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महामारी के बीच लोगों को पड़ी 'ऑनलाइन रहने की आदत' : रिपोर्ट

साइबर सिक्युरिटी कंपनी नोर्टनलाइफलॉक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी की वजह से लोगों में ऑनलाइन रहने की आदत बन गई है.

ऑनलाइन रहने की आदत
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Published : Aug 25, 2021, 7:50 AM IST

नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी के कारण 'डिजिटल' कार्य न केवल रोजमर्रा की जिंदगी का अहम् हिस्सा बन गया बल्कि कई लोगों को इस दौरान 'ऑनलाइन रहने की आदत' सी बन गई. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है.

साइबर सिक्युरिटी कंपनी नोर्टनलाइफलॉक ने उपभोक्ताओं के घर पर रहते हुए ऑनलाइन व्यवहार की समीक्षा के लिए एक नया वैश्विक अध्ययन किया है. अध्ययन के भारतीय खंड से मिले निष्कर्षों के अनुसार सर्वेक्षण में शामिल हर तीन में से दो भारतीय (66 फीसदी) ने कहा कि वे महामारी की वजह से ऑनलाइन रहने की आदत के शिकार हो गये हैं.

द हैरिस पोल द्वारा किए गए इस ऑनलाइन अध्ययन में 1,000 से ज्यादा भारतीय वयस्कों ने हिस्सा लिया. उनमें से हर 10 में से आठ (82 फीसदी) लोगों ने कहा कि शिक्षा और पेशेवर कार्य के लिए इस्तेमाल के इतर डिजिटल स्क्रीन के सामने बीतने वाला उनका समय महामारी के दौरान काफी ज्यादा बढ़ गया.

औसतन भारत में एक वयस्क पेशेवर काम या शिक्षा कार्यों से इतर स्क्रीन के सामने हर दिन 4.4 घंटे गुजारता है. सर्वेक्षण में शामिल भारतीयों ने कहा कि स्मार्ट फोन वह आम उपकरण है जिसके इस्तेमाल में वह काफी ज्यादा समय (84 फीसदी) गुजारते हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना वायरस के प्रयोगशाला से लीक होने की आशंका बहुत कम : वैज्ञानिक

अध्ययन में शामिल अधिकांश भारतीयों (74 फीसदी) ने माना कि वे स्क्रीन के सामने जितना समय बिताते हैं उससे उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जबकि आधे से अधिक (55 फीसदी) ने कहा कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. लगभग 76 फीसदी लोगों ने कहा कि वे दोस्तों के साथ समय बिताने जैसी गतिविधियों में शामिल होकर स्क्रीन के सामने बिताने वाले अपने समय को सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं.

नॉर्टनलाइफलॉक में भारत और सार्क देशों के बिक्री एवं क्षेत्र विपणन निदेशक रितेश चोपड़ा ने कहा, 'यह समझ में आता है कि महामारी ने उन गतिविधियों के लिए स्क्रीन पर हमारी निर्भरता बढ़ा दी है जो अन्यथा ऑफलाइन की जा सकती थीं. हालांकि, हर व्यक्ति के लिए अपने ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन समय के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है ताकि उनके स्वास्थ्य और, उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े.'

उन्होंने साथ ही कहा कि ऑनलाइन परिदृश्य में साइबर खतरों की संख्या और प्रकारों में वृद्धि हुई है. चोपड़ा ने कहा, 'उपयोगकर्ताओं को इस बात का बहुत ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने कनेक्टेट उपकरणों का उपयोग कैसे और कहां करते हैं. सुविधा सुरक्षा से बढ़कर नहीं होनी चाहिए.'

उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत या गोपनीय जानकारी के नुकसान के बहुत गंभीर परिणाम हो सकते हैं और माता-पिता के लिए इस बात को जानना तथा अपने बच्चों को साइबर सुरक्षा की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी के कारण 'डिजिटल' कार्य न केवल रोजमर्रा की जिंदगी का अहम् हिस्सा बन गया बल्कि कई लोगों को इस दौरान 'ऑनलाइन रहने की आदत' सी बन गई. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है.

साइबर सिक्युरिटी कंपनी नोर्टनलाइफलॉक ने उपभोक्ताओं के घर पर रहते हुए ऑनलाइन व्यवहार की समीक्षा के लिए एक नया वैश्विक अध्ययन किया है. अध्ययन के भारतीय खंड से मिले निष्कर्षों के अनुसार सर्वेक्षण में शामिल हर तीन में से दो भारतीय (66 फीसदी) ने कहा कि वे महामारी की वजह से ऑनलाइन रहने की आदत के शिकार हो गये हैं.

द हैरिस पोल द्वारा किए गए इस ऑनलाइन अध्ययन में 1,000 से ज्यादा भारतीय वयस्कों ने हिस्सा लिया. उनमें से हर 10 में से आठ (82 फीसदी) लोगों ने कहा कि शिक्षा और पेशेवर कार्य के लिए इस्तेमाल के इतर डिजिटल स्क्रीन के सामने बीतने वाला उनका समय महामारी के दौरान काफी ज्यादा बढ़ गया.

औसतन भारत में एक वयस्क पेशेवर काम या शिक्षा कार्यों से इतर स्क्रीन के सामने हर दिन 4.4 घंटे गुजारता है. सर्वेक्षण में शामिल भारतीयों ने कहा कि स्मार्ट फोन वह आम उपकरण है जिसके इस्तेमाल में वह काफी ज्यादा समय (84 फीसदी) गुजारते हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना वायरस के प्रयोगशाला से लीक होने की आशंका बहुत कम : वैज्ञानिक

अध्ययन में शामिल अधिकांश भारतीयों (74 फीसदी) ने माना कि वे स्क्रीन के सामने जितना समय बिताते हैं उससे उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जबकि आधे से अधिक (55 फीसदी) ने कहा कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. लगभग 76 फीसदी लोगों ने कहा कि वे दोस्तों के साथ समय बिताने जैसी गतिविधियों में शामिल होकर स्क्रीन के सामने बिताने वाले अपने समय को सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं.

नॉर्टनलाइफलॉक में भारत और सार्क देशों के बिक्री एवं क्षेत्र विपणन निदेशक रितेश चोपड़ा ने कहा, 'यह समझ में आता है कि महामारी ने उन गतिविधियों के लिए स्क्रीन पर हमारी निर्भरता बढ़ा दी है जो अन्यथा ऑफलाइन की जा सकती थीं. हालांकि, हर व्यक्ति के लिए अपने ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन समय के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है ताकि उनके स्वास्थ्य और, उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े.'

उन्होंने साथ ही कहा कि ऑनलाइन परिदृश्य में साइबर खतरों की संख्या और प्रकारों में वृद्धि हुई है. चोपड़ा ने कहा, 'उपयोगकर्ताओं को इस बात का बहुत ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने कनेक्टेट उपकरणों का उपयोग कैसे और कहां करते हैं. सुविधा सुरक्षा से बढ़कर नहीं होनी चाहिए.'

उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत या गोपनीय जानकारी के नुकसान के बहुत गंभीर परिणाम हो सकते हैं और माता-पिता के लिए इस बात को जानना तथा अपने बच्चों को साइबर सुरक्षा की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है.

(पीटीआई-भाषा)

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