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Supreme Court News : न्यायालय ने कहा, कोविड महामारी के दौरान रिहा दोषी, विचाराधीन कैदी 15 दिन में आत्मसमर्पण करें

कई दोषियों और विचाराधीन कैदियों को उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों पर वैश्विक महामारी के दौरान विभिन्न राज्यों से रिहा किया गया था.

Supreme Court News
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Published : Mar 24, 2023, 12:52 PM IST

Updated : Mar 24, 2023, 1:10 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान कारागारों में भीड़ कम करने के लिए रिहा किए गए सभी दोषियों एवं विचाराधीन कैदियों को 15 दिन में आत्मसर्मण करने का शुक्रवार को आदेश दिया. न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि महामारी के दौरान कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए ऐहतियात के तौर पर आपातकालीन जमानत पर रिहा किए गए विचाराधीन कैदी आत्मसमर्पण के बाद सक्षम अदालतों से नियमित जमानत का अनुरोध कर सकते हैं.

पढ़ें: Supreme Court News : एजेंसियों के दुरुपयोग की शिकायत संबंधी याचिका पर सुनवाई 5 अप्रैल को

पीठ ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान रिहा किए गए सभी दोषी आत्मसमर्पण के बाद अपनी सजा के निलंबन के लिए सक्षम अदालतों से अनुरोध कर सकते हैं. कई दोषियों और विचाराधीन कैदियों को उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों पर वैश्विक महामारी के दौरान विभिन्न राज्यों से रिहा किया गया था. इनमें से अधिकतर कैदियों के खिलाफ ऐसे मामले दर्ज हैं, जो जघन्य प्रकृति के नहीं हैं. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पैरोल की अवधि को कैदी द्वारा वास्तविक कारावास की अवधि में नहीं गिना जा सकता है.

पढ़ें: कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठनों की सदस्यता से जुड़े अपने पुराने फैसले को कानून की नजर में खराब बताया

पीठ ने एक कैदी द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें यह घोषणा करने की मांग की गई थी कि महामारी के दौरान एचपीसी द्वारा दी गई पैरोल की अवधि को वास्तविक सजा की अवधि के रूप में गिना जाए. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को छूट की किसी भी नीति के अधीन उक्त कारावास से गुजरना होगा. जिस अवधि के दौरान उसे आपातकालीन पैरोल पर रिहा किया गया था. कोर्ट ने कहा कि पेरोल की अवधि को वास्तविक कारावास की अवधि से बाहर रखा जायेगा. याचिकाकर्ता को हत्या के अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा मिली है.

पढ़ें: Supreme Court News : एजेंसियों के दुरुपयोग की शिकायत संबंधी याचिका पर सुनवाई 5 अप्रैल को

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान कारागारों में भीड़ कम करने के लिए रिहा किए गए सभी दोषियों एवं विचाराधीन कैदियों को 15 दिन में आत्मसर्मण करने का शुक्रवार को आदेश दिया. न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि महामारी के दौरान कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए ऐहतियात के तौर पर आपातकालीन जमानत पर रिहा किए गए विचाराधीन कैदी आत्मसमर्पण के बाद सक्षम अदालतों से नियमित जमानत का अनुरोध कर सकते हैं.

पढ़ें: Supreme Court News : एजेंसियों के दुरुपयोग की शिकायत संबंधी याचिका पर सुनवाई 5 अप्रैल को

पीठ ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान रिहा किए गए सभी दोषी आत्मसमर्पण के बाद अपनी सजा के निलंबन के लिए सक्षम अदालतों से अनुरोध कर सकते हैं. कई दोषियों और विचाराधीन कैदियों को उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों पर वैश्विक महामारी के दौरान विभिन्न राज्यों से रिहा किया गया था. इनमें से अधिकतर कैदियों के खिलाफ ऐसे मामले दर्ज हैं, जो जघन्य प्रकृति के नहीं हैं. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पैरोल की अवधि को कैदी द्वारा वास्तविक कारावास की अवधि में नहीं गिना जा सकता है.

पढ़ें: कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठनों की सदस्यता से जुड़े अपने पुराने फैसले को कानून की नजर में खराब बताया

पीठ ने एक कैदी द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें यह घोषणा करने की मांग की गई थी कि महामारी के दौरान एचपीसी द्वारा दी गई पैरोल की अवधि को वास्तविक सजा की अवधि के रूप में गिना जाए. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को छूट की किसी भी नीति के अधीन उक्त कारावास से गुजरना होगा. जिस अवधि के दौरान उसे आपातकालीन पैरोल पर रिहा किया गया था. कोर्ट ने कहा कि पेरोल की अवधि को वास्तविक कारावास की अवधि से बाहर रखा जायेगा. याचिकाकर्ता को हत्या के अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा मिली है.

पढ़ें: Supreme Court News : एजेंसियों के दुरुपयोग की शिकायत संबंधी याचिका पर सुनवाई 5 अप्रैल को

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Mar 24, 2023, 1:10 PM IST
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