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चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर खाते खुलवाकर फ्रॉड, तीन गिरफ्तार

पश्चिम बंगाल में चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर लोगों के बैंक खाते खुलवाकर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है (police busted international fraud racket ). पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. रैकेट का सरगना फिलहाल पकड़ से बाहर है. वह विदेश में है.

police busted international fraud racket
बंगाल में तीन गिरफ्तार
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Published : Dec 17, 2022, 5:01 PM IST

सिलीगुड़ी : पुलिस ने शुक्रवार को यहां एक अंतरराष्ट्रीय ठग रैकेट का भंडाफोड़ किया है (police busted international fraud racket). मामले की जांच के दौरान ठगी का पैटर्न जानकर पुलिस अधिकारी हैरान रह गए. पैसे लेकर देखते ही देखते आम लोगों के बैंक खातों की सारी जानकारियां और डेटाबेस के रूप में दस्तावेज देश-विदेश के साइबर अपराधियों तक पहुंचाए जा रहे हैं. सिलीगुड़ी पुलिस आयुक्तालय के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और सिलीगुड़ी पुलिस स्टेशन की विशेष टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर शुक्रवार को छापेमारी के दौरान एक ऐसा ही फर्जीवाड़ा पकड़ा.

इस कार्रवाई में पुलिस ने चैरिटेबल ट्रस्ट की आड़ में चल रहे ठगी के रैकेट में शामिल तीन युवकों को गिरफ्तार किया है. साथ ही कई लोगों और विभिन्न संगठनों के सैकड़ों एटीएम कार्ड, सैकड़ों बैंक दस्तावेज और पैन कार्ड सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए.

गिरफ्तार किए गए लोगों में सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 5 के नया पारा निवासी सुजीत सिंह, सिलीगुड़ी से सटे पतिरामजोत निवासी विजय महतो और रामघाट निवासी रोहित अधिकारी शामिल हैं.

रैकेट का सरगना अभिषेक बंसल सिलीगुड़ी के खलपारा का रहने वाला है, लेकिन फिलहाल विदेश में रहता है. गिरफ्तार लोगों को शनिवार को सिलीगुड़ी अनुमंडल न्यायालय लाया गया.

लालच देकर खुलवाते थे खाता : पुलिस सूत्रों के अनुसार सिलीगुड़ी नगर पालिका के वार्ड नंबर 5 में न्यू पारा चैरिटेबल ट्रस्ट नामक संस्था खोली गई थी. उस संस्था के एजेंट प्रलोभन या सरकारी सहायता के रूप में 7000 से 8000 रुपये की पेशकश कर आम गरीब लोगों के बैंक खाते खुलवाते थे.

फिर जालसाज खातों की पासबुक दिखाते हुए एटीएम कार्ड ले लेते थे, लेकिन पैसा तुरंत दे देते थे. इसके बाद वे लोग और पैसे की चाहत में दूसरों को खाता खुलवाने के लिए लाते थे.

बाद में, डेटाबेस के रूप में बैंक खातों की जानकारी साइबर अपराधियों को बड़ी रकम में बेच दी गई. एक तरफ उन खातों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग या हवाला के लिए किया जाता था. वहीं, विभिन्न धोखाधड़ी या ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए पैसे जमा करने के लिए भी इन खातों का इस्तेमाल किया जाता था. उन खातों के माध्यम से सरकारी परियोजनाओं के ऋण और धन की हेराफेरी भी की गई थी.

सिलीगुड़ी के पुलिस आयुक्त अखिलेश चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत को बताया, 'ये खाते मुख्य रूप से साइबर अपराधियों को बेचे गए थे. सरगना की तलाश जारी है. हमें संदेह है कि कई अन्य लोग इस गिरोह में शामिल हैं. जांच की जा रही है.'

पढ़ें- नाईजीरियाई गिरोह के पास से अभिनेत्री ऐश्वर्या राय का जाली पासपोर्ट बरामद

सिलीगुड़ी : पुलिस ने शुक्रवार को यहां एक अंतरराष्ट्रीय ठग रैकेट का भंडाफोड़ किया है (police busted international fraud racket). मामले की जांच के दौरान ठगी का पैटर्न जानकर पुलिस अधिकारी हैरान रह गए. पैसे लेकर देखते ही देखते आम लोगों के बैंक खातों की सारी जानकारियां और डेटाबेस के रूप में दस्तावेज देश-विदेश के साइबर अपराधियों तक पहुंचाए जा रहे हैं. सिलीगुड़ी पुलिस आयुक्तालय के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और सिलीगुड़ी पुलिस स्टेशन की विशेष टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर शुक्रवार को छापेमारी के दौरान एक ऐसा ही फर्जीवाड़ा पकड़ा.

इस कार्रवाई में पुलिस ने चैरिटेबल ट्रस्ट की आड़ में चल रहे ठगी के रैकेट में शामिल तीन युवकों को गिरफ्तार किया है. साथ ही कई लोगों और विभिन्न संगठनों के सैकड़ों एटीएम कार्ड, सैकड़ों बैंक दस्तावेज और पैन कार्ड सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए.

गिरफ्तार किए गए लोगों में सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 5 के नया पारा निवासी सुजीत सिंह, सिलीगुड़ी से सटे पतिरामजोत निवासी विजय महतो और रामघाट निवासी रोहित अधिकारी शामिल हैं.

रैकेट का सरगना अभिषेक बंसल सिलीगुड़ी के खलपारा का रहने वाला है, लेकिन फिलहाल विदेश में रहता है. गिरफ्तार लोगों को शनिवार को सिलीगुड़ी अनुमंडल न्यायालय लाया गया.

लालच देकर खुलवाते थे खाता : पुलिस सूत्रों के अनुसार सिलीगुड़ी नगर पालिका के वार्ड नंबर 5 में न्यू पारा चैरिटेबल ट्रस्ट नामक संस्था खोली गई थी. उस संस्था के एजेंट प्रलोभन या सरकारी सहायता के रूप में 7000 से 8000 रुपये की पेशकश कर आम गरीब लोगों के बैंक खाते खुलवाते थे.

फिर जालसाज खातों की पासबुक दिखाते हुए एटीएम कार्ड ले लेते थे, लेकिन पैसा तुरंत दे देते थे. इसके बाद वे लोग और पैसे की चाहत में दूसरों को खाता खुलवाने के लिए लाते थे.

बाद में, डेटाबेस के रूप में बैंक खातों की जानकारी साइबर अपराधियों को बड़ी रकम में बेच दी गई. एक तरफ उन खातों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग या हवाला के लिए किया जाता था. वहीं, विभिन्न धोखाधड़ी या ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए पैसे जमा करने के लिए भी इन खातों का इस्तेमाल किया जाता था. उन खातों के माध्यम से सरकारी परियोजनाओं के ऋण और धन की हेराफेरी भी की गई थी.

सिलीगुड़ी के पुलिस आयुक्त अखिलेश चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत को बताया, 'ये खाते मुख्य रूप से साइबर अपराधियों को बेचे गए थे. सरगना की तलाश जारी है. हमें संदेह है कि कई अन्य लोग इस गिरोह में शामिल हैं. जांच की जा रही है.'

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