नई दिल्ली : महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल और झारखंड में ईडी की छापेमारी, सीबीआई रेड में एक के बाद एक अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के तमाम विपक्षी नेता एक-एक कर भ्रष्टाचार के घोटाले में फंसते जा रहे हैं. यदि आंकड़ा उठाकर देखा जाए तो कांग्रेस से शुरू करें तो सोनिया गांधी, राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा, एनसीपी के प्रफुल पटेल, आम आदमी पार्टी के सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया, सपा के आजम खान और उनकी पत्नी समेत तमाम नेता, बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती, शिवसेना के नेता संजय राउत, टीएमसी के नेता पार्थ चटर्जी समेत कइयों पर शिकंजा कसता जा रहा है. और यह मामले सीधे-सीधे भ्रष्टाचार के हैं. मुख्य विपक्षी पार्टियों में शायद ही कोई पार्टी है जिनके नेताओं पर भ्रष्टाचार के मामले नहीं हैं. या उन पर ईडी की रेड या सीबीआई जांच या फिर जेल जाने की नौबत नहीं आई है.
देखा जाए तो जिस तरह से 2014 में भाजपा ने यूपीए की सरकार पर भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाते हुए जनता का दिल जीता था, 10 साल बाद पार्टी सत्ता में रहने के बावजूद भी विपक्षियों के खिलाफ फिर से एक बार भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर शोर से खड़ी कर रही है. यहां तक कि राजनीतिक गलियारे में अब विपक्षी पार्टियों के नेता दबी जुबान में भी सरकार के खिलाफ बोलने से कतराने लगे हैं.
सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव में भी विपक्षी पार्टियों के भ्रष्टाचार के मुद्दे को अपना सबसे प्रमुख मुद्दा बनाने जा रही है. हालांकि साथ में जन भावनाओं को देखते हुए बाकी मुद्दों को भी तरजीह दी जाएगी, चाहे वह हिंदुत्व का मुद्दा हो, या फिर राम मंदिर का निर्माण, ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद, मथुरा वृंदावन या अनुच्छेद 370 का कश्मीर से हटाया जाना. लेकिन पार्टी इनमें से कई मुद्दों पर 2019 का चुनाव जीत चुकी है और उसे ऐसा लगता है कि इन्हीं मुद्दों को दोबारा दोहराए जाने पर अब 2024 में जनता पर कुछ खास असर नहीं पड़ने वाला है. यही वजह है कि पार्टी यू-टर्न लेते हुए वापस भ्रष्टाचार के मुद्दे को हर राज्य में मुख्य मुद्दा बनाती जा रही है.
सूत्रों की मानें तो पार्टी इस पर अच्छी खासी योजना तैयार कर रही है जिसमें भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ सांसद और केंद्रीय मंत्री अलग-अलग राज्यों में जाकर विपक्षी पार्टियों के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मुद्दों को जनता तक पहुंचाएंगे. साथ ही साथ इस बात का भी दावा करेंगे कि पिछले 8 सालों में BJP सरकार का शायद ही कोई ऐसा नेता होगा जिसके घर से करोड़ों रुपए मिले या जिसके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए. यदि इक्का-दुक्का घटनाएं हुई भी तो पार्टी ने जीरो टॉलरेंस अपनाते हुए उसे तुरंत पार्टी के तमाम पदों से और पार्टी से बर्खास्त कर दिया. बावजूद इसके दूसरी पार्टियों ने ऐसे कोई कड़े कदम अपने भ्रष्टाचारी नेताओं पर नहीं उठाए. इन्हीं बातों को पार्टी हर राज्य में मुद्दा बनाने जा रही है.
एजेंडा अगेंस्ट करप्शन : पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह का कहना है कि 'एजेंडा अगेंस्ट करप्शन' भारतीय जनता पार्टी की शुरू से नीति रही है. उनका यह कोई चुनावी एजेंडा नहीं है. ना ही ईडी-सीबीआई या कोई भी एजेंसी दलगत राजनीति पर काम करती है. हालांकि इस सवाल पर कि आखिर लोकसभा चुनाव के आखिरी 2 साल में ही प्रवर्तन निदेशालय इतना ज्यादा सक्रिय क्यों हो गया है? उनका कहना है कि इन बातों को तूल मीडिया में दिया जा रहा है जबकि प्रवर्तन निदेशालय पिछले 8 वर्षों से ऐसे ही कार्य कर रहा है. लेकिन जब करोड़ों की कमाई किसी के घर से निकलती है तो वह आम जनता के बीच भी कौतूहल का विषय बन जाती है. ऐसी बातें फिर मीडिया और जनता तक पहुंचना भी लाजिमी है.
अरुण सिंह ने दी कांग्रेस को चुनौती : अरुण सिंह ने कहा कि यदि देखा जाए तो हमारी पार्टी शुरुआत से ही जीरो टॉलरेंस पर काम करती रही है. यही वजह है कि आप आंकड़े उठाकर भी देखेंगे तो पिछले 8 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में कोई भी ऐसा बड़ा नेता चाहे वह भाजपा का हो या एनडीए के गठबंधन की किसी भी पार्टी का हो, किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं पाया गया. यह किसी भी सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.
अरुण सिंह ने कहा कि यदि कांग्रेस में हिम्मत है तो वह किसी भी मंत्री या किसी भी घोटाले को उजागर क्यों नहीं करती है. क्योंकि उसके पास नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा ही नहीं है ना ही भ्रष्टाचार का ना ही कुशासन का और ना ही किसी भी तरह का.
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