां तक कि बीजेपी के तमाम आला नेता भवानीपुर के पुलिस स्टेशन में ममता के खिलाफ चुनाव लड़ रहे प्रियंका टिबरी वाल के पोस्टर बैनर को टीएमसी सरकार द्वारा हटवाए गए फोटो को भी लगातार ट्वीट कर टिप्पणी कर रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो पार्टी की रणनीति यह भी है कि जनता के बीच एहसास दिलाया जाए कि भाजपा की वजह से ही एक पार्टी की मुखिया और मुख्यमंत्री उम्मीदवार को भाजपा ने चुनाव हराया और उन्हें विधानसभा के उपचुनाव लड़ने को विवश किया गया, ताकि आने वाले पांच राज्यों के चुनाव में वह इस बात को भी जोर-शोर से उठा सकें.

वहीं सूत्रों की मानें तो एक के बाद एक भारतीय जनता पार्टी के नेता और विधानसभा चुनाव के समय टीएमसी से भाजपा में आए नेताओं का वापस टीएमसी में जाने की शुरुआत हो चुकी है, जिससे पार्टी के आला नेताओं के बीच इस बात को लेकर काफी हलचल है और पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को दोबारा विश्वास में लेने के लिए एक बार फिर से रणनीति बना रहा है.

सूत्रों के मुताबिक अमित शाह के नेतृत्व में आने वाले दिनों में बीजेपी पश्चिम बंगाल में एक बार फिर सक्रिय दिखने का प्रयास करेगी और संगठन को मजबूत करने के लिए कई कार्यक्रम की शुरुआत करने की भी संभावना है. इन तमाम बातों की कमान विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ही संभालेंगे और शाह का जल्दी ही बंगाल दौरा भी पार्टी आयोजित करने की योजना बना रहे हैं.

पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल में केवल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वित्तमंत्री अमित मित्रा ऐसे हैं, जो निर्वाचित विधायक नहीं है और मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने के लिए ममता बनर्जी को भवानीपुर का उप चुनाव जीतना होगा.

इसके अलावा नंदीग्राम के चुनाव को भी ममता बनर्जी चुनौती देते हुए कोलकाता उच्च न्यायालय में अपनी याचिका दाखिल कर चुकी हैं, लेकिन जिस तरह से उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में सरगर्मी अचानक तेज की हैं, वह एक खास रणनीति का हिस्सा है क्योंकि पार्टी को यह डर भी सता रहा है कि एक के बाद एक पार्टी के कद्दावर नेता उपेक्षा या टीएमसी के दबाव में आकर पार्टी न छोड़ दें और वह केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के बाद बीजेपी के नेता लॉकेट चटर्जी का नाम भी चर्चा में है हालांकि वह खुद इस बात का खंडन भी कर रहीं हैं, बावजूद टीएमसी के नेता दावे कर रहे हैं.

इस मुद्दे पर बीजेपी के प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को केंद्रीय चुनाव आयोग से मिलकर भारी-भरकम मांगे भी उनके सामने रखी हैं, जिसमें 40 सीआरएपीएफ कंपनी की बटालियन भवानीपुर में डिप्लॉयमेंट करने की मांग रखी गई है. स्थानीय पुलिस कर्मियों को चुनाव ड्यूटी में नहीं नियुक्त करने की मांग की है.

पढ़ें - केंद्र सरकार के बाद पश्चिम बंगाल भी पार्श्व भर्ती की राह पर

साथ ही साथ 144 धारा 30 सितंबर को चुनाव वाले दिन भी लगाए जाने की मांग की है. आपराधिक गतिविधि और बैकग्राउंड वाले नेताओं कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की मांग की है. यही नहीं वार्ड नंबर 77 63 और 82 पॉकेट में बुर्का धारी महिलाओं की महिला पुलिस कर्मियों द्वारा विशेष जांच जैसी मांग भी उठाई गई है.

इस मुद्दे पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा का कहना है कि बंगाल में टीएमसी का आधार ही राजनीतिक हिंसक हो चुका है और टीएमसी हर चुनाव को हिंसा के आधार पर ही जीतना चाहती है.

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को इस मामले में टिप्पणी करने की जरूरत नहीं मगर वहां की जनता देख रही है कि किस तरह एक मुख्यमंत्री को दोबारा उपचुनाव में चुनाव लड़ना पड़ा इससे साफ है कि भले ही दबाव और मजबूरीवस लोगों ने वोट दिए मगर ममता बनर्जी की जो हिंसात्मक राजनीति है वह लोगों को पसंद नहीं है.

उन्होंने कहा कि इस बार के उपचुनाव में भी ममता बनर्जी भवानीपुर से इतनी डरी हुई है कि आए दिन कार्यकर्ताओं पर हमले करवा रही हैं और भाजपा के नेताओं की घेराबंदी की जा रही है बैनर पोस्टर फाड़े जा रहे हैं.

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