नई दिल्ली : केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने हिल स्टेशनों और अन्य पर्यटन स्थलों पर कोविड-19 के संबंध में अनुकूल व्यवहार नहीं अपनाए जाने के मामलों पर शनिवार को चिंता जताते हुए कहा कि महामारी की दूसरी लहर अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है.
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि गृह सचिव ने हिल स्टेशनों और पर्यटन स्थलों पर कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की.
बैठक में गोवा, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड तथा पश्चिम बंगाल में कोविड-19 के हालात और टीकाकरण के प्रबंधन पर चर्चा की गई.
विज्ञप्ति के अनुसार, बैठक में यह संदेश दिया गया कि देश में विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में दूसरी लहर अलग-अलग स्तर पर है और कुल मिलाकर संक्रमण दर में गिरावट आई हो सकती है, लेकिन राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश में संक्रमण की दर 10 प्रतिशत से अधिक है, जो चिंता की बात है.
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वक्तव्य के अनुसार, केंद्रीय गृह सचिव ने हिल स्टेशनों और पर्यटन स्थलों पर कोविड अनुकूल व्यवहार नहीं होने की खबरों के मद्देनजर चिंता जाहिर की. भल्ला ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर अभी समाप्त नहीं हुई है और राज्यों को मास्क पहनने, सामाजिक दूरी और अन्य सुरक्षित तरीकों को अपनाने के संदर्भ में तय प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करना चाहिए.
यह पाया गया कि कोविड की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने की गति देश के विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एक जैसी नहीं है. इसके साथ ही यह भी पाया गया कि वैसे तो कोविड पॉजिटिव मामलों की समग्र दर संभवत: घटती जा रही है, लेकिन राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ जिलों में कोविड पॉजिटिव मामलों की दर 10 प्रतिशत से अधिक है, जो निश्चित तौर पर चिंता का विषय है.
राज्यों से टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण और कोविड उपयुक्त व्यवहार की पांच सूत्री रणनीति का पालन करने के लिए भी कहा गया, जैसा कि गृह मंत्रालय के 29 जून, 2021 के आदेश में निर्धारित किया गया है. भविष्य में कोविड के मामलों में किसी भी संभावित वृद्धि से निपटने के लिए स्वास्थ्य संबंधी पर्याप्त बुनियादी ढांचागत सुविधाओं (विशेषकर ग्रामीण, उपनगरीय और आदिवासी या जनजातीय क्षेत्रों में) की तैयारी करने की भी सलाह दी गई.
बैठक में डॉ. वी. के. पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग; सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार; महानिदेशक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद; और आठ राज्यों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और प्रधान सचिवों (स्वास्थ्य) ने भी हिस्सा लिया.
(पीटीआई-भाषा)