नई दिल्ली : भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य एल1 (Aditya L1) के प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुक्रवार को शुरू हो गई. श्रीहरिकोटा से इसे आज शनिवार सुबह 11.50 बजे लॉन्च किया जाएगा. इस संबंध में इसरो ने एक्स, (पूर्व में ट्विटर) पर एक अपडेट में कहा, 'पीएसएलवी-सी57/आदित्य-एल1 मिशन: 2 सितंबर, 2023 को भारतीय समयानुसार सुबह 11:50 बजे लॉन्च की उल्टी गिनती शुरू हो गई है.'
23 घंटे 40 मिनट की उलटी गिनती दोपहर 12:10 बजे शुरू हुई. इसरो (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पहले कहा था कि मिशन को सटीक दायरे तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे.
सात पेलोड ले जाएगा पीएसएलवी-सी57 : आदित्य-एल1 भारत की पहली सौर अंतरिक्ष वेधशाला है और इसे पीएसएलवी-सी57 द्वारा श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाएगा. यह सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए सात अलग-अलग पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे.
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PSLV-C57/Aditya-L1 Mission:
— ISRO (@isro) September 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
The 23-hour 40-minute countdown leading to the launch at 11:50 Hrs. IST on September 2, 2023, has commended today at 12:10 Hrs.
The launch can be watched LIVE
on ISRO Website https://t.co/osrHMk7MZL
Facebook https://t.co/zugXQAYy1y
YouTube…
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जानिए कहां होगा इवेंट का लाइव टेलीकास्ट
- इसरो की वेबसाइट: https://isro.gov.in
- फेसबुक: https://facebook.com/ISRO
- यूट्यूब: https://youtube.com/watch?v=_IcgGYZTXQw
- डीडी नेशनल टीवी चैनल
मंदिर पहुंचे इसरो चीफ : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने आदित्य-एल1 सौर मिशन के प्रक्षेपण से एक दिन पहले शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के सुल्लुरपेटा में श्री चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर में पूजा की. मंदिर के एक अधिकारी ने कहा कि सोमनाथ ने सुबह 7.30 बजे मंदिर का दौरा किया और भगवान की पूजा की.
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#WATCH | Andhra Pradesh: A team of ISRO scientists arrive at Tirumala Sri Venkateswara Temple, with a miniature model of the Aditya-L1 Mission to offer prayers.
— ANI (@ANI) September 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
India's first solar mission (Aditya-L1 Mission) is scheduled to be launched on September 2 at 11.50am from the… pic.twitter.com/XPvh5q8M7F
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कई और मिशन भी लॉन्च करेगा इसरो : पत्रकारों से बात करते हुए इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि आदित्य-एल1 मिशन शनिवार सुबह 11.50 बजे लॉन्च किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सौर मिशन सूर्य का अध्ययन करने के लिए है और सटीक त्रिज्या तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे. उन्होंने कहा, सूर्य वेधशाला मिशन के बाद, इसरो आने वाले दिनों में एसएसएलवी - डी 3 और पीएसएलवी सहित कई अन्य मिशन लॉन्च करेगा.
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As the countdown for India's maiden solar observatory mission #AdityaL1 is to begin at 11:50noon today, #isro chairman Dr. S. Somanath & SDSC leadership offer prayers at Chengalamman temple near the spaceport #AndhraPradesh #AdityaL1Mission #india #space #sun
— Sidharth.M.P (@sdhrthmp) September 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
🚀tomo 11:50noon pic.twitter.com/mSEnqTNs6w
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"Next launch is #AdityaL1, then by Oct-mid Gaganyaan in-flight crew escape system demo TV-D1, then GSLV INSAT 3DS, then SSLV-D3, then PSLV, then LVM3 and so on..." #isro chief Dr. S. Somanath elaborates on 2023-24 launch calendar.. #space #Science #tech #india #ISROMissions pic.twitter.com/xuX418KkGg
— Sidharth.M.P (@sdhrthmp) September 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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ये किया जाएगा : अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी (930,000 मील) दूर, सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल 1) के आसपास एक कक्षा में स्थापित जाएगा.
सौर भूकंपों का अध्ययन जरूरी : वहीं, मिशन के बारे में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics) के प्रोफेसर और प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. आर रमेश ने बताया कि जिस तरह पृथ्वी पर भूकंप आते हैं, उसी तरह सूर्य की सतह पर सौर भूकंप भी होते हैं - जिन्हें कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है. उन्होंने कहा, इस प्रक्रिया में, लाखों-करोड़ों टन सौर सामग्री को अंतरग्रहीय अंतरिक्ष में फेंक दिया जाता है. उन्होंने कहा, ये सीएमई लगभग 3,000 किमी प्रति सेकंड की गति से यात्रा कर सकते हैं.
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#WATCH | Bengaluru, Karnataka | System Engineering Group Head and Mechanical systems designer Prof Nagabhushana explains the functioning of VELC payload for ISRO’s Aditya-L1 mission, says "This is called Visible Line Emission Coronagraph (VELC). This is a solar instrument which… pic.twitter.com/2xvYXxVmiz
— ANI (@ANI) September 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) September 1, 2023
डॉ. रमेश ने बताया, 'कुछ सीएमई को पृथ्वी की ओर भी निर्देशित किया जा सकता है. सबसे तेज़ सीएमई लगभग 15 घंटों में पृथ्वी के निकट पहुंच सकता है.'
मिशन अलग क्यों? : डॉ. रमेश ने बताया कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने अतीत में इसी तरह के मिशन लॉन्च किए हैं, लेकिन आदित्य एल 1 मिशन दो मुख्य पहलुओं में अद्वितीय होगा क्योंकि हम सौर कोरोना का निरीक्षण उस स्थान से कर पाएंगे जहां से यह लगभग शुरू होता है. इसके अलावा हम सौर वायुमंडल में चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले बदलावों का भी निरीक्षण कर पाएंगे, जो कोरोनल मास इजेक्शन या सौर भूकंप का कारण हैं.
डॉ. रमेश ने कहा, कभी-कभी, ये सीएमई उपग्रहों को 'समाप्त' करके उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. सीएमई से डिस्चार्ज किए गए कण प्रवाह के कारण, उपग्रहों पर मौजूद सभी इलेक्ट्रॉनिक्स खराब हो सकते हैं.ये सीएमई पृथ्वी तक आते हैं.
सीएमई की वजह से हुआ था नुकसान : 1989 में, जब सौर वायुमंडल में भारी विस्फोट हुआ था, कनाडा में क्यूबेक लगभग 72 घंटों तक बिजली के बिना रहा था. इसी तरह 2017 में सीएमई की वजह से स्विट्जरलैंड का ज्यूरिख एयरपोर्ट करीब 14 से 15 घंटे तक प्रभावित रहा था.
डॉ. रमेश ने कहा कि एक बार जब सीएमई पृथ्वी पर पहुंच जाते हैं, जो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों वाले एक बड़े चुंबक की तरह है, तो वे चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के साथ यात्रा कर सकते हैं और फिर वे पृथ्वी के भू-चुंबकीय क्षेत्र को बदल सकते हैं. एक बार जब भू-चुंबकीय क्षेत्र प्रभावित हो जाता है, तो यह उच्च वोल्टेज ट्रांसफार्मर को प्रभावित कर सकता है.
उन्होंने बताया, 'इसलिए, सूर्य की लगातार निगरानी के लिए अवलोकन केंद्र स्थापित करना बहुत महत्वपूर्ण है, जो लैग्रेंजियन (एल1) बिंदु से संभव है.'
पृथ्वी से ही अध्ययन किया जा सकता है तो सूर्य पर जाने की क्या जरूरत? अब आम लोगों के लिए बड़ा सवाल ये भी है कि जब पृथ्वी से ही सूर्य का अध्ययन किया जा सकता है तो ऐसे मिशन की क्या जरूरत. इस पर डॉ. रमेश का कहना है कि बेंगलुरु स्थित आईआईए सूर्य का अवलोकन करने की लगभग 125 वर्षों की लंबी परंपरा वाली संस्था है. उसने महसूस किया कि 24 घंटे के आधार पर सूर्य की निगरानी करनी चाहिए ताकि जो भी परिवर्तन हो रहा हो (सूर्य पर) बहुत अच्छी तरह से देखा जाए.
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics) के प्रोफेसर डॉ. रमेश ने कहा, हालांकि सूर्य का अवलोकन जमीन पर स्थित दूरबीन से किया जा सकता है, लेकिन उनकी दो प्रमुख सीमाएं हैं. एक तो यह कि सूर्य की निगरानी के लिए एक दिन में केवल आठ या नौ घंटे ही उपलब्ध होते हैं क्योंकि ऐसे अवलोकन केवल दिन के समय ही किए जा सकते हैं, रात में नहीं.
ये है दूसरी बाधा- धूल के कणों से बिखर जाती है रोशनी : डॉ. रमेश ने कहा पृथ्वी से सूर्य की निगरानी करते समय दूसरी चुनौती यह है कि सूर्य से आने वाली रोशनी वायुमंडल में धूल के कणों द्वारा बिखर जाएगी. उन्होंने बताया, परिणामस्वरूप छवि धुंधली हो सकती है. सौर अवलोकन में इन कमियों से बचने के लिए, IIA को सूर्य के 24 घंटे निर्बाध अवलोकन के लिए अंतरिक्ष में एक दूरबीन रखने की आवश्यकता महसूस हुई.
पांच सुविधाजनक बिंदु से रखा जाएगी सूर्य पर निगरानी : डॉ. रमेश ने कहा कि यहां पांच सुविधाजनक बिंदु हैं जहां से सूर्य पर नजर रखी जा सकती है. इन्हें लैग्रेंजियन पॉइंट कहा जाता है, जिनका नाम इतालवी खगोलशास्त्री जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है जिन्होंने इन्हें खोजा था. वैज्ञानिक ने कहा, लैग्रेंज बिंदुओं पर सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर्षण का गुरुत्वाकर्षण बल पूरी तरह से संतुलित है.
आदित्य एल1 को लैग्रेंजियन-1 बिंदु तक पहुंचने में लगेंगे 100 से ज्यादा दिन : आईआईए प्रोफेसर ने बताया, 'इन सभी पांच बिंदुओं में से सूर्य का निर्बाध दृश्य देखने के लिए एल1 नामक एक बिंदु है. यह बिंदु पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी की दूरी पर सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित है.' उनके अनुसार, आदित्य एल1 अंतरिक्ष मिशन को लैग्रेंजियन-1 बिंदु तक पहुंचने में 100 से अधिक दिन लगेंगे.
डॉ. रमेश ने कहा कि इस उपग्रह से डेटा बेंगलुरु के बाहरी इलाके ब्यालालु के पास इसरो के भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क में डाउनलोड किया जाएगा और एक समर्पित इंटरनेट लिंक के माध्यम से आईआईए के पेलोड ऑपरेशंस सेंटर को प्रेषित किया जाएगा. डेटा को संसाधित किया जाएगा और आम जनता के साथ-साथ वैज्ञानिक समुदाय द्वारा उपयोग के लिए प्रसार के लिए इसरो को वापस भेजा जाएगा.
(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)