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डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट में छोड़ी रुई, लगा 45 लाख का जुर्माना

यूपी में मरीज के पेट में रुई छोड़ने की आरोपी डॉक्टर पर 45 लाख रुपये जुर्माना लगा है. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने पडरौना नगर में स्थित सृजन हॉस्पिटल की संचालिका डॉ. अमृता राय पर 45.39 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है (RS 45 lakh fine on accused srijan hospital doctor amrita rai). जानिए क्या है पूरा मामला.

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डॉक्टर ने मरीज के पेट में छोड़ी रुई
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Published : Apr 20, 2022, 8:49 PM IST

कुशीनगर: ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में कॉटन (रुई) छोड़ने के मामले में बड़ी कार्यवाही हुई है. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग लखनऊ के सदस्य राजेंद्र सिंह ने पडरौना नगर में स्थित सृजन हॉस्पिटल की संचालिका डॉ. अमृता राय पर 45.39 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. आयोग ने आदेश देते हुए कहा कि दो माह के अंदर अर्थदंड नहीं देने पर महिला चिकित्सक को पन्द्रह फीसदी वार्षिक ब्याज जोड़कर धनराशि का भुगतान करना होगा.

जिले के खैरी की जुडाछपरा के निर्मल पट्टी निवासी सुशीला शर्मा पत्नी विनोद शर्मा ने सृजन हॉस्पिटल की महिला डॉक्टर पर राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग लखनऊ में वाद दाखिल कर आरोप लगाया है. आरोप है कि 7 मई 2020 को पहली बार उन्होंने पडरौना नगर में स्थित सृजन हॉस्पिटल की महिला डॉक्टर अमृता राय को दिखाया था. महिला डॉक्टर ने देखने के बाद 25 मई को ऑपरेशन की डेट निर्धारित कर दवा देकर घर भेज दिया. निर्धारित तिथि को अस्पताल पहुंचने पर डॉ. अमृता राय ने ऑपरेशन कर बच्चे की डिलीवरी की. इसमें चालीस हजार रुपये खर्च हुए.

पीड़िता के मुताबिक वह अस्पताल से 31 मई को डिस्चार्ज हुई, लेकिन उसके पेट मे बराबर दर्द होता रहा. तबीयत ज्यादा खराब होने पर वह 5 जून को फिर से अमृता राय को दिखाने पहुंची, जिसके बाद डॉक्टर ने उसे गोरखपुर सावित्री हास्पिटल रेफर कर दिया. वहां डॉक्टर ने उसकी जांच करवाई. जांच में पता चला कि महिला डॉ. अमृता राय ने ऑपरेशन के दौरान कॉटन पैड पेट में छोड़ दिया है.

सावित्री अस्पताल में ऑपरेशन के बाद जिंदगी और मौत से जूझते हुए सुशीला शर्मा जब ठीक हुई तो उसने सृजन अस्पताल की डाॅ. अमृता राय के खिलाफ 15.39 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए मुकदमा दाखिल किया. वहीं, पीड़िता ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में भी परिवाद दाखिल किया, जिसके बाद जिला आयोग ने महिला चिकित्सक डाॅ. अमृता राय को ऑपरेशन के दौरान हुई लापरवाही का दोषी पाया. आयोग ने महिला चिकित्सक पर चार लाख रुपये अर्थदंड लगाते हुए दो माह के भीतर अर्थदंड न देने की दशा में छह प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज देने का आदेश जारी किया था.

इसके बाद सुशीला ने राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग लखनऊ के समक्ष अपील की. राज्य आयोग के तीन सदस्यों की बेंच के पीठासीन सदस्य राजेन्द्र सिंह ने डॉ. अमृत राय को गंभीर लापरवाही का दोषी मानते हुए पीड़िता को 15 लाख 39 हजार 752 बतौर क्षतिपूर्ति के साथ 1 दिसंबर 2020 से दस प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अर्थदंड देने का आदेश दिया है. साथ ही, सुशीला शर्मा को मानसिक यंत्रणा, बेचैनी और परेशानी के मद में कुल 30 लाख रुपये हर्जाना दस फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने का निर्देश दिया है. आयोग ने कहा है कि अगर डॉ. अमृता राय यह भुगतान इस निर्णय से 60 दिन के अन्दर नहीं करती हैं तो इस रकम पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाया जाएगा.

पढ़ें- डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान पेट में छोड़ी रुई, उपभोक्ता फोरम ने लगाया पांच लाख का जुर्माना

कुशीनगर: ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में कॉटन (रुई) छोड़ने के मामले में बड़ी कार्यवाही हुई है. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग लखनऊ के सदस्य राजेंद्र सिंह ने पडरौना नगर में स्थित सृजन हॉस्पिटल की संचालिका डॉ. अमृता राय पर 45.39 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. आयोग ने आदेश देते हुए कहा कि दो माह के अंदर अर्थदंड नहीं देने पर महिला चिकित्सक को पन्द्रह फीसदी वार्षिक ब्याज जोड़कर धनराशि का भुगतान करना होगा.

जिले के खैरी की जुडाछपरा के निर्मल पट्टी निवासी सुशीला शर्मा पत्नी विनोद शर्मा ने सृजन हॉस्पिटल की महिला डॉक्टर पर राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग लखनऊ में वाद दाखिल कर आरोप लगाया है. आरोप है कि 7 मई 2020 को पहली बार उन्होंने पडरौना नगर में स्थित सृजन हॉस्पिटल की महिला डॉक्टर अमृता राय को दिखाया था. महिला डॉक्टर ने देखने के बाद 25 मई को ऑपरेशन की डेट निर्धारित कर दवा देकर घर भेज दिया. निर्धारित तिथि को अस्पताल पहुंचने पर डॉ. अमृता राय ने ऑपरेशन कर बच्चे की डिलीवरी की. इसमें चालीस हजार रुपये खर्च हुए.

पीड़िता के मुताबिक वह अस्पताल से 31 मई को डिस्चार्ज हुई, लेकिन उसके पेट मे बराबर दर्द होता रहा. तबीयत ज्यादा खराब होने पर वह 5 जून को फिर से अमृता राय को दिखाने पहुंची, जिसके बाद डॉक्टर ने उसे गोरखपुर सावित्री हास्पिटल रेफर कर दिया. वहां डॉक्टर ने उसकी जांच करवाई. जांच में पता चला कि महिला डॉ. अमृता राय ने ऑपरेशन के दौरान कॉटन पैड पेट में छोड़ दिया है.

सावित्री अस्पताल में ऑपरेशन के बाद जिंदगी और मौत से जूझते हुए सुशीला शर्मा जब ठीक हुई तो उसने सृजन अस्पताल की डाॅ. अमृता राय के खिलाफ 15.39 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए मुकदमा दाखिल किया. वहीं, पीड़िता ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में भी परिवाद दाखिल किया, जिसके बाद जिला आयोग ने महिला चिकित्सक डाॅ. अमृता राय को ऑपरेशन के दौरान हुई लापरवाही का दोषी पाया. आयोग ने महिला चिकित्सक पर चार लाख रुपये अर्थदंड लगाते हुए दो माह के भीतर अर्थदंड न देने की दशा में छह प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज देने का आदेश जारी किया था.

इसके बाद सुशीला ने राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग लखनऊ के समक्ष अपील की. राज्य आयोग के तीन सदस्यों की बेंच के पीठासीन सदस्य राजेन्द्र सिंह ने डॉ. अमृत राय को गंभीर लापरवाही का दोषी मानते हुए पीड़िता को 15 लाख 39 हजार 752 बतौर क्षतिपूर्ति के साथ 1 दिसंबर 2020 से दस प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अर्थदंड देने का आदेश दिया है. साथ ही, सुशीला शर्मा को मानसिक यंत्रणा, बेचैनी और परेशानी के मद में कुल 30 लाख रुपये हर्जाना दस फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने का निर्देश दिया है. आयोग ने कहा है कि अगर डॉ. अमृता राय यह भुगतान इस निर्णय से 60 दिन के अन्दर नहीं करती हैं तो इस रकम पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाया जाएगा.

पढ़ें- डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान पेट में छोड़ी रुई, उपभोक्ता फोरम ने लगाया पांच लाख का जुर्माना

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